राजनीति

कृषि मंत्री का मुस्लिमों पर और मुख्यमंत्री का चर्च पर वार

एक ओर पूरे देश में भूख से मरी 11 वर्षीया संतोषी और वृद्ध रिक्शाचालक वैद्यनाथ दास की चर्चा जोरों पर है, पर इन सबसे बेफिक्र अगर कोई इस राज्य में है तो एक कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह तो दूसरे हमारे राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास। इनका इनसे कोई लेना देना नहीं, ये तो मुस्लिम और चर्च से बाहर ही नहीं निकलना चाहते, क्योंकि वे जानते है कि भूख से हुई मौत से उनका अपना असली चेहरा उजागर होता है, तथा मुस्लिमों और चर्च की बात करने पर अपना चेहरा छुपाने का सही मौका मिल जाता है।

जरा देखिये पहले कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह को, सारठ के एक गांव में क्या बोल रहे है? सारठ में भाजपा की ओर से सारठ विधानसभास्तरीय आदिवासी सम्मेलन सह सम्मान समारोह आयोजित है, ये विजयूल 21 अक्टूबर 2017 का है। ये अपने विरोधी शशांक शेखर भोक्ता को निशाने पर ले रहे है और उनका निशाना किस ओर है, जरा स्वयं देखिये?  यह भी देखिये कि इनके जुबान से कैसे एक समुदाय के लिए रस टपक रहे हैं?  और वे अपनी ही पार्टी के अंदर रह रहे उक्त समुदाय से कैसे अनुरोध कर रहे हैं?  कि अगर उनको बुरा लग रहा हो तो वे उन्हें माफ करें, क्योंकि वे सच बोलते है, लीजिये कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह का भाषण सुनिये।

और अब बात मुख्यमंत्री रघुवर दास की। वे मिशनरियों पर धावा बोल रहे है। वे कहते है कि लोगों की नहीं, चर्च की जिंदगी बदल गयी है। वे खुलकर कहते है कि कांग्रेस के इशारे पर ईसाई मिशनरियों ने जनजातियों का धर्मांतरण कराया। हो सकता है कि उनका कथन सही भी हो, पर क्या एक ओर जहां राज्य में किसान आत्महत्या कर रहे हैं लोग भूख से मर रहे है, क्या वहां धर्म-समुदाय की बात, सचमुच इतनी महत्वपूर्ण हो गई। करना तो इन्हें यह चाहिए था कि जिस आधार का बहाना बनाकर साढ़े ग्यारह लाख लोगों के राशन कार्ड रद्द किये गये और जिसने ऐसा कराया, उसे ये निलंबित करते, पर हम जानते है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास में इतनी ताकत नहीं कि वे उन्हें निलंबित कर दे। मैं तो कहता हूं कि निलंबन तो दूर, वे स्थानान्तरण भी उसका नहीं करा सकते, क्योंकि मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी पता है कि फिलहाल राज्य का असली मुख्यमंत्री कौन है?

इधर भूख से हो रही मौत पर, प्रशासनिक अधिकारी पर्दा डालने के लिए तैयार बैठे है, हर भूख की मौत की, बीमारी तय कर दी गई है, भारतीय प्रशासनिक अधिकारी जो देश के महान प्रशासक माने जाते है, उन्होंने स्वयं को बचाने के लिए हर प्रकार की तैयारी कर ली हैं, इसलिए भूख से हो रही मौत पर ज्यादा मत बोलिये, नहीं तो आज एक अखबार ने लिख ही दिया है कि जो सिमडेगा के उस पंचायत में जा रहे है, जहां भूख से संतोषी की मौत हो गई है। उन लोगों पर प्रशासन की नजर है, अब ये नजर आगे चलकर क्या गुल खिलायेगी? अब आप समझते रहिये?