अपनी बात

धन्य हैं गरीब ब्राह्मण और वो अधिवक्ता जो इस कोरोना काल में भी सनातन धर्म का ध्वज झूकने नहीं दे रहा

झारखण्ड हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता है – अभय मिश्र। वे हर अच्छे-बुरे मुद्दे पर दिल खोलकर बोलते हैं। भले लोगों का समर्थन करते हैं, तथा बुरे लोगों की जमकर आलोचना करते हैं। खुब लड़ते हैं और विजयी भी होते हैं। इन दिनों वे बहुत दुखी है। खासकर रथयात्रा मेले बंद होने को लेकर। वे दुखी है कि आजकल जिसे देखों गरीब ब्राह्मणों को बुरा बताकर, उन्हें गालियां देकर खिसक जाता है, पर उनकी वेदना को नहीं समझ पाता।

जबकि ये वही लोग हैं, जो सनातन धर्म को अपनी गरीबी की वेदी पर झंडा गाड़कर बचा कर रखे हैं, जिसे अन्य धर्म के धंधेबाजों तथा धर्मांतरण करानेवाले लोगों को बर्दाश्त नहीं होता। बर्दाश्त तो उन लोगों को भी नहीं होता, जो खुलकर धर्म का धंधा करते हैं, पर ऐसे लोगों पर इनकी दया नहीं होती। खुलकर मंदिर खोलने, रथयात्रा की वकालत करते हैं।

पर मंदिर खुली रहने के बावजूद वे उन मंदिरों में अपना चेहरा दिखाना भी पसन्द नहीं करते। इन दिनों रथयात्रा मेला बंद होने के बावजूद वे धर्म के मर्म को समझते हुए रथयात्रा मेला स्थान पहुंचे और वहां एक गरीब ब्राह्मण की दुर्दशा देखी तो उनका मन व्यथित हो उठा और जो उन्होंने अपने सोशल साइट पर लिखा, उसे मैं विद्रोही24 पर लिखना जरुरी समझा, आप भी पढ़े, सुने और सुनाएं, कि आखिर हम कितने गिर गये और कितने गिरेंगे।

आइये मिलते हैं।

विश्व के सबसे बड़े धनवान से।

विश्व के सबसे बड़े राजा-महाराजा से।

विश्व के सबसे क्रूर व्यक्तित्व से।

विश्व के सभी समस्याओं के जड़ से।

  • सेकुलर, खानदेशी लुटियंस,वामपंथी, विचारकों के अनुसार।

जिनके बारे में ये उद्गार सुनने को मिलते हैं, रांची के हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता अभय मिश्र के अनुसार विद्रोही24 में दिये गये फोटो में, वह व्यक्ति लाल गोलाकार में मौजूद है। अब इनके साथ अभय मिश्रा का क्या वार्तालाप हुआ, उसे ध्यान पूर्वक पढ़े/सुनें/सुनाएं।

अभय मिश्र – पंडित जी, प्रणाम थोड़ा पूजा करा दीजिए।

पंडित जी – करवा देते हैं विग्रह तो है नहीं ! सिर्फ मंदिर का करवा देते हैं।

अभय मिश्र – जी, यह लीजिए दक्षिणा।

पंडित जी – पूजा के बाद दीजिएगा यजमान।

अभय मिश्र – जी, पंडित जी।

(पुजनोपरांत अभय मिश्र ने दक्षिणा देकर, पंडित जी के पांव छुकर प्रणाम किये। पंडित जी ने मना किया।)

पंडित जी – आप तो मुझसे भी श्रेष्ठ है, पांव छूकर क्यों शर्मिंदा कर रहे हैं?

