रांची प्रेस क्लब के अधिकारियों ने अपने ही बंधु-बांधवों के मुंह पर गैरों से कालिख पुतवाई, उल्लू बनवाया, उगाही के आरोप लगवाएं सो अलग
अभिनन्दन करिये रांची प्रेस क्लब के अधिकारियों का, इन्होंने अपने ही सदस्यों (बंधू-बांधवों) को उल्लू बनाया हैं, इस कोरोना काल में आपदा को अवसर में बदलकर जमकर लूटपाट मचाई हैं, गैरों से अपने मुंह पर कालिख पुतवाई है, पूरे राज्य ही नहीं पूरे देश के लोगों के आखों में धूल झोंककर ईमानदार पत्रकारों की इज्जत लूटी है और जिसका जीता जागता सबूत है, रांची से प्रकाशित सांध्यकालीन अखबार “बिरसा का गांडीव” के आज का अंक।
जिसका फ्रंट न्यूज का हेडलाइन है – “आपदा या अवसर, रांची प्रेस क्लब में हॉस्पिटल के नाम पर लाखों का वारा-न्यारा, उपकरण के नाम पर सिर्फ ईसीजी मशीन, गांडीव स्पेशल” सब हेडिंग है – “मिशन ब्लू फाउंडेशन के नाम पर हो रही उगाही, पकंज सोनी बोले प्रेस क्लब खुद कर रहा उगाही”। नीचे रांची प्रेस क्लब के महान महासचिव अखिलेश कुमार सिंह का बयान है जांच में दोषी होने पर करेंगे कार्रवाई, सच्चाई ये है कि इनकी ये भी ताकत नहीं कि ये सच को सच बोल सकें।
लेकिन बात ऐसा करेंगे, जैसे लगता है कि पूरे देश के पत्रकारों के सबसे बड़े मार्गदर्शक यही है, इनकी कार्यप्रणाली बताती है कि इन्होंने हमेशा ही गलत लोगो को प्रश्रय दिया, जिसका परिणाम अब सामने दिख रहा है। जिस दिन रांची प्रेस क्लब में अस्पताल का उदघाटन हो रहा था तो कई लोगों ने इस कार्य को महान बताते हुए लिखा था कि “शानदार, जबर्दस्त, जिंदाबाद, रांची प्रेस क्लब कमेटी को बधाई। साथी पत्रकारों को जानकर यह खुशी होगी कि आरपीसी देश का पहला प्रेस क्लब है, जहां अपने साथियों का निःशुल्क इलाज होगा।”
ये संवाद किसी एक के नहीं थे, बल्कि जो भी संवेदनशील प्राणी है, उनके हो सकते हैं, पर मैंने इस दिन भी अंगूली उठाई थी और ये कहा था कि रांची प्रेस क्लब को तो ये महल राज्य सरकार ने अभी स्थानान्तरित भी नहीं किया है, जिनके पास अपने महल है, जैसे रांची क्लब, जिमखाना क्लब, उन्होंने अपने यहां कोविड अस्पताल क्यों नहीं खोला? जाहिर है, क्लब, क्लब के लिए होता है और अस्पताल, अस्पताल होता है, फिर भी आपने खोल दिया और जिसके सहयोग से खोला उसकी आपने जमकर आरती भी उतारी, और उन्होंने भी प्रेस क्लब की आरती उतारी, लेकिन ये क्या?
