आखिर रांची प्रेस क्लब जांच कमेटी के सदस्यों को जांच के लिए प्रपत्र कब थमाएगा, जब दोषियों का कार्यकाल समाप्त हो जायेगा तब?
घटना 28 फरवरी 2021 की। न तो इस संबंध में रांची प्रेस क्लब ने जांच समिति के तीन सदस्यों को जांच के आदेश संबंधी प्रपत्र थंमाएं और न ही अब तक जांच शुरु हुई। मतलब मामला सीधे हचपच कर दबा देने से जुड़ता जा रहा है। ऐसे भी द रांची प्रेस क्लब के जुड़े अधिकारियों व अन्य कर्मचारियों की जो कार्य प्रणाली रही हैं, वो हमेशा विवादास्पद रही हैं, और इस मामले में भी विवादास्पद है।
जिन चार सदस्यों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की तलवार लटक रही हैं, उनमें से एक ने फिर कुछ दिन पहले इस विवाद से संबंधित पत्र जांच समिति के तीन सदस्यों को लिखा है, लेकिन सवाल उठता है कि जिन्हें जांच करनी है, उन्हें प्रपत्र ही नहीं थमाए गये हैं तो जांच होगी कैसे? किस आधार पर ये तीन सदस्य जांच करेंगे? फिर भी वरिष्ठ पत्रकार सुशील कुमार सिंह मंटू ने एक पत्र जारी किया है, उस पत्र ने एक बार फिर विवाद को जन्म दे दिया हैं, फिलहाल उक्त पत्र को पढ़े और समझे की रांची प्रेस क्लब पत्रकार हित में कैसे और किसके लिए काम करता हैं। पत्र सामने हैं…
सेवा में,
किसलय सर, विनय भैया व दिव्यांशु भैया
सभी माननीय सदस्य, जांच समिति।
विषय : 28 फरवरी 2021 को द रांची प्रेस क्लब की वार्षिक आम सभा के दौरान हुए तथाकथित हल्ले-हंगामे की जांच के संदर्भ में।
द्वारा: मैनेजिंग कमिटी, द रांची प्रेस क्लब।
जोहार,
आप सभी को ज्ञात हो कि 28 फरवरी 2021 को द रांची प्रेस क्लब की वार्षिक आम सभा (एजीएम) के दौरान हुए तथाकथित हल्ले-हंगामे की जांच के लिए आप सभी का मनोनयन 13 मार्च को द रांची प्रेस क्लब की मैनेजिंग कमिटी के द्वारा किया गया है। जांच समिति को बने आज 99 दिन पूरे हो रहे हैं, लेकिन जांच अब तक शुरू नहीं हो पाई है। विनम्रता से आग्रह है कि Justice Delayed, Justice Denied. का ख्याल रखा जाए। अगर जांच शुरू हो गई तो माफी चाहूंगा। संभवतः विलंब होने में कोविड संक्रमण का भी कुछ योगदान रहा हो, लेकिन कुछ ज्यादा ही देर हो चुकी है।
आपको पता हो कि आपके मनोनयन से पहले प्रेस क्लब मैनेजिंग कमिटी ने एक आंख में काजल और एक आंख में सूरमा लगाते हुए स्वघोषित अनुशासन समिति द्वारा 2 व 3 मार्च को चार सदस्यों सुशील कुमार सिंह मंटू, विपिन सिंह, चंद्रशेखर सिंह व संजय रंजन को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। संवैधानिक प्रावधानों से परे जाकर दिए गए नोटिस का प्रति उत्तर पाकर मैनेजिंग कमिटी व अनुशासन समिति दोनों को अपनी गलतियों का एहसास हुआ। इसके बाद एजीएम के दौरान तथाकथित हल्ले हंगामे का मामला आप सभी के नेतृत्ववाली जांच समिति के सुपूर्द किया गया।
मैनेजिंग कमिटी व अनुशासन समिति ने पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर सिर्फ और सिर्फ चार सदस्यों को टारगेट किया था। आपसे अपेक्षा है कि आप निष्पक्ष रूप से पूरे मामले की पड़ताल कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा करेंगे, जिससे ये जांच आनेवाले दिनों में प्रेस क्लब के सदस्यों के लिए एक नजीर बन सके। जांच के बिंदुओं पर आपका विशेषाधिकार है कि आप किस मसले की जांच करें और कैसे करें लेकिन पूर्वाग्रह से भरे कड़वे अनुभवों को देखते हुए मेरा विनम्र आग्रह है कि आप सभी जांच के दौरान…
- जांच किसकी शिकायत पर शुरू हुई? शिकायत मौखिक थी या लिखित? या बगैर शिकायत के ही मैनेजिंग कमिटी ने सुओ-मूटो मामला बना लिया? सब कुछ साफ होना चाहिए।
- तथाकथित हो-हल्ले-हंगामे की मूल वजह को तलाशा जाए?
- एजीएम के दौरान तथाकथित हो-हल्ले-हंगामे के दौरान सदस्यों द्वारा बनाए गए और प्रसारित किए गए सभी विडियो फूटेज प्राप्त कर जांच हो?
- एजीएम के दौरान मैनेजिंग कमेटी के सभी 15 सदस्यों की भाव-भंगिमा, आचार-व्यवहार, भाषा, आचरण, गाली-गलौच, हिंसक व्यवहार आदि की भी समग्रता से जांच हो और दोषी चिन्हित किए जाएं?
- एजीएम के दौरान आम सदस्यों की भाव-भंगिमा, आचार-व्यवहार, भाषा, आचरण, गाली-गलौच, हिंसक व्यवहार आदि की भी समग्रता से जांच हो और दोषी चिन्हित किए जाएं?
- मैनेजिंग कमिटी व अनुशासन समिति द्वारा संवैधानिक प्रावधानों के परे बनाना रिपब्लिक की तर्ज पर चुनिंदा लोगों को टारगेट कर की गई पीड़क कार्रवाई की भी पूर्णता से जांच हो और जिम्मेवार लोगों पर समुचित कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा हो?
- जांच के दौरान सभी पक्षों से अनिवार्य रूप से स्वहस्ताक्षरित लिखित बयान लिए जाएं। मौखिक बयान भी लिए जाएं लेकिन उन्हें कलमबद्ध कर बयान देनेवाले व्यक्ति से हस्ताक्षर जरूर करा लिया जाए?
- एजीएम के दौरान मौजूद सभी सदस्यों जिनकी संख्या लगभग 90 थी, का भी पक्ष भी लिखित रूप में आमंत्रित किया जाए?
- बंद कमरे की बजाय जांच की प्रक्रिया खुली सुनवाई के तर्ज पर हो जिससे की द रांची प्रेस क्लब का कोई भी आम सदस्य पारदर्शी जांच का हिस्सा बन सके और वास्तविकता से वाकिफ हो सके?
- जांच की पूरी प्रक्रिया एक नियत समय के अंदर पूरी हो। समय सीमा आप सभी खुद तय करें लेकिन हमारी अपेक्षा है कि ये जांच के इंतज़ार जैसी लंबी न हो?
आप सभी की ओर से जांच के उपरोक्त बिंदुओं पर सकारात्मक पहल की आस में