अभय मिश्र – नहीं, आप मुझसे श्रेष्ठ है आप सनातन धर्म को बचा कर रखे हैं, वह भी 10 ₹, 5 रूपए में।

(चूंकि अभय मिश्र ने, पंडित जी को अपेक्षा से अधिक दक्षिणा दिया था और दान किया गया कोई भी चीज बताया नहीं जाता, इसकी जानकारी अभय मिश्र को उनके पूर्वजों ने दी थी, इसलिए उन्होंने यहां बताना नहीं समझा।)

अभय मिश्र – आप कहां के रहने वाले हैं?

पंडित जी – मूलतः तो, बिहार के औरंगाबाद जिले से हैं, अब रांची में रहते हैं। संस्कृत में MA किया है। मगध विश्वविद्यालय से। नौकरी नहीं मिली तो पुरोहित का कार्य करता हूं। लॉकडाउन के पहले सब ठीक था। कोई ना कोई, यजमान के घर में पुजा पाठ होता था तो दान दक्षिणा से घर गृहस्थी चल रही थी। सोचा था, मेले में इस वर्ष सब ठीक हो जाएगा। पर ठीक क्या होगा, बहुत कर्ज हो चुका है।

सोचा मेला में कुछ दान दक्षिणा मिलता तो कुछ कर्ज कम होता, मगर आज पूरे दिन मौसी बाड़ी में सुबह से खड़ा हूं और सिर्फ दो चार लोग आए हैं। 45 रुपए हाथ आये हैं। वो तो आप के जैसे कुछ लोग कभी कभार आ जाते हैं तो।  (अंदर से वेदना के साथ मुस्कुराते रहे) अब सोचिए। एक मजदूर को झारखंड सरकार के अधिसूचना के अनुसार,न्यूनतम मजदूरी का दर है।

311 रुपये ( Unskilled Labour )

496 रुपये ( Skilled labour )

पंडित जी पढ़े लिखे हैं तो स्किल्ड लेबर में तो आ ही गए। दिन भर का पंडित जी के मजदूरी का दरMA संस्कृत को पूरे दिन पता नहीं, कितने व्यक्ति को पुजा पाठ करने पर मिला 45 रूपए। और इनको सेकुलर, वामपंथी, लुटियन्स, लेनिनवादी, खानदेशी, पता नहीं किन-किन विशेषणों से अलंकृत करते रहते हैं। दुनिया का सबसे बड़ा लुटेरा, बोलते हैं।

बात सिर्फ इतनी सी नहीं है। अगर ये लोग मार्ग से हट जाए। तो धर्म-कर्म खत्म। धर्मांतरण कराने के मार्ग से कंटक हट जाता। धन्य है ऐसे लोग, जो बिना किसी वेतन के सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार निरंतर करते रहते हैं। मंदिर नहीं खुलने का मुख्य कारण आपको गर समझ में आ गया तो ठीक। नहीं आया तो आप मूढ़ हैं।

और मंदिर, मेला इस तरह के सभी चीज़ बंद रहने के लिए कौन दोषी है? पक्ष से ज्यादा विपक्ष दोषी है। विपक्ष आपको कभी भगवान माफ़ नहीं करेंगे न धर्म। मंदिर का पट नहीं खुल रहा था, तो विपक्ष के लोग मार हल्ला, मार हल्ला (मने फेसबुक पर) मंदिर के पट खुलने के बाद  विपक्ष का एक भी नेता दर्शन करते नहीं दिखा और न ही उनका चित्र ही अखबारों में आया ‌? रथयात्रा में सब रथ पर चढ़कर ही पुजा करते थे।

उ का है फोटो जो लाईभ चलता था। हालांकि विपक्ष के नेता मेरे इस सत्य कथन से बड़ी गुस्सा होते हैं। हो तो हो, अभय मिश्र के अनुसार जो गलत लगेगा तो बोलेंगे ही, छोडेंगे नहीं। माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर।

वह तो भला हो माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन जी का। पूजा अर्चना के लिए। मंदिर का द्वार खुलवा दिया। खुद दर्शन को भी गए। पट बंद होने पर भी।बाहर से पुजा अर्चना कर। वापस। और विपक्ष के लोग। Mr INDIA