अभिनन्दन अंकित, अतुल, अन्नी और अधिवक्ता सीमा का जिनके संयुक्त प्रयास से HC द्वारा उषा देवी की बीमारी के इलाज का मार्ग प्रशस्त हुआ
कुछ दिन पहले जब उषा देवी के बच्चे रांची स्थित मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे, तब हेमंत सरकार ने फंड का रोना रोकर ब्लैक फंगस की शिकार ऊषा देवी के इलाज से अपना पल्ला झाड़ लिया था, जिसके बारे में विद्रोही24 ने लिखते हुए सरकार को न सिर्फ तागीद की थी बल्कि अच्छी सलाह भी थी। लेकिन सरकार ने तमाम मीडिया रिपोर्टस और मसले को लेकर व्यापक छीछालेदर के बावजूद अपने पीए के माध्यम से पचास हजार की मदद की पेशकश कर अपना पल्ला झाड़ लिया, वो भी तब जब खुद सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर रखा है।
पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी भी लगातार रिम्स प्रबंधन से मामले की गंभीरता को देखते हुए उचित पहल की मांग करते रहे और ट्विटर पर मुखर रहे लेकिन रिम्स से सकारात्मक मदद नहीं मिली। एक समय विद्रोही24 को भी लगा कि इस सरकार को जगाना मुश्किल है, लेकिन धन्य है धनबाद का अंकित राजगढ़िया जिसने हिम्मत नहीं हारी और ट्विटर पर ब्लैक फंगस की शिकार उषा देवी को लेकर लगातार मुखर होकर सरकार पर चोट कर रही वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता से पूछा कि क्या हाई कोर्ट में उनकी कोई परिचित हैं जो गरीबों की आवाज़ हाई कोर्ट में उठा सकें।
तब अन्नी अमृता ने जमशेदपुर कोर्ट के वरीय अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू से इस बाबत सलाह मशविरा किया। पप्पू जी ने हाई कोर्ट की अधिवक्ता सीमा से संपर्क करने को कहा ताकि मरीज के बच्चों को चीफ जस्टिस के नाम पत्र लिखवाया जा सके। अन्नी अमृता ने अधिवक्ता सीमा का नंबर लेकर उनसे बात की और अंकित राजगढ़िया को सीमा का नंबर दे दिया। इसके बाद अंकित राजगढ़िया ने ब्लडमैन कहलाने वाले समाजसेवी अतुल गेरा और अधिवक्ता की मदद से मरीज उषा देवी के बच्चों से झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम पत्र लिखवाया।
अतुल गेरा, अंकित और अन्नी अमृता बच्चों से फोन पर बात कर उनका हौसला बढ़ाते रहे। सीएम के पीए के यहां क्या कुछ हो चुका था, ये आप सब विद्रोही24 में पढ़ ही चुके हैं, उसके बाद भी अपनी मां की जान की गुहार लगा रहे, इन बच्चों ने भी हार नहीं मानी और जैसा उनको गाइड किया गया वे करते रहे। गरीबी के बावजूद हिम्मत के मामले में वे काफी अमीर हैं।
चीफ जस्टिस के नाम पत्र में बच्चों ने सीएम के पीए की ओर से कही गई बातों का जिक्र कर दिया था। उधर अधिवक्ता सीमा ने न सिर्फ पत्र को लेकर गाइड नहीं किया बल्कि वे खुद रिम्स के डायरेक्टर से मिलने गईं, जहां रिम्स प्रबंधन की ओर से बताया गया कि सरकार की तरफ से सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। उधर पत्र के हाई कोर्ट में पहुंचने के बाद अधिवक्ता ने महती भूमिका निभाई।
उन्होंने इस मसले पर अंकित और अन्नी अमृता को आश्वस्त किया कि जरूरत पड़ने पर वे खुद अपने खर्चे पर रिट याचिका दायर करेंगी लेकिन चीफ जस्टिस के उस पत्र के संज्ञान ले लेने से अब उषा देवी के बेहतर इलाज का न सिर्फ रास्ता साफ हो गया है बल्कि हाई कोर्ट ने ब्लैक फंगस को लेकर सरकार से जवाबदेही मांगते हुए कई सवाल भी किए हैं।