भाजपा के लोग किसी के खिलाफ झूठे केस करें, किसी की टेटूआ दबाएं तो गलत, और झामुमो करें तो सही
पता नहीं सत्ता मिलने के बाद, कुछ नेताओं को यह ऐहसास क्यों होने लगता हैं कि दुनिया में उससे बड़ा कोई बुद्धिमान आज तक पैदा ही नहीं हुआ। दरअसल मैं देख रहा हूं कि जो बिमारियां दो वर्ष पूर्व तक भाजपाइयों में व्याप्त थी, वहीं बिमारियां बड़े पैमाने पर झामुमो के नेताओं को हो गई है। जरा देखिये न, आज ही झामुमो के केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने क्या-क्या बाते कह दी, पर कहने के दौरान ये नहीं सोचा कि जो तोहमत वे भाजपा पर लगा रहे हैं, उन तोहमतों के हकदार तो वे भी हैं।
जरा देखिये, आज का प्रेस कांफ्रेस उनका तीन मुद्दों पर हैं। 1. स्टेन स्वामी 2. द्रौपदी मुर्मू और तीसरा केन्द्रीय मंत्रिमंडल विस्तार। हम तीनों पर इनकी बातों का ऑपरेशन करेंगे, झामुमो को सीखना हैं तो सीखे नहीं तो जिस ढर्रें को अपनाया हैं, अगर ये ढर्रा इसी तरह चलता रहा तो कब इनकी सरकार रसातल में चली जायेगी, इन्हें पता भी नहीं चलेगा।
पहली बार स्टेन स्वामी की मौत को लेकर सुप्रियो ने कहा कि उनके मुखिया हेमन्त सोरेन ने देश के नौ अन्य नेताओं (मेरे अनुसार सारे के सारे आउटडेटेड नेता, जिनका जनता पर कोई पकड़ ही नहीं) के साथ भारत के राष्ट्रपति को पत्र लिखा है, फादर स्टेन स्वामी को लेकर उनका आंदोलन इसी तरह अनवरत् चलता रहेगा। अरे भाई, जब वे जिन्दा थे, तो उन्हें जिन्दा रखने के लिए तो कोई प्रयास नहीं किया, अब वे मर गये तो कह रहे हो कि हम आंदोलन करेंगे, ये क्या मजाक है?
जनता को आप इतना उल्लू क्यों समझते हो। महाराष्ट्र में जहां फादर स्टेन स्वामी की मौत हुई, वहां तो आपकी ही सरकार थी, क्या किया आपने? दस नेताओं में तो एक ऐसी भी नेतृ हैं, जब वो बीमार पड़ती हैं तो कब विदेश चली जाती हैं और कब विदेश से लौट आती हैं, मीडिया तक को भी पता नहीं चलता, ऐसे में फादर स्टेन स्वामी को तो आप जैसे लोगों वाली सुविधा मिल जाती तो बचाया ही जा सकता था, आपलोगों ने भी तो भाजपा के भरोसे ही छोड़ दिया, ये क्या आंदोलन करने के नाटक से आप बच जायेंगे, ऐसा संभव नहीं।
आप कहते है कि आजकल भाजपा के खिलाफ जो बोलता है या आवाज उठाता है, उसकी आवाज को दबा दिया जाता है। क्या आपलोग वैसा नहीं कर रहे, अरे आप भी वहीं कर रहे हैं? भाजपा अपने विरोधियों की आवाज बंद करा रही हैं और आप भी जो आपको सही राह दिखा रहा हैं, उसकी बोलती बंद करा रहे हैं, उसे झूठे मुकदमे में फंसा रहे हैं, और इसके लिए ब्लैकमेलरों का इस्तेमाल करते हैं, उनके साथ गलबहियां करते हैं, मुस्कुराते हैं, जी-जी कहकर संबोधित करते हैं, लानत है ऐसी डबल स्टैंडर्ड वाली सोच पर।
आप कहते है कि झारखण्ड के 20 सांसदों वाले राज्य में भाजपा के 16 सांसद हैं, कम से कम चार मंत्री तो बना ही सकते थे, अरे भाई किन्हें मंत्री बनाना है, कितने को मंत्री बनायेंगे, कहां से बनायेंगे, ये आप से पूछेंगे, आपने जब झारखण्ड मे सरकार बनाया था तो पीएम मोदी या रघुवर दास से पूछने गये थे, या उन्होंने टीका-टिप्पणी की थी, अरे उनका विशेषाधिकार हैं, वे जो करें। वे जब झारखण्ड से चुने गये प्रत्याशियों को अपने मंत्रिमंडल में स्थान देते हैं तो आप उन्हें झारखण्डी मानने को तैयार नहीं, लेकिन आप जब केडी सिंह और संजीव कुमार को राज्यसभा भेजे थे, तो वे शत प्रतिशत् दुध में धूले झारखण्डी थे क्या?
