राजनीति

बाबू लाल के मीडिया सलाहकार सुनील तिवारी ने चुटीले अंदाज में ट्विट कर झामुमो नेता पंकज मिश्रा को हड़काया

इधर संथाल परगना के बहुचर्चित व विवादास्पद नेता पंकज मिश्रा, जिसको लेकर आदिवासी, मुस्लिम, पिछड़े सभी गोलबंद हो चुके हैं, जैसे ही बाबू लाल मरांडी, उनके मीडिया सलाहकार सुनील तिवारी और गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे के खिलाफ यह बयान जारी किया कि इनसे उसे जान को खतरा है, ठीक कुछ घंटे बाद सुनील तिवारी ने एक से बढ़कर एक टिव्ट करने शुरु किये और बड़े ही चुटीले अंदाज में पंकज मिश्रा पर प्रहार किया।

इस प्रहार से पंकज मिश्रा तिलमिलाये या नहीं, ये तो पता नहीं चल पाया है, परन्तु इतना जरुर पता चल गया कि भाजपा इस मुद्दे पर हेमन्त सरकार को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही, राजनीतिक पंडित बताते है कि पंकज मिश्रा प्रकरण से सरकार की छवि को खासकर संथाल परगना क्षेत्र में धक्का लगा है, जबकि कुछ राजनीतिक पंडित ये भी कहते है कि संथाल परगना में इस प्रकार की राजनीति कोई नई नहीं है, हमेशा से चलती रही है।

जिसका सरकार रहा, वो सरकार अपने  हिसाब से अधिकारियों को बैठाती रही और वे अधिकारी हुक्म का पालन करते रहे, इसमें कोई इफ-बट नहीं हैं, हां ये अलग बात है कि इस समय सारा दारोमदार पंकज मिश्रा के इर्द-गिर्द घुम रहा है, जिसका खामियाजा और लाभ दोनों सरकार को उठाना पड़ रहा है। कई विडियो भी ऐसे-ऐसे वायरल हुए, जिससे सरकार की छवि पर बट्टा लगा, पर ऐसा भी नहीं कि वहां से सरकार ही उखड़ गई।

इधर पंकज मिश्रा प्रकरण का लाभ लेने के लिए भाजपा मुखर है, क्योंकि दुसरा दल इस इलाके में उस स्थिति में नहीं, कि वो झामुमो या पंकज मिश्रा जैसे लोगों का मुकाबला कर सकें, जो लोबिन हेम्ब्रम पंकज मिश्रा का खिलाफत सदन या सदन से बाहर कर चुके हैं, उनकी भी हिम्मत नहीं कि पंकज मिश्रा या सरकार के खिलाफ चले जाये, क्योंकि फिर उनकी ही राजनीतिक कैरियर पर प्रभाव पड़ जायेगा।

रही बात पुलिस प्रशासन की, तो भाई आज हेमन्त सोरेन हैं तो उन पर दाग लगी है, कल रघुवर दास थे तो यही स्थिति उस समय भी थी, ये पुलिस प्रशासन में शामिल लोग किसी भी भाजपाई के कहने पर थाने में केस कर दिया करते थे, ऐसे लोग आज भी आपको मिल जायेंगे, जो इनके जुल्म के शिकार है, ये अलग बात है कि इस प्रकरण पर भाजपा के ही तथाकथित लोग मुंह नहीं खोलते और न ही ऐसे लोगों की मदद करते, अगर मदद के लिए जायेंगे भी तो यह कहेंगे कि ये तो रघुवर दास के शासनकाल का है, इसमें भला हम कैसे मदद कर सकते हैं, जबकि ऐसे ही लोगों के साथ इनका उठना-बैठना और मस्ती करना होता है। ये बातें बाबू लाल मरांडी जैसे नेता भी खुब जानते है।

