अपनी बात

RTI एक्टिविस्ट महेश को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पत्र लिखना पड़ा महंगा, झेल रहे हैं मुकदमा, मिली अग्रिम जमानत

एक आरटीआई एक्टिविस्ट को कितना दर्द झेलना पड़ता है, कितना झूठा केस झेलना पड़ता है और उससे उसकी जिंदगी कितनी तबाह होती है, वो कोई बाघमारा के आरटीआई एक्टिविस्ट महेश कुमार से जाकर पूछे। धनबाद के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने महेश को एक केस में अग्रिम जमानत दी है।

ये अग्रिम जमानत उसे उस केस में लेनी पड़ी है, जिसकी सच्चाई से कोई वास्ता ही नहीं, दरअसल महेश ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पोषाहार मामले पर एक पत्र भेजा था, जिसको लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने धनबाद के उपायुक्त को कई पत्र लिखे, पर धनबाद के उपायुक्त ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया, इधर बार-बार पत्र लिखने के बाद एक जांच टीम बनी।

इस जांच टीम के बनने के बाद वही का एक कर्मी ने महेश कुमार को सरकारी कामकाज में बाधा डालने का एक मुकदमा दर्ज करा दिया, मुकदमा तो मुकदमा है, इसलिए महेश को अदालत की शरण लेनी पड़ी, उसे अदालत में अग्रिम जमानत की याचिका दायर करनी पड़ी, फिलहाल उसी मामले में उसे अग्रिम जमानत मिली है।

इधर महेश कुमार इस मामले में विस्तार पूर्वक विद्रोही24 को बताते हुए कहते है कि उन्होंने धनबाद जिला अन्तर्गत बाघमारा प्रखंड के भीमकनाली पंचायत के बड़ा-पाण्डेडीह हीरक रोड स्थित खटाल के पास नाली में भारी मात्रा में  पोषाहार पैकेट फेंके जाने के मामले में जिला स्तर के तीन सदस्यीय कमेटी बना कर उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली से किया था।

जिस पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के तीन पत्रों का जवाब धनबाद के उपायुक्त ने नहीं दिया था, इसलिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उपायुक्त को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था, उसके बाद एडीएम विधि व्यवस्था, धनबाद ने इस मामले में जांच किया, इस जांच से चिढ़ कर सीडीपीओ बाघमारा के इशारे पर कर्मी गणेश रवानी ने महेश कुमार के विरूद्ध सरकारी काम में बाधा डालने का झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया।

इसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता महेश कुमार ने सरकारी काम में बाधा डालने के केस में सीजेएम कोर्ट, धनबाद में अग्रिम जमानत का याचिका दायर किया था, जिसका संख्या- 783/2021 है, जिस पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, धनबाद ने महेश कुमार को जमानत दे दी।