जो आया सिंगल विंडो सिस्टम की बात किया, पर जिसके लिए ये व्यवस्था ही नहीं, वहीं सबसे ज्यादा यहां हृष्ट-पुष्ट हैं
लीजिये, हेमन्त सोरेन सरकार कृषि आधारित उद्योगों में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कृषि सिंगल विंडो लाने जा रही हैं, पर शायद लोग बहुत जल्दी भूल जाते हैं कि इस राज्य में एक ऐसे भी मुख्यमंत्री हुए, जिन्होंने किसानों की समस्याओं को सदा के लिए खत्म करने के लिए राज्य के 100 प्रखण्डों में कृषि सिंगल विंडो की स्थापना करा दी थी, जिसमें मुख्य भूमिका निभाई थी राज्य के तत्कालीन कृषि विभाग के प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने।
आश्चर्य इस बात की भी थी, कि इसी दौरान जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जमशेदपुर दौरा हुआ, तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उस दौरान दो मिनट दस सेंकेड की एक लघु फिल्म भी देखी थी, जिसे मैंने उस वक्त बनाया था, क्योंकि उस वक्त मैं झारखण्ड सरकार के लिए काम करता था, यानी सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस फिल्म को देखने के बाद अपने भाषण में इस बात का जिक्र भी किया था कि जहां एक ओर अपने राज्य में विभिन्न उद्योगों को लाने के लिए राजनीतिज्ञ उद्योग आधारित सिंगल विंडो लाने का ज्यादा से ज्यादा प्रयास करते हैं, पर यहां तो कृषि और किसानों के लिए राज्य सरकार ने सिंगल विंडो ला दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस दौरान जमकर झारखण्ड व तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास की प्रशंसा की थी, खासकर कृषि सिंगल विंडो को लेकर, मौका था राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस महोत्सव का, जो उस वक्त जमशेदपुर में आयोजित था।
चलिए हेमन्त सोरेन ने एक बड़ी लकीर खींचने की कोशिश की हैं, वे कृषि आधारित उदयोगों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने की बात कर रहे हैं, पर मेरा मानना है कि सिंगल विंडो सिस्टम का खेल तो राज्य में उस वक्त से चल रहा हैं, जब अर्जुन मुंडा ने राज्य में पहली बार सिंगल विंडो सिस्टम का उद्घाटन डोरंडा के नेपाल हाउस में किया था, तो क्या हो गया?
इसी बीच कितने मुख्यमंत्री आये और कितने चले गये, सिंगल विंडो सिस्टम ने कौन सा झारखण्ड का नया रुप बदल दिया? लेकिन जिनके लिए कोई सिंगल विंडो सिस्टम ही नहीं हैं, उन लोगों का पेट कैसे फूलता जा रहा हैं,? मेरा साफ कहना है यहां के नेताओं व आईएएस/आईपीएस के बारे में, इनके लिए तो कोई सिंगल विंडो सिस्टम नहीं हैं, फिर भी ये भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़कर अपनी सेहत कैसे सुधार ले रहे हैं?
राज्य की सेहत सुधरने के बजाय बिगड़ती क्यों जा रही हैं? भला सिंगल विंडो सिस्टम ये क्या बला है भाई? सुन-सुनके कान पक गये, जो आता है, सिंगल विंडो सिस्टम की बात करता हैं, और जिनके लिए सिंगल विंडो सिस्टम आज तक नहीं हुआ, वे अस्पताल खोल लेते हैं, स्कूल खोल लेते हैं, अपने लिए अच्छी व्यवस्था कर ले रहे हैं, कि बच्चा टूच्चा भी पैदा हो, तो उस टूच्चे बच्चे के जीवन में कभी लक्ष्मी का अभाव ही न हो।
लेकिन मैं तो कहता हूं कि तुम्हारे घर में कोई टूच्चा बच्चा हो ही नहीं, इसके लिए ईमानदारी से तुम झारखण्ड व देश की सेवा क्यों नहीं करते, क्यों बड़े-बड़े अस्पतालों में मरने के लिए जनता को लूटने का कार्य करते हो। लीजिये फिर सुनिये सिंगल विंडो सिस्टम। मतलब जो आता है, सिंगल विंडो सिस्टम की बात करता हैं, लेकिन सिंगल विंडों सिस्टम का फायदा झारखण्ड को आज तक नहीं मिला। यह भी उतना ही सच हैं,जैसे रात-दिन का होना।