AISMJWA के समन्वयक प्रीतम सिंह ने झारखण्ड के CM को लिखा पत्र, पत्रकारों की समस्याओं की ओर कराया ध्यान आकृष्ट
AISMJWA के बिहार-बंगाल-झारखण्ड समन्वयक प्रीतम सिंह भाटिया ने झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन को पत्र लिखकर, पत्रकारों की समस्याओं की ओर अपना ध्यान आकृष्ट कराया है। यह पत्र उन्होंने सीएम हेमन्त सोरेन को इ-मेल के जरिये संप्रेषित किया है। उन्होंने अपने पत्र में कोरोना से मृत पत्रकारों के लिए आर्थिक सहयोग देने की विशेष अपील की है।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए उनकी एसोसिएशन पिछले सात सालों से लगातार प्रयासरत है। ऐसोसिएशन लगातार सरकार से मांग करती आ रही है कि राज्य में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू हो, इस मांग को लेकर राज्य ही नहीं बल्कि देश भर में पत्रकारों के बहुत से संगठन आंदोलनरत रहे हैं।
पत्र में कहा गया है कि वर्तमान कोरोनाकाल में पत्रकारों को ओड़िशा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार और बंगाल की तर्ज पर झारखण्ड राज्य मे भी पत्रकारों को कोरोनायोद्धा (फ्रंटलाइन वॉरियर्स) घोषित कर सभी 30 शहीद पत्रकारों के आश्रितों को आर्थिक सहयोग दी जाये।
इसके अलावा झारखण्ड में अपनी कलम की स्वतंत्रता का उपयोग करते हुए पत्रकारों को सिस्टम का भी शिकार होना पड़ रहा है, आए दिन पत्रकार साथियों पर फर्जी मामला दर्ज करने की शिकायत मिल रही है। इस कारण चौथे स्तम्भ द्वारा जनहित की आवाज को बुलंद करने और मीडिया की स्वतंत्रता के लिए यह जरुरी है कि राज्य में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाकर जल्द लागू किया जाय।
पत्र में यह भी लिखा है कि इस कानून के लागू होने के बाद पत्रकारों को बेवजह झूठे मुकदमें में फंसाने समेत कई मामलों पर जांच तो जारी है ही, लेकिन वह भी बड़े सुस्त तरीके से हो रही है, दूसरी ओर राज्य में इस आपदकाल में कोरोनायोद्धा के रुप में पत्रकारों ने अहम भूमिका अदा की और कर भी रहे हैं, लेकिन सरकार द्वारा उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए न तो बीमा और न ही राहत पैकेज पर कोई पहल की गई है।
इतना ही नहीं सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा पत्रकारों को दिया जानेवाला एक्रिडियेशन कार्ड अधिकतर जिलों के कई अधिकृत वरिष्ठ पत्रकारों को भी नहीं मिला है, राज्य में कई पत्रकारों को एक्रिडियेशन कार्ड सुविधा से वंचित रखा गया है, जबकि पड़ोसी राज्यों में यह अधिमान्यता आसानी से बनाकर दिया जा रहा है, इस समस्या के शीघ्र समाधान हेतु सबसे पहले सरकार के सूचना विभाग में ईमानदार निदेशक से पद को भरा जाये और एक्रिडियेशन कमेटी का पुनर्गठन कर प्रत्येक प्रमंडल से एक पत्रकार को उस कमेटी में भी रखा जाय।