अब तो जिन्होंने रांची प्रेस क्लब में अस्पताल खोला, वो भी आपका यानी रांची प्रेस क्लब का पैंट उतार रहे हैं, जांघिया उतार रहे हैं, कह रहे है कि रांची प्रेस क्लब वाले उगाही कर रहे हैं? शर्म करिये, शर्म करिये, डूब मरिये, और हमें लगता है कि डूब मरने के लिए आप सभी को ज्यादा दूर जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
कमाल है, जो भी आपको सही बात बताता है, आपलोग उसे गाली देते हैं, उसे प्रेस क्लब से हटाते हैं, उस पर थू-थू करते हैं, और अपने मुंह या चेहरे पर कभी नहीं गौर फरमाते, कितने थूक कब और किसने आप पर दे मारे, कमाल है – विनय मुर्मू और रांची प्रेस क्लब का अध्यक्ष एक ही अस्पताल, सदर अस्पताल में भर्ती, एक को भीआइपी ट्रीटमेंट और एक डाक्टर के लिए तरस गया, वह भी 27 दिनों तक, वाह रे महान लोगों, कौन सा सूरत लेकर भगवान के पास जाओगे।
कांग्रेस पार्टी के संजय पाडे के पास जाकर उनसे खाने के पैकेट लेते हो, और पचास पत्रकारों को भिखमंगों की तरह लाइन लगवाकर उन्हें नेताओं से भोजन पैकेट थमवाते हो, क्या ये शर्मनाक घटना नहीं, और आज तो बिरसा के गांडीव ने तुम्हारी बैंड बजा दी है, बैंड समझते हो न, कि वो भी समझाएं।
आखिर इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई, वो इसलिए हुई कि कभी भी आपलोगों ने अपने से अधिक अनुभवी व्यक्तियों को सम्मान ही नहीं दिया, और न ही उनसे पूछे कि हमलोग ये काम कर रहे हैं, उसे कैसे करें? आप तो यश कमाने के चक्कर में अपयश कमा लेते हैं, जिसमें अपना और रांची प्रेस क्लब दोनों का बैंड बज जाता है।
क्या आवश्यकता है ऐसे कार्य करने की जब आप आर्थिक रुप से मजबूत नहीं हैं, जब आप आर्थिक रुप से मजबूत होंगे तो करेंगे, लेकिन आर्थिक रुप से मजबूत नहीं हैं, और ऐसे लोगों से आप आर्थिक मदद लेंगे, जो अपनी आर्थिक शक्ति के मजबूत करने के लिए आपका सहारा लेते हैं और आपको ही दोजख में डालकर आगे निकल जाते हैं, तो ऐसे में वहीं होगा, जैसा आज हुआ?
बिरसा के गांडीव ने ऐसा संधान किया, कि उसके तीर से आप घायल होकर, इधर-उधर मुंह ताक रहे हैं। जाइये फिर लालपुर और थाने में बैठकर बिरसा के गांडीव पर एक शिकायत दर्ज करवा दीजिये, आपलोग तो ऐसा करने में माहिर है। आपलोग तो अपने सच्चे भाइयों को कोई मदद नहीं करते और न ही उनका सम्मान करते हैं, सम्मान तो आप महिलाओं तक को नहीं करते, उसके कई प्रमाण है, अगर उस प्रकरण को जोड़ा जाय, तो एक श्रीरामचरितमानस लिखा जायेगा।
पिछले साल भी आपलोगों ने ऐसे लोगों से मदद लेकर भोजन के पैकेट बांटे थे, फोटो खिचवाया था, सड़क पर बिठाकर अपने ही पत्रकारों को भोजन कराया था, जिस पर हमने उस समय भी लिखा था, आप सभी को बड़ी तिरतिरी लगी थी, आज तिरतिरी क्यों नहीं लग रही? जाइये, आपको मिशन ब्लू फाउंडेशन का पंकज सोनी कही का नहीं छोड़ा, अखबार पढ़िये, क्या बोल रहा है – वो कह रहा है कि उस पर जो भी आरोप हैं झूठे है, रांची प्रेस क्लब के लोग अस्पताल के लिए उगाही कर रहे हैं, उसने कह दिया कि एक विधायक से पांच लाख, एक ठेकेदार से दो लाख और एक समाजसेवी से पचास हजार रुपये क्लब वालों ने लिये हैं।
आश्चर्य यह भी हो रहा है कि पंकज सोनी ने बड़े गर्व से कहा कि योगदा सत्संग से उसने दो लाख रुपये लिये हैं, अब सवाल उठता है कि योगदा सत्संग के संन्यासी इस पंकज सोनी के जाल में कैसे फंस गये? हमें लगता है कि योगदा सत्संग मठ इस पर जरुर चिन्तन कर रहा होगा, क्योंकि ये मठ तो हमेशा गरीबों के आंसू पोछने के लिए जाना जाता है, इस संस्था के साथ चीटिंग करना किसी को भी भारी पड़ सकता है।
ऐसे पूरे मामले को देखा जाये तो रांची प्रेस क्लब की आज बैंड बज गई है, और इसके लिए सारा श्रेय अगर किसी को जाता हैं, तो वह हैं बिरसा का गांडीव। पूरे सोशल साइट पर आज बिरसा का गांडीव छाया हुआ है, और रांची प्रेस क्लब के अधिकारियों का समूह मुंह छुपाता नजर आ रहा है। शर्म करो, रांची प्रेस क्लब के लोगों, तुमसे अच्छे तो … एक पत्रकार ने आपकी हरकतों पर ठीक ही लिखा है – “अगर बात सच्ची है तो, प्रेस क्लब का लिलार शुरु से ही चमक रहा है, एहि सब लच्छन में आईपीआरडी का दफ्तर खुलवाइयेगा बिल्डिंग में।”
शर्मनाक..थू छि ..का return है