राजनीति

वर्तमान TAC अंसवैधानिक, हेमन्त सरकार द्वारा बुलाई गई TAC की पहली बैठक का भाजपा ने किया बहिष्कार

प्रथम ग्रासे मच्छिकापातः। हेमन्त सरकार ने आज TAC की प्रथम बैठक बुलाई है। भाजपा ने इस बैठक में नहीं जाने का निर्णय लिया है। भाजपा का कहना है कि चूंकि पूरी TAC ही अंसवैधानिक है, ऐसे में इस बैठक में भाग लेने का सवाल ही नहीं उठता। इस बात की जानकारी राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने भाजपा प्रदेश मुख्यालय में एक प्रेस कांफ्रेस में दी।

ऐसा नहीं कि केवल भाजपा ने ही इस टीएसी पर अपनी बातें रखते हुए, इसे अंसवैधानिक बताया, अंसवैधानिक बतानेवालों में खुद टीएसी की नियमावली बनानेवाले लोगों में से कुछ लोग भी शामिल है, एक ने तो यहां तक आरोप लगाया कि उसे नियमावली बनानेवालों में रखा गया, पर नियमावली उसके पहले ही बन चुकी थी, ये कहनेवाले थे – आदिवासी मामलों के जानकार, प्रेम चंद मुर्मू।

इधर बाबू लाल मरांडी ने संवाददाताओं को बताया कि उन्होंने आज भाजपा प्रदेश कार्यालय में अपने प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के साथ बैठक की, जिस बैठक में वे स्वयं, नीलकंठ सिंह मुंडा, कोचे मुंडा, गंगोत्री कुजूर, अरुण उरांव तथा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के नेता तथा अन्य प्रमुख आदिवासी नेता मौजूद थे, सभी ने एक स्वर से इस टीएसी को लेकर कहा कि टीएसी का गठन ही अंसवैधानिक है, ऐसे में इसके बैठक में जाने का सवाल ही नहीं उठता।

भाजपा नेता का कहना था कि कुछ बातें उन्होंने सरकार के पास रखी थी, उनकी बातों को भी सरकार ने दरकिनार कर दिया। जैसे टीएसी में एक महिला का होना जरुरी था। टीएसी में हाशिये पर गये ऐसे आदिवासी समाज का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए था, ताकि उस समाज के लोग भी स्वयं को अछूता नहीं समझे, पर यहां तो सरकार किसी की सुन ही नहीं रही।

इधर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि राज्य की प्रमुख दूसरी पार्टी भाजपा का टीएसी की बैठक से खुद को अलग रखना, बताता है कि टीएसी की नई कमेटी को ग्रहण लग चुका है, चाहे सरकार मानें या न मानें। ग्रहण लगने का दूसरा कारण यह भी है कि कई आदिवासी संगठनों ने भी इसके गठन को लेकर तरह-तरह की आशंकाएं व्यक्त की है, जिसमें सभी का ये कहना था कि टीएसी का गठन ही पूरी तरह असंवैधानिक है और ये अंसवैधानिक कृत्य ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा, ये अपने कृत्यों से स्वयं ही समाप्त हो जायेगा, जिसमें पहली आहूति देने का कार्य भाजपा ने कर दिया है।