CM और मुख्य सचिव को भूख के मुद्दे पर कटघरे में खड़ा करनेवाले मंत्री को हुआ दिव्य ज्ञान
कभी आपने त्रेतायुग के ‘रघुवर’ के शासन में भूख से मौत सुना है? कभी आपने ‘रघुवर’ के ‘दास’ यानी ‘हनुमान’ के कार्यस्थली ऋष्यमूक पर्वत पर भूख से मौत की खबर सुनी है? कभी आपने ‘सरयू’ के तट पर किसी को भूख से तड़प-तड़प कर मरने की कथा सुनी है? अगर नहीं, तो फिर आपने ये कैसे समझ लिया कि इस कलियुग में जहां ‘रघुवर’ और ‘सरयू’ एक साथ बैठे हो, शासन का आनन्द ले रहे हो, वहां भूख से मौत हो जायेगी?
यहां तो भूख से मौत होने का सवाल ही नहीं उठता। यहां तो सभी दूध के धूले है। साक्षात् परम पिता परमेश्वर से इनका और इनके अधिकारियों का सीधा कान्टेक्ट होता है। उन्हीं के कान्टेक्ट पर ये सारे कार्य संपन्न कर रहे होते है, इसलिए अगर किसी ने भूख से मौत की बात कहीं तो वह समझ ले, ‘रघुवर’ और ‘सरयू’ दोनों के, वे कोपभाजन बनेंगे और उन्हें लेनी की देनी भी पड़ सकती है, क्योंकि हाल ही में ‘सरयू’ केदारनाथ का दर्शन कर आये हैं, घर जाकर भंडारा भी कर चुके है, इसलिए इनका भगवान से सीधा कान्टेक्ट हैं, ये झूठ नहीं बोल सकते, इसलिए सभी हृदय से इस कलियुग के ‘सरयू’ और ‘रघुवर’ का अभिनन्दन करें तथा जो लोग भूख से मरे हैं, उन्हें भूख से मौत न बताकर, बीमारी से हुआ मौत बताये, आप बीमारी में कोई भी बीमारी का नाम ले सकते हैं।
ज्यादा दिनों की बात नहीं है, जब देश के सभी प्रमुख अखबारों व चैनलों में 11 वर्षीया संतोषी की भूख से मौत की खबर फैली तो यहीं सरयू राय प्रेस कांफ्रेस कर राज्य की सरकार और राज्य की मुख्य सचिव को कटघरे में कर दिया था, इन्होंने खुद कहा था कि संतोषी के परिवार का आधार लिंक नहीं होने के कारण राशन कार्ड़ रद्द कर दिया गया था और पिछले जुलाई माह से उसे राशन नहीं दिया जा रहा था।
जरा देखिये पिछले दिनों सरयू राय ने क्या कहा था? उन्होंने साफ कहा था कि “उनका मुख्य मकसद हैं, कारणों को जानना, गड़बड़ियों को पकड़ना तथा जनता को उनका हक दिलाना। संतोषी की मौत से साफ पता लगता है कि उस परिवार को राशन मिलना जुलाई से बंद हो गया था और इसका कारण था कि आधार कार्ड उस परिवार के पास नहीं था। इससे यह भी साबित होता है कि राज्य में बहुत सारे राशन कार्ड बंद हुए, डिलीट हुए है, जिनके पास आधार कार्ड नहीं है।
उन्होंने उस दिन कहा था कि राज्य सरकार ने अपने 1000 दिन की उपलब्धि में यह बताया था कि राज्य सरकार ने साढ़े ग्यारह लाख राशन कार्ड खत्म कर दिये, तो सरकार यह भी बताये कि उसमें कितने राशन कार्ड ऐसे है, जिनके पास आधार कार्ड नहीं था और उन राशनकार्डधारियों के राशन कार्ड खत्म भी कर दिये गये। सरयू राय ने सिस्टम पर भी सवाल उठाये थे और कहा था कि 27 मई को मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने एक वीडियो कांफ्रेसिंग की थी, उसमें उन्होंने राज्य के सारे जिला आपूर्ति पदाधिकारियों को निदेश दिया था, जिसके पास आधार कार्ड नहीं है, उनके राशन कार्ड काट दो।“
