अखबार नहीं छप रहा, फिर भी मिल रहा सरकारी विज्ञापन, रांची एक्सप्रेस के संपादक उमाकांत महतो ने उठाई अंगूली
रांची एक्सप्रेस के स्थानीय संपादक उमाकांत महतो ने सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का को पत्र लिखा है, उस पत्र में इस बात का उन्होंने जिक्र किया है कि वे रांची एक्सप्रेस में बतौर स्थानीय संपादक काम कर रहे हैं। इस दौरान उन्हें और उनके लोगों का भुगतान नहीं किया जा रहा, साथ ही रांची एक्सप्रेस विगत 13 अप्रैल से छप ही नहीं रहा।
13 अप्रैल से लेकर 30 अप्रैल तक केवल ऑफिस कॉपी छापकर सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के मुख्यालय में बिल हेतु भेज दिया जा रहा है, पर यह अखबार बाजार में उपलब्ध नहीं है। इधर एक जून से पुनः यह नहीं छप रहा है, बावजूद इसे सरकारी विज्ञापन लगातार दिया जा रहा है। उमाकांत महतो ने अपने पत्र में लिखा है पीआइबी के नियमों के अनुसार यह बड़ा सरकारी घोटाला है। इस पर कार्रवाई करें।
उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि वे अखबार से इस्तीफा दे चुके हैं, इस सरकारी घोटाले के लिए एकमात्र जवाबदेह इसके मालिक सुधांशु सुमन व मुख्य संपादक निभा सुमन हैं। सूत्र बता रहे है कि रांची में ऐसे कई छोटे-मध्यम दर्जे के अखबार इन दिनों नहीं छप रहे हैं, लेकिन उसकी पीडीएफ फाइल बनाकर सूचना भवन में दे दी जा रही हैं, और सूचना भवन में पदस्थापित सूचना एवं जनसम्पर्क पदाधिकारियों को मूर्ख बनाया जा रहा हैं।
नियमों का पालन करनेवाले चैनलों को ठेंगा और नियमों का पालन नहीं करनेवाले एक चैनल पर कृपा लूटाने की तैयारी
सूत्र ये भी बता रहे है कि एक चैनल, जिसका टीआरपी किसी भी अन्य क्षेत्रीय चैनल के आगे कही नहीं टिकता, जो टीआरपी देनेवाले कंपनियों से निबंधित भी नहीं हैं, और न ही उसके पास टीआरपी का सर्टिफिकेट हैं। जिसका मालिक कई घोटालों में संलिप्त हैं, जिस पर राज्य के ही कई विभिन्न थानों में कई अपराधिक मामले दर्ज है, जिसे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार भी वार्निंग दे चुका है।
उसके चैनल पर कृपा लूटाने के लिए राज्य का एक बहुत बड़ा अधिकारी मचल रहा है, अगर ऐसे लोग अपने मकसद में कामयाब हो जाते हैं या वो चैनल कामयाब हो जाता हैं, तो निश्चय ही झारखण्ड के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य दुसरा कोई हो ही नहीं सकता, पर किया ही क्या जा सकता है, जब झारखण्ड के किस्मत में दुख ही लिखा हैं तो सुख आयेगा कहां से?