जैसे ही कांग्रेस की महिला विधायकों ने आंखे तरेरी, झारखण्ड पुलिस को हुआ बुद्धत्व की प्राप्ति, अपनी गलतियों पर पर्दा डालने का किया असफल प्रयास
उधर हेमन्त सरकार को समर्थन दे रही कांग्रेस की महिला विधायकों ने आंखे तरेरी और इधर राज्य के सीएम हेमन्त सोरेन और उनके परिक्रमाधारियों के इशारे पर ता-ता, थैया कर रही झारखण्ड की पुलिस ने तीन सूत्री कार्यक्रम बनाकर इन महिला विधायकों के क्रोध को कम करने का असफल प्रयास कर डाला। इन महिला विधायकों में सबसे ज्यादा अगर कोई हमलावर रही तो वो थी, महगामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह, इन्होंने साफ कहा कि राज्य की पुलिस असंवेदनशील है।
ज्ञातव्य है कि इन महिला विधायकों में दो विधायकों के खिलाफ तो राज्य की पुलिस ने विभिन्न थानों में केस भी दर्ज करा दिये हैं। इन महिला विधायकों की नाराजगी इस बात के लिए ज्यादा थी कि उनकी बातें कोई पुलिस के बड़े अधिकारी सुनते ही नहीं, जबकि झामुमो के किसी भी बड़े/छोटे नेता के इशारे पर ये पुलिस पदाधिकारी इतने सक्रिय हो जाते है कि उतना पार्टी का कार्यकर्ता सक्रिय भी नहीं होता। स्थिति यह है कि अपनी ही सरकार में उन महिला विधायकों की ये पुलिसवाले सुनते ही नहीं, ऐसे में इन महिला विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर के आवास पर जुट गई।
जिनकी संख्या चार थी। इन महिला विधायकों में प्रमुख थी –दीपिका पांडेय सिंह, अम्बा प्रसाद, पूर्णिमा सिंह एवं ममता देवी। इन चारों महिला विधायकों में सर्वाधिक मुखर दीपिका पांडेय सिंह रही, बाकी को राज्य सरकार और उनके पुलिसकर्मियों पर गुस्सा तो था, पर वे मीडिया के सामने कुछ भी बोलने से बचना चाह रही थी, शायद वे अपने आलाकमान के नजरों में बदनाम नहीं होना चाहती थी या कही दांव उलटे न पड़ जाये, इससे बचना चाहती थी।
कल ही दीपिका पांडेय का बयान आया था कि राज्य में कुछ लोगों के लिए अलग कानून है, तो कुछ के लिए अलग। एक तरफ जिलाध्यक्ष दस-दस बॉडीगार्ड लेकर घूम रहा हैं तो दूसरी तरफ विधायकों को एक भी नहीं। पुलिस प्रशासन की ओर से कांग्रेस के महिला विधायकों को बेवजह परेशान किया जा रहा है, साथ ही उन पर सरकारी काम-काज में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाकर केस किया जा रहा, वहीं दूसरी ओर बाकी लोगों को संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विधायक तो दूर कांग्रेस विधायक दल के नेता की भी बातें नहीं मानी जा रही है।
महिला विधायकों की इस प्रकार की नाराजगी से कांग्रेस के अंदर भी भूचाल है। ये सारी महिला विधायकें अपनी-अपनी गाड़ी से आलमगीर आलम के आवास पर पहुंची थी, पर गई साथ में एक ही गाड़ी पर, जिसे ड्राइव पूर्णिमा सिंह ने किया। राजनीतिक पंडितों की मानें, तो आज की ये महिला विधायकों की बैठक झारखण्ड में करवट ले रही राजनीति का प्रथम संकेत है, अगर सरकार मान गई तो ठीक हैं, नहीं तो समझ लीजिये, सरकार का लड़खड़ाना आज से शुरु।
इधर राज्य सरकार भी इनसे इतनी घबराई की राज्य के पुलिस महानिदेशक की ओर से तीन सूत्री पाठ राज्य के सभी वरीय पुलिस अधिकारियों को पढ़ाया गया और कहा गया कि वे इस पर अमल करें। वो पाठ था –
- माननीय मंत्रियों/माननीय सांसदों/माननीय विधायकों एवं जनप्रतिनिधियों के साथ शिष्टाचार के अनुसार उचित आदर के साथ व्यवहार करना सुनिश्चित करें।
- माननीय मंत्रियों/माननीय सांसदों/माननीय विधायकों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा किये गये अनुरोध पर त्वरित संज्ञान लेना सुनिश्चित करें।
- जनप्रतिनिधियों द्वारा संज्ञान में लाये गये मामलों पर यथाशीघ्र नियम संगत एवं विधिसम्मत् कार्रवाई करते हुए उचित सहयोग प्रदान करना सुनिश्चित करें।
सच्चाई यह भी है कि अगर महिला विधायक ये कह रही है कि झारखण्ड पुलिस असंवेदनशील हैं तो वो गलत भी नहीं हैं, विद्रोही24 के पास इसका पुख्ता प्रमाण हैं, जब से हेमन्त सरकार सत्ता में आई है, पुलिस महानिदेशक के रुप में नीरज सिन्हा का आगमन हुआ है, अपराधियों की तो जैसे लगी की लॉटरी ही निकल गई है। वो अपराधी किसी भी पेशे में क्यों न हो, यहां की पुलिस उसे भरपूर सहयोग कर रही हैं, जिससे सामान्य जनता त्राहिमाम्-त्राहिमाम् कर रही हैं, किसी को भी झूठे केस में फंसा देना, उसकी जिंदगी तबाह कर देना, केस को ट्रू करने का षडयंत्र रचना, सीसीटीवी फूटेज को मिटाने में दिमाग लगाना, किसी को भी बेवजह पुलिस थाने बुलाकर तंग करना, यहां की पुलिस का बाये हाथ का खेल हो गया है। ऐसे में इन बेचारी महिला विधायकों का गुस्सा चरम पर हैं, तो गलत नहीं हैं, इसमें शत प्रतिशत सच्चाई है।