राजनीति

भाजपा कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी का नया नाम रखा “बाहरी जनता पार्टी”

जब से दिल्ली में नरेन्द्र मोदी सरकार में केन्द्रीय मंत्रिमंडल का नवविस्तार हुआ है। झारखण्ड के भाजपा कार्यकर्ता गुस्से में हैं। गुस्से का कारण साफ है, पुराने समर्पित पार्टियों की जगह दूसरे दलों से आये नेताओं को भाजपा में सम्मान मिलना, उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करना, उनकी ताकत को बढ़ाना आदि।

ऐसा नहीं कि इस बार भाजपा कार्यकर्ता ही गुस्से में हैं, गुस्से में तो वे बड़े नेता भी हैं, जिन्हें इन दिनों भाव नहीं मिल रहा और उनकी जगह दूसरे दलों से आये नेता, वो सारे भाव लिये जा रहे हैं। राजनीतिक पंडित कहते हैं कि अगर ये सिलसिला इसी तरह चलता रहा, तो भाजपा का नाम लेनेवाला भी झारखण्ड में कोई नहीं होगा।

कल ही झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने इस बात को अपने प्रेस कांफ्रेस में उठाया था कि भाजपा के बड़े नेता व कार्यकर्ता इन दिनों गुस्से में हैं, क्योंकि उनके दल में इन दिनों बाहरी नेताओं का बोलबाला हो गया है, जिसको लेकर गुस्साये नेता व कार्यकर्ताओं ने उनसे संपर्क किया और अपना दर्द उनसे शेयर किये।

सुप्रियो भट्टाचार्य ने बताया कि गुस्साये भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनसे कहा था कि चूंकि वे पार्टी में हैं, तो खुलकर अपने नेता या पार्टी का विरोध नहीं कर सकते, क्योंकि अनुशासन में बंधे हैं, इसलिए इस मुद्दे को आप जोर-शोर से उठाये, सुप्रियो भट्टाचार्य ने उन मुद्दों को उठाया भी। हालांकि इसका प्रतिकार भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने जोरदार ढंग से किया।

 

पर जो दृश्य नजर आ रहे हैं, वो बताते हैं कि भाजपा के अंदर सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा हैं, आक्रोश गहराता जा रहा है। भाजपा के खिलाफ जमकर अब सोशल साइट पर लोग अपनी बातें रख रहे हैं, कोई भाजपा का नया नाम रख रहा हैं तो कोई भाजपा के केन्द्रीय नेताओं के खिलाफ आग उगल रहा हैं, उन पोस्टों पर कमेन्ट्स का भी आना शुरु हो गया है।

झारखण्ड के बड़े पुराने नेताओं के चेहरे मुरझाये हुए हैं, वे दबी जूबान से कह रहे हैं कि जिसने पूरी जिंदगी पार्टी के लिए तबाह कर दी, उसे कोई पूछ नहीं रहा, और जो आजीवन भाजपा के खिलाफ विषवमन किया, वो हरियाणा का प्रभारी, पार्टी का उपाध्यक्ष और अब केन्द्र में मंत्री बन रहा, वो भी शिक्षा मंत्री, ऐसे में भाजपा की सोच का क्या बंटाधार नहीं होगा?

राजनीतिक पंडित कहते है कि भाजपा के कुनबे में अब सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा, स्थितियां बदल रही हैं, अगर भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं ने पलटी मार दी या शिथिलता बरत दी, जिसकी संभावना ज्यादा दिख रही हैं, ऐसे में पार्टी लोकसभा की 14 सीटों में से शून्य पर आ जायेगी और विधानसभा भी हाथ से निकल जायेगा।