कौन है वो डाक्टर, जो मंत्रियों और विधायकों तक को कूटने का साहस रखता है, सरकार के लोग उससे थर-थर कापंते हैं
“जो भी लोग डा. ओ पी आनन्द को जानते है, उनको पता है कि वे मरीज के सामने किसी भी कानून-नियम, चीज को नहीं मानते। मैं लिहाज कर गया वरना इस जांच कमेटी को दौड़ा-दौड़ा कर पीटता। मेरे सात मरीज कोविड और दो वेंटिलेटर पर है, इसलिए मैं लिहाज करके छोड़ दिया, वरना ऐसे मंत्री और ऐसे अधिकारियों को कूटके रख दूंगा।” ये संवाद है जमशेदपुर के 111 सेव लाइफ हास्पिटल के संचालक डा. ओ पी आनन्द के।
डाक्टर साहब क्रांतिकारी भी है, वे यह भी कहते है “जो सरकार अपने विधायक मंत्री के उपर कई करोड़ खर्च करती है और गरीबों का रेट छः हजार तय करती है, तो यह जनता को व मुझे भी जानने का हक है कि उसके रेट का आधार क्या है? क्या झारखण्ड की गरीब जनता के लिए अलग इलाज होगा और विधायक मंत्री के लिए अलग इलाज होगा और मैं माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी को कहना चाहता हूं कि आपने बहुत बड़ी भूल की है, 111 save life हास्पिटल जैसे बेहतरीन और ताकतवर अस्पताल की जांच का आदेश देकर बहुत गलत काम किया है।”
दरअसल ये सारा मामला जमशेदपुर से सटे आदित्यपुर का है। 111 सेव लाइफ हास्पिटल में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के मौखिक आदेश पर स्वास्थ्य विभाग की टीम उक्त अस्पताल पहुंची थी, जिसका नेतृत्व बी मार्डी कर रहे थे। इतना ही नहीं, अस्पताल ने इस जांच कमेटी को न तो दस्तावेज दिखाए और न ही मरीजों के परिजनों से मिलने दिया, उलटे टीम को धमका दिया। डा. ओ पी आनन्द के इस व्यवहार से सभी के हालत आज पस्त दिखे। डा. ओ पी आनन्द ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की ऐसी की तैसी ही नहीं की, बल्कि राज्य सरकार को ही सीधे कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया।
डा. ओ पी आनन्द का कहना था कि सरकार बताए कि उसका पैकेज रेट क्या है? दरअसल पैकेज रेट और उसके डिटेल्स मांगने पर जांच टीम ने दिखाया ही नहीं। आखिर किसी भी पैकेज का निर्धारण कैसे होगा? सरकार बताए किस दवा के आधार पर, किस सामान के आधार पर, कितना ऑक्सीजन लेवल पर उसने पैकेज रेट तय किया? क्योंकि किसी भी पैकेज रेट का निर्धारण उसके वास्तविक मूल्य के आधार पर होता है, उस पैकेज रेट में बेड चार्ज, संबंधित डाक्टरों के चार्ज, यानी उसमें ऑल इन ऑल होता है। लेकिन झारखण्ड सरकार ने किसी भी स्तर का इन बिन्दुओं पर न तो पत्राचार किया और न ही पैकेज रेट के संबंध में अस्पताल को कोई कागज ही थमाया।
उन्होंने कहा कि वे तो जांच कमेटी से यही मांगे कि जो उनके पास पैकेज रेट की जो सूची हैं, वो उपलब्ध कराएं, जैसे पैकेज रेट में इलाज में किस स्तर की दवा मरीजों पर इस्तेमाल होंगी? वे कौन-कौन सी दवाइयां है? क्योंकि एक एंटीवायोटिक मेडिसिन की कीमत 3,500 तो किसी का 400 भी होता है।