चलिये, ये नया प्रकरण चल रहा है, सभी पंकज मिश्रा को उठाकर राजनीतिक पटकनियां देने में लगे हैं, पर उस पर ऐसे व्यक्ति का हाथ है कि किसी की दाल नहीं गल रही, ये सही है कि पूरे संथाल परगना में उसकी साख पर कोई सवाल फिलहाल तो नहीं उठा सकता, यहां तक कि बड़े-बड़े पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी उसके सामने उठक-बैठक लगा रहे हैं, कई प्रमाण तो सुनील तिवारी ने इसी ढेर सारी ट्विट पर दे चुके हैं, वह भी चुटीले अंदाज में। लीजिये अब मजा लीजिये ट्विट का…

  1. भाई मिसीर जी, सबेरे का परनाम। आप तो महान हैं। गजब का “कलाकार” गुण से भरपूर हैं आप। सोशल मीडिया में घूम रहा आपका कुछ वीडियो वक्तव्य का अंश देखे। क्या धांसू और जबरदस्त। आपके इस बयान से त विपक्ष का नेता लोग चारों खाने चित्त हो गया है। सबका बोलती बंद है। (जारी)

  1. भाई मिसीर जी, जरा आप अपने ही इस ऐतिहासिक फोटू पर गौर फरमाइये। इस फितकट्टी का फीता छू लेने पर के लिए आपके पीछे खड़े डीसी-एसपी कैसे लपक रहे हैं, ललायित है? आपके रुतबे, लहर, धमक से तो डर भी डेरा जाय। अब बताइये, भला आपको भी “डर” लगने लगे तो क्या कहा जाय? (जारी)

  1. भाई मिसीर जी, अपना समय निकालकर इस खबर को पढ़ जाईये। देखिये बेचारा ट्रक मालिक रकीबूल इस्लाम आपके रुतबे के सामने कैसे घिघिया रहा है? दारोगा जी को ट्रक छोड़ने के लिए एक लाख रुपये चाहिए या आपकी इजाजत? है न मजेदार? अब आपको इसको भी बीजेपी का एजेंट मत कह दीजियेगा। (जारी)

  1. मिसीर जी, हरिजन महिला का आरोप, आप उसे जेल में डलवाये। आपके रुतबे से दहशतजदा आदिवासी विधायक लोबिन जी, विधानसभा के भीतर तक आसमान सर पे उठाये। मुस्लिम ट्रक मालिक रो रहे कि सही कागज, फिर भी ट्रक छोड़ने के लिए पुलिस को पैसा चाहिए, या आपका आदेश। किसी को नहीं छोड़ियेगा का? (जारी)

  1. मिसीरजी, इ का? अब तो इ लोग से भी आपको खतरा लगिये रहा होगा? दुख हो रहा है हमको? आपके जैसा “महान क्रांतिकारी” को का-का उलूल-जलूल कह रहे लोग? अपने “हुनर” का इस्तेमाल करिये। जुलूस निकलवाइये, बाबू लाल मरांडी, निशिकांत दूबे और सुनील तिवारी के खिलाफ। और दे मारिये। (जारी)

  1. मिसीर जी, आप इतना “बढ़िया” क्रांतिकारी “काम” सब दनादन किये जा रहे थे, ताज्जूब है कि लोग आपकी काबिलियत जानिये नहीं रहा था। उ तो दारोगा रुपा तिर्की की संदेहास्पद अकाल मौत ने आपको “ख्याति” दिला दिया, आप बड़ा नाम बन गये। वर्ना आप तो छुपे रुस्तम रह जाते। (जारी)

  1. मिसीर जी, आपसे पनाह मांग रहे दलित, मुस्लिम, आदिवासी, बैकवार्ड सब एक साथे आप पर टूट पड़ा है। और आप जिस पार्टी के केन्द्रीय सचिव है, जिनके विधायक प्रतिनिधि है, वो लोग भी आपके बचाव में नहीं कूद रहा है। जिनके लिए आप हलाहल पी रहे उ लोग काहे आपको अकेले मजधार में छोड़ दिया है?