आप वो करिये न, जो करने के लिए आये हैं। आप हमेशा आदिवासी-मूलवासी करते रहते हैं, कितने आदिवासी-मूलवासी को बढ़ाया, बताइये। कौन आपको रोक रहा हैं, अरे दो साल बीतने को आये, कब आदिवासी-मूलवासी को बढ़ाइयेगा। जिन्हें आप बढ़ा रहे हैं, वे सब आदिवासी-मूलवासी है क्या? साहेबगंज के पंकज मिश्रा, बोकारो के नये डीआईजी मयूर पटेल ये सारे लोग आदिवासी हैं क्या?
मुख्यमंत्री को सलाह देनेवाले कितने लोग आदिवासी-मूलवासी है, जरा बताइये और इस साल को तो आपने नियुक्ति वर्ष घोषित किया है न, बताइये छः महीने बीत गये, सातवां का एक सप्ताह बीत गया, कितने आदिवासी-मूलवासी को नौकरी दिये और अपना वायदा याद हैं न, अगर “अगर सरकार बनी तो एक साल में पांच लाख नौकरी, नहीं तो राजनीति से सन्यास” तो बताइये सुप्रियो भट्टाचार्य आपकी सरकार, आपके मुखिया कब राजनीति से सन्यास लेने जा रहे हैं, क्योंकि डेढ़ साल में तो आप कुछ नहीं कर सकें, और ये नियुक्ति वर्ष भी इसी तरह जा रहा हैं।
इसलिए आपको मेरी सलाह है – ज्यादा बोलिये मत, जनता आप पर नजर बनाई हुई है, ऐसे भी कहा जाता है कि जिनके घर शीशे के हैं, उन्हें दूसरों पर पत्थर नहीं मारना चाहिए। आज जब राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू की विदाई हो रही हैं तो आपको आदिवासी-आदिवासी सूझ रहा हैं, लेकिन उस वक्त क्यों बिलबिलाने लगे थे, जब कुछ दिन पहले राज्यपाल महोदया ने राज्य के पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा को राजभवन बुलाकर क्लास ले ली थी, आपने तो उनकी तुलना उस वक्त बंगाल के गवर्नर से कर दी थी, याद हैं कि भूल गये।
जबकि द्रौपदी मुर्मू ने ऐसी ही कार्रवाई भाजपा सरकार में भी की थी, जब रघुवर सरकार में महिलाओं पर अत्याचार बढ़ गया था, उन्होंने उसी दौरान तत्कालीन पुलिस महानिदेशक डी के पांडेय एवं एमवी राव को भी बुलाकर अपना आक्रोश व्यक्त किया था, उस वक्त तो आपको बहुत अच्छा लगा था। कमाल है, हर चीज आपके हिसाब से चलनी चाहिए तो ठीक, नहीं तो गलत। भाजपा किसी के खिलाफ झूठे केस करें, किसी की टेटूआ दबाएं तो गलत, और झामुमो करें तो सही।