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दो महीने बीतने को आए रांची प्रेस क्लब कोरोना से मृत पत्रकारों के परिवारों के बीच नहीं बांटे पांच लाख, धनबाद प्रेस क्लब ने उठाए सवाल

हे रांची प्रेस क्लब के रणबांकुड़ों (अधिकारियों), कोरोना वारियर्स का तमगा लेने को छटपटानेवालों मठाधीशों, कोरोना से मृत पत्रकारों के परिवारों के बीच पांच लाख रुपये ईमानदारी से कब बांटोगे, जब कोरोना की तीसरी लहर, चौथी लहर, पांचवी लहर यानी लहरों पे लहर समाप्त हो जायेगी, तब? अरे कुछ तो शर्म करो, देनेवाले ने लगभग दो महीने पूर्व में मृत पत्रकारों की दयनीय स्थिति को देख पांच लाख रुपये आपको सुपुर्द किये कि आप ईमानदारी से जल्द से जल्द अपने पत्रकार परिवारों के बीच बांटोगे और आप उस पर कुंडली मार कर दो महीने से बैठे हो।

आखिर कब जगोगे, आपकी कुम्भकर्णी निद्रा कब टूटेगी, कब इस ओर अपना ध्यान आकृष्ट करोगे और ससमय मृत पत्रकारों के परिवारों के बीच उनका हक पहुंचाओगे? आश्चर्य है कि बेरमो के कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह ने कोरोना से मृत पत्रकारों के परिवारों के लिए पांच लाख रुपये प्रदान किये थे, ये राशि उन्होंने बैंक चेक/ड्राफ्ट के माध्यम से मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को सौंपी थी, जो बाद में मुख्यमंत्री कार्यालय से होते हुए रांची प्रेस क्लब को सौंप दिया गया, पर रांची प्रेस क्लब ने क्या किया? आज तक इस पर कोई काम ही नहीं किया, बैंक चेक/ड्राफ्ट को अपने एकाउन्ट में डाल कर सो गये।

कई पत्रकारों ने विद्रोही24 को अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि इससे अच्छा रहता कि अनूप स्वयं उन मृत पत्रकारों के परिवारों को उचित राशि मुहैया करा देते, क्योंकि जब जरुरत पर उचित राशि प्राप्त होती हैं तो जख्म पर मरहम लगता है, पर समय पर ये उचित राशि नहीं मिलती तो जख्म पर मरहम नहीं लगता, बल्कि जख्म और हरा हो जाता है, क्योंकि जिस जख्म को भूलने की कोशिश परिवार कर रहा होता है, ये सब मिलते ही उसका जख्म हरा हो जाता है, इसे समझने की कोशिश सभी को करनी चाहिए।

सर्वप्रथम इस मुद्दे को रांची प्रेस क्लब के समक्ष वरिष्ठ पत्रकार सुशील कुमार सिंह मंटू ने उठाया, उन्होंने क्लब फार इन्फारमेशन में अपनी बातें रखी पर किसी अधिकारी ने जवाब देना भी उचित नहीं समझा, लिखा था – “मैनेजिंग कमेटी के सभी सदस्यगण, जोहार, 27 मई 2021 को सीएमओ से बेरमो विधायक द्वारा दिये गये पांच लाख रुपये के चेक/ड्राफ्ट प्रेस क्लब को मिल गया था।

इन पैसों को कोरोना के दौरान दिवंगत हुए हमारे साथी पत्रकारों के बीच बांटा जाना था। पता नहीं क्यों और किन कारणों से ये प्रक्रिया रुकी हुई है। मेरी समझ है कि सहयोग का मरहम ससमय लगे तो प्रभावकारी होता है, क्योंकि देर होने से मदद घाव को हरा करने की बजाय हरा करने मे मददगार होगा। मैंने स्वयं दिवंगत पत्रकारों की सूची क्लब के दो पदाधिकारियों को प्रेषित की थी।

दुर्भाग्य की अभी तक कुछ नहीं हो पाया। क्या ये प्राथमिकताओं में शामिल नहीं है? क्योंकि कुछ पदाधिकारी प्रेस क्लब के कुछ और काम को ज्यादा जरुरी समझते हुए निपटाने में अपनी ऊर्जा खपा रहे हैं। बेहतर होगा कि आप सभी एक घंटे का वक्त निकाले और दिवंगत पत्रकारों के परिजनों के एकांउट में पैसे ऑनलाइन ट्रांसफर हो जाये।”

इधर जब विद्रोही24 ने धनबाद प्रेस क्लब के महासचिव गंगेश गुंजन से बातचीत की, तो उनका कहना था कि चूंकि रांची प्रेस क्लब को मिले पैसे केवल रांची प्रेस क्लब के नहीं, बल्कि पूरे झारखण्ड के पत्रकारों को मिले हुए पैसे हैं, ऐसे में उक्त राशि पर कोरोना से मृत सभी पत्रकारों के परिवारों के सदस्यों का हक बनता है, इसलिए चाहिए तो ये था कि बिना देर किये, रांची प्रेस क्लब  राज्य के सभी प्रेस क्लबों के साथ मिलकर उक्त राशि को सही समय पर उचित माध्यम से पहुंचा देता।

पर जब रांची प्रेस क्लब के लोग अभी तक उनसे सम्पर्क ही नहीं किये, तो पैसे कैसे पहुंचेंगे, समझा जा सकता है। गंगेश गुंजन ने यह भी कहा कि वे इस संबंध में कुमार जयमंगल से भी बात करेंगे और कहेंगे कि उनके द्वारा दी गई राशि, उचित जगहों पर पहुंचे, इसका वे ख्याल रखे तथा रांची प्रेस क्लब पर दबाव बनाये कि उनकी राशि राज्य के सभी मृत पत्रकार के परिवारों तक पहुंचे, नहीं तो संदेश गलत जायेगा।

गंगेश गुंजन का कहना था कि कोरोना से धनबाद में भी कई निर्धन पत्रकार की मृत्यु हुई है। कुछ दिन पूर्व ही वर्चुअल मीटिंग हुई है, जिसमें ये मुद्दा भी उठा था, और इस बात को रांची प्रेस क्लब और कुमार जयमंगल तक उठाने की बात कही गई। आश्चर्य यह है कि झारखण्ड की राजधानी का रांची प्रेस क्लब अपने स्थापना काल से ही विवादों में रहा है, इनके अधिकारियों ने कभी भी कोई ऐसा काम नहीं किया, जिसमें विवाद न उत्पन्न हुआ हो।

विवादों से इनका गहरा रिश्ता रहा है, और ये इसी में शान भी समझते हैं, लीजिये नया मामला कोरोना से मृत पत्रकारों के परिवारों को राहत देने की बात, इसमें इनको अपने घर से कुछ भी नहीं देना हैं, ये तो जो मिला है, उसे सही जगह पर पहुंचा देना हैं, इसके बावजूद भी इनसे ये छोटा सा काम नहीं हो पा रहा हैं, तो ये बड़ा काम क्या करेंगे?

बहाना तो इनके पास कई है, ये बहाना भी ढूंढ लेंगे, पर उन्हें नहीं पता कि हर बहाने का काट विद्रोही24 के पास है। इसलिए रांची प्रेस क्लब ईमानदारी दिखाएं और कुमार जयमंगल द्वारा दी गई राशि को सही जगहों पर पहुंचाने में दिलचस्पी दिखाएं, नहीं तो जो हो रहा हैं, एक और बदनामी की दाग अपने मस्तक पर लगाने को तैयार रहे।