केवल महिला आयोग ही क्यों? देश में पुरुष आयोग क्यों नहीं, क्या पुरुषों पर महिलाएं अत्याचार नहीं कर रही?
इस पुरुष प्रधान समाज में महिला आयोग की तरह पुरुष आयोग की मांग बहुत सारे लोगों को अटपटा सा लगता होगा, पर जो पुरुष महिलाओं से प्रताड़ित होते रहते हैं, उनके लिये ये मांग अतिमहत्वपूर्ण है। ऐसे कई पुरुष विद्रोही24 को मिले, जिन्होंने खुलकर कहा कि वे महिलाओं से प्रताड़ित हैं और वे पुरुष आयोग बनाये जाने का समर्थन करते हैं।
झारखण्ड में कुछ लोग ऐसे हैं, जो हर साल दिल्ली के जंतर-मंतर जाते हैं और वहां प्रदर्शन करते हैं, इधर पुरुष आयोग के पक्ष में जमशेदपुर की वरिष्ठ महिला पत्रकार अन्नी अमृता ने भी मुंह खोला है और इसके पक्ष में वे आ चुकी है। संभवतः अन्नी अमृता पहली महिला हैं, जो पुरुषों के लिए बनाये जानेवाले पुरुष आयोग के समर्थन में खुलकर आ चुकी है।
चूकिं अन्नी अमृता बेकार सवाल नाम से यू-ट्यूब पर अपना स्पेशल चैनल खोली है, और उसमें खुलकर समाज के अंदर चल रही विभिन्न प्रमुख मुद्दों पर अपनी बातें रख रही हैं। अन्नी अमृता का कहना है कि क्या पुरुष आयोग नहीं होना चाहिए। वो बताती है कि जमशेदपुर के रामनाथ दास हर साल दो अक्टूबर को दिल्ली जाकर पुरुष आयोग की मांग करते हुए अपने साथियों के साथ धरने पर बैठते हैं।
इनलोगों का कहना है कि नारी उत्पीड़न का आरोप लगाकर उन पर झूठे केस किये गये, जिससे परिवार बिखर गया। उनका मानना है कि आजकल पुरुषों पर भी कम अत्याचार नहीं होते, जिसको देखते हुए पुरुषों को भी संरक्षण देने और उनकी सुनने की आवश्कता है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो ये पुरुषों पर अत्याचार ही है।