विधायक निधि फंड से अनुशंसा वापस लेने के मामले पर सरयू उवाच, मतलब ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया
सरयू उवाच – बीती रात 10.00 बजे से 10.30 बजे के बीच जमशेदपुर से प्रकाशित हिन्दी के चार बड़े दैनिक समाचार पत्रों के संवाददाताओं ने मुझे बारी-बारी से फोन किया और एक ही प्रश्न किया कि क्या आपने सदर अस्पताल के डायलिसिस सेंटर के लिये विधायक निधि से फंड देने की अनुशंसा वापस ले लिया है? मैंने उनसे पूछा कि आपको कैसे जानकारी मिली तो उन्होंने कहा कि विश्वसनीय स्रोत से हमें यह सूचना मिली है, आपको हमने केवल कंफर्मेशन के लिये फोन किया है।
संवाददाताओं से स्रोत की जानकारी जानना अनुचित होता है, इसलिये मैंने स्रोत पूछे बिना उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया। आज उन सभी समाचार पत्रों में आज इस आशय का समाचार प्रकाशित हुआ है। पू० सिंहभूम के सिविल सर्जन की ओर से समाचार पत्रों को बताया गया है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। मैं इस संबंध में हुए सभी प्रासंगिक पत्राचार सार्वजनिक कर रहा हूँ।
इन पत्रों से वस्तुस्थिति स्पष्ट हो रही है कि सिविल सर्जन ने सामग्रियों का जो दर मुझे बताया और उनके कथनानुसार मैंने विधायक निधि से उतनी राशि विमुक्त करने के लिए पूर्वी सिंहभूम के उप विकास आयुक्त को लिखा और बाद में सिविल सर्जन ने अलग से उप विकास आयुक्त को सामग्रियों का विवरण और दर भेजा उसमें कतिपय सामग्रियों के मूल्य में बड़ा अंतर है तथा मैंने जितनी सामग्रियों के लिए उप विकास आयुक्त को प्रेषित पत्र में निधि विमुक्त किया था।
उससे अधिक सामग्रियां क्रय करने के लिए उप विकास आयुक्त ने मेरी विधायक निधि से निधि निर्गत करने की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर दिया। इसकी ओर जब मैंने उप विकास आयुक्त का ध्यान आकृष्ट किया तो उन्होंने अपने पूर्व की स्वीकृति को निरस्त कर दिया और इसकी जानकारी मुझे भी दे दी और इस बारे में सिविल सर्जन को भी निर्देश भेज दिया।
ऐसी स्थिति में सिविल सर्जन का यह कहना कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है, उचित नहीं है। मैंने केवल पाँच सामग्रियों- RO Plant, Dialysis Machine, Multipara Monitor, ICU Bed, Defibrillator की अनुशंसा की थी, जबकि सिविल सर्जन के लिखने पर कुल नौ सामग्रियों के लिए निधि विमुक्त कर दी गई।