AISMJWA ने झारखण्ड के DGP को मेल के माध्यम से एक बार फिर पत्रकारों के पक्ष में कराई शिकायत दर्ज
ऑल इंडिया स्मॉल एंड मीडियम जर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन ने इ-मेल के माध्यम से राज्य के पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा को एक बार फिर अपनी बातें संप्रेषित की, कि जितना जल्द हो राज्य में पत्रकारों पर हो रहे झूठे मुकदमें, दुर्व्यवहार और उन पर जानलेवा हमले बंद हो। जिसकी जानकारी विद्रोही24 को रांची प्रमंडल के अध्यक्ष नवल सिंह ने दी। उनका कहना था कि AISMJWA बिहार-झारखण्ड के प्रभारी प्रीतम सिंह भाटिया के निर्देश पर यह मेल आज संप्रेषित कर दिया गया।
नवल सिंह का कहना था कि इस मेल में वो सारी बाते लिखी है, जो पूर्व में भी पुलिस महानिदेशक को दी गई थी, नया मामला सिर्फ इतना है कि इधर भी झारखण्ड के कुछ जगहों पर पुलिस द्वारा पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया गया, जिसे इस पत्र में नये तरीके से रखा गया है। प्रीतम सिंह भाटिया का कहना है कि जितने भी मामले पत्रकारों से संबंधित हैं, उन सारे मामलों को खुद डीजीपी देखें तो ज्यादा अच्छा रहेगा। आखिर जो डीजीपी को मेल किया गया, उस मेल में क्या है, इसे आप स्वयं पढिये…
सेवा में,
पुलिस महानिदेशक, झारखंड,राँची
विषय- विभिन्न जिलों में पत्रकारों पर दर्ज हो रहे झूठे मामलों और दुर्व्यवहार की उच्चस्तरीय जाँचकर दोषियों पर विधिसम्मत कार्रवाई हेतु,
महोदय,
राज्य में पत्रकारहित के विषयों को लेकर एसोसिएशन द्वारा एक ज्ञापन गत माह आपके कार्यालय में समर्पित किया गया था। ज्ञापन के माध्यम से हजारीबाग,राँची और गोड्डा जिले में पत्रकारों के साथ हुए अत्याचार को दर्शाते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गई थी। इस महीने पुनः विभिन्न जिलों का ऐसोसिएशन द्वारा दौरा कर पत्रकार साथियों से जानकारी ली गई है, जिसे हम पुनः आपसे इस पत्र के माध्यम से साझा कर रहें हैं।
एसोसिएशन ने इस दौरान पाया कि अधिकांश जिलों में पत्रकारों को घोटालों और भ्रष्टाचार पर खबरें लिखने के कारण झूठे मुकदमें में फंसाने और दोषियों को बचाने का काम किया जा रहा है। इसके साथ ही अधिकांश मामलों को जाँच अधिकारी द्वारा जान बूझकर यह कहते हुए लंबित रखा जा रहा है कि मामला अनुसंधान में है। इस तरह के मामलों के कई उदाहरण हैं, जिनकी सूची लंबी है और बहुत से मामले अभी तक अनुसंधान में ही हैं। अतः सभी मामलों की सूची संलग्न करना असंभव है। वर्तमान में पत्रकार साथियों पर फर्जी मामले को लेकर, राँची, जमशेदपुर, दुमका, हजारीबाग, गोड्डा आदि जिलों के कुछ मामले चर्चा में हैं।
उदाहरणार्थ, राँची के न्यूज 11 भारत और वरिष्ठ चर्चित पत्रकार श्री के.बी मिश्र का मामला फर्जी और बनावटी होने के बावजूद लंबित ही पडा़ हुआ है। यह फर्जी मामला राँची के कोतवाली थाना कांड संख्या-49/21 दर्ज किया गया है। प्रबंधन और पत्रकार के बीच विवाद होना तो आम बात है, लेकिन कोई पत्रकार अपने हाऊस से नौकरी से हटने या हटाये जाने के बाद रंगदारी की मांग करें। यह आश्चर्यजनक ही नहीं हास्यास्पद भी है। इससे भी हास्यास्पद है कि बिना घटना की जाँच किए के.बी मिश्र पर उक्त थाने में मामला दर्ज कर लिया जाना और उससे भी दुखद है कि थानेदार और अनुसंधानकर्ता का जाँच के नाम पर अब तक कुछ भी नहीं करना।
दूसरा उदाहरण हजारीबाग जिले का है जहाँ पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता राजेश मिश्र की गिरफ्तारी का एक फर्जी मामला लोहसिंहना थाना कांड संख्या-25/21 दर्ज कर की गई है जिसमें हजारीबाग एसपी ने जाँच करवा कर मामले का उद्भेदन कर साजिशकर्ताओं को जेल भेज दिया था। लेकिन पत्रकार राजेश मिश्रा की रिहाई के बजाए उन्हें न्यायालय से जेल में बंद रहते जमानत लेनी पड़ी और इस मामले में किसी भी दोषी पुलिसकर्मी पर अब तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है।
तीसरा उदाहरण भी हजारीबाग का ही है जहाँ एक मामला छेड़खानी का सदर थाना कांड संख्या-72/21 दर्ज हुआ, जिसमें पत्रकार कृष्णा नंदन, सोनू केसरी और 3 अज्ञात पत्रकारों पर मामला दर्ज करते हुए कृष्णा नंदन को जेल भेज दिया गया था। फिलहाल मामला अनुसंधान में है और कृष्णा नंदन जमानत पर जेल से बाहर है। पत्रकारों ने एसोसिएशन को बताया कि मामला बनावटी है और इस मामले में थानेदार और अनुसंधानकर्ता भी संदेह के घेरे में हैं लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
चौथा उदाहरण 10 अप्रैल 2021 को चतरा जिला का है जहाँ डीएसपी केदारनाथ राम और उसके अंगरक्षकों ने ईटीवी भारत के पत्रकार मो.अरबाज को अकारण ही पीट दिया। यह घटना अरबाज के अनुसार सीसीटीवी में कैद है और चार दिन बीत जाने के बावजूद डीएसपी और उनके अंगरक्षकों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है न ही मामला दर्ज हुआ है।
पांचवां उदाहरण 13 अप्रैल 2021 की शाम लातेहार जिला का है, जहाँ शास्त्री चौक पर पत्रकार मो.शहजाद और मो.रूस्तम को अकारण ही सिपाही विश्वेश्वर ठाकुर द्वारा जमकर पिटाई की गई है। अतः श्रीमान से अनुरोध है कि राज्य में पत्रकारों और मीडियाकर्मियों पर दर्ज हो रहे झूठे मुकदमे और प्रताड़ना के मामलों में शीघ्र जाँचोपरांत संज्ञान लेकर झूठे शिकायतकर्ताओं और दोषी अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.
अब तक कोई ठोस कार्रवाई न होने के कारण ही पीड़ित पत्रकार साथियों को न्याय मिलने में न सिर्फ विलंब हो रहा है बल्कि आए दिन फर्जी मामले दर्ज कराने वालों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। महोदय निवेदन है कि राज्य में पत्रकार प्रताड़ना के सभी मामलों का सुपरविजन उस जिले के डीआईजी की निगरानी में हो और पत्रकारों को प्रताडित करने वाले दोषियों को किसी हाल में बख्शा न जाए। ठोस कार्रवाई हेतु इस अति आवश्यक पहल पर एसोसिएशन की पूरी टीम आपकी सदैव आभारी रहेगी.
भवदीय,
प्रीतम सिंह भाटिया,
प्रभारी-बिहार/झारखंड