और आज उनका क्या बयान है – “सिमडेगा, झरिया, देवघर व गढ़वा में कथित भूख से हुई मौत की वजह भूख नहीं है।” हां भाई, ये लोग तो ऐसे ही मर गये। क्योंकि आपने दूध से धुले हुए अपने अधिकारियों और कई महान संस्थाओं से जांच कराई होगी, भला वे कभी झूठ बोल ही नहीं सकते और जब इनके जांच के आधार पर आपने कह दिया तो भला सरयू राय कैसे झूठ बोल सकते है? क्योंकि सरयू राय जैसा विद्वान, देशभक्त, राष्ट्रवादी, कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार व्यक्ति आज तक कभी हुआ ही नहीं और न होगा।
यानी कुल मिलाकर, सरयू राय के इस बयान से, अब रघुवर दास को भी अभयदान मिल गया, मुख्य सचिव राजबाला वर्मा भी बचकर निकल गई, और बचकर निकल गये खाद्यआपूर्ति मंत्री सरयू राय, इसलिए मैं सभी से कहता हूं, खासकर गरीबों से कि तुम जब तक इनके जैसे चालाक नहीं बनोगे, तुम्हारी बोटियां इसी तरह ये काटते रहेंगे और अपना चेहरा चमकाते रहेंगे, तुम लाख रो-रोकर इनके पास अपनी जान की भीख मांगोंगे, ये कई जांच कमेटियां बनाकर, तुम जैसे लोगों का औकात बताते रहेंगे, जैसा इस बार भी बता दिया।
ऐ गरीबों, जरा उनसे भी पूछो, जो कल तक सरयू राय की जय-जय, वाह-वाह कर रहे थे, कि आज उनका सरयू राय के नये बयान पर क्या राय है, ये फिर कहेंगे कि भला सरयू राय, वो गलत कैसे हो सकते है? गलत तो संतोषी थी उसे भूख से मरने को, वह भी भात-भात चिल्लाते हुए दम तोड़ने को किसने कहा था? भला सरयू के तट पर किसी की मौत हुई है, यहां तो सिर्फ प्राणदान मिलता है।
जरा पूछिये सरयू राय से कि पिछले दिनों जो प्रेस काँफ्रेस किये थे और जो सवाल राज्य सरकार से पूछा था, उसका जवाब कहां है? कहां हैं उस सवाल का जवाब कि “मृत संतोषी को जुलाई 2017 से राशन क्यों नहीं मिला था?” कहां है उस सवाल का जवाब जो सवाल खुद सरयू राय ने दागे थे जैसे – “राज्य सरकार ने अपने 1000 दिन की उपलब्धि में यह बताया था कि राज्य सरकार ने साढ़े ग्यारह लाख राशन कार्ड खत्म कर दिये, तो सरकार यह भी बताये कि उसमें कितने राशन कार्ड ऐसे है, जिनके पास आधार कार्ड नहीं था और उन राशनकार्डधारियों के राशन कार्ड खत्म भी कर दिये गये?” और उस सवाल का जवाब भी पुछिये, जब ये जनाब बोल रहे थे कि संतोषी के परिवार का आधार कार्ड न होने तथा उसका राशन कार्ड से लिंक नहीं होने के कारण, उसे राशन से वंचित होना पड़ा था, जबकि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने दो दिन बाद ही कह दिया कि मृत संतोषी के परिवार का 2013 में ही आधार कार्ड बन गया था यानी इस झारखण्ड में कौन नेता क्या बोल देगा? कब अपने बयान से पलटी मार देगा? कुछ कहा नहीं जा सकता?
ये झारखण्ड है भाई, विकास का भूखमरी कनेक्शन देखने के लिए आपको यहां आना ही पड़ेगा।