हेमन्त सरकार और झारखण्ड पुलिस जान लो, तुम्हारे इस ड्रामे पर कोई विश्वास नहीं करेगा कि ये सामान्य लोग सरकार गिराने में लगे थे, जनाक्रोश को समझो, गलतियां सुधारो
झारखण्ड में चल रही मजबूत सरकार को गिराने की ताकत ठेका मजदूर, फल बेचनेवाला और एक सामान्य दुकानदार भी रखता है, वो कैसे? तो वो ऐसे कि आज रांची के एक महंगे होटल से रांची पुलिस ने हेमन्त सरकार को गिराने के आरोप में ऐसे ही तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। अब सीधी सी बात, जिसकी औकात अपनी पेट भरने की नहीं हैं, वो क्या किसी राजधानी की महंगी होटल में ठहर सकता है?
सरकार गिराने की ताकत रखता है? या माजरा कुछ दूसरा है? ऐसे भी झारखण्ड पुलिस की महिमा तो न्यारी है, वो कब किसे और कहा किस मामले में फंसा कर किसकी जिंदगी से खेल जाय, आप कुछ कह नहीं सकते। आप सरकार के पास जायेंगे, सरकार सुनेगी नहीं, आप पुलिस महानिदेशक के पास जायेंगे, वो सुनेगा नही।
इसी चक्कर में आपकी जिंदगी पीस गई और जो आपको पुलिस और कानून के जाल में फंसाया। वो आराम से किसी होटल में बैठकर वो कर रहा होगा, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते, फिलहाल इन तीनों की और इनके परिवारों की जिंदगी तबाह हो गई, क्योंकि राज्य में हेमन्त की सरकार है, सरकार के खिलाफ षडयंत्र रचने का इन पर आरोप लगा है, तो भला इन तीनों को कौन बचायेगा?
परिवार के लोग तो बताते है कि इन्हें दूसरी जगह से पकड़ा गया है, और बाद में पुलिस ने इन्हे रांची में दिखा दिया। इनके परिवारवाले स्पष्ट करते हैं कि बोकारो से दो व्यक्तियों को 22 जुलाई को बोकारो पुलिस उसके घर से ले गई, बार-बार उसका परिवार तीन दिन से पूछ रहा कि उनके परिवार का सदस्य कहां हैं, पुलिस नहीं बताई और आज पुलिस बताई कि उनके परिवार के सदस्य रांची में हैं, आप रांची पुलिस से बात करिये।
अमित सिंह के पिता भरत सिंह कहते है कि उसका बेटा बोकारो स्टील प्लांट में ठेका मजदूर है, जब उसे काम मिलता है तो उसे 400 रुपये मिलते है, गुरुवार को उसके घर से पुलिस उठाकर ले गई और आज तक उसके बेटे से मुलाकात नहीं हो पाई। इसी प्रकार फलवाला निवारण प्रसाद महतो को भी उसके बोकारो स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया था। यही हाल रांची के अभिषेक दूबे का है, जिसे इस साजिश में गिरफ्तार किया गया है, उसकी भी कोई ऐसी पकड़ नहीं कि वो सरकार गिरा दें।
सूत्र ये भी बता रहे है कि यह पूरा मामला एक राजनीतिक दल से जुड़े एक विधायक की कोयला तस्करी से जुड़ा है, और उस विधायक ने दिमाग लगाकर इन तीनों को फंसा दिया और फिलहाल वो इन्ज्वाय कर रहा है। लेकिन अब ये तीनों करेंगे क्या? सरकार गिराने के मामले में विभिन्न धारा इन पर लगा दी गई है। दरअसल ये तीनों गंदे राजनीति के शिकार हुए हैं।
बोकारो, धनबाद, रांची या झारखण्ड के किसी शहर में आप रहते हो, किसी के भी कहने पर, किसी को भी फंसा देना झारखण्ड पुलिस का बाएं हाथ का खेल हैं, आप नाक रगड़ते रह जायेंगे, कोई सुनवाई नहीं होगी। हालांकि इस मामले में जनाक्रोश बहुत तेजी से बढ़ रहा है, कोई यह मानने को तैयार नहीं कि ठेके पर काम करनेवाला, फल बेचनेवाला या एक सामान्य दुकानदार कोई सरकार गिरा देगा।
हालांकि इस पर राजनीति भी शुरु हो गई है। रडार पर पुलिस पदाधिकारी और हेमन्त सरकार है। सुनील तिवारी ट्विट करते हैं – “आज अचानक इंतजार अली याद आ गए। चंद मेडलों की खातिर पुलिस उन्हें आतंकी साबित करने पर तुली थी। आज मामूली फल दुकानदार, ठेका मजदूर को विधायकों का खरीदार बताया जा रहा? प्लाटिंग थ्योरी से बाहर निकले पुलिस। इंतजार अली केस की तरह इस केस की भी सच्चाई सामने जरुर आयेगी और आनी भी चाहिए।”
बाबू लाल मरांडी ने ट्विट किया – “अंधेर नगरी चौपट राजा। मालिक अगर अंधा हो जाए, तो बिल्लियां थाली में साथ खायेंगी ही।” निशिकांत दूबे – “ अब तो दो लाख में चार आदमी मिलकर झारखण्ड में विधायक खरीद रहे हैं। झारखण्ड के विधायक की कीमत मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जी ने दस हजार लगा दिया। बकरीद में बकरे की कीमत इससे कई गुना ज्यादा है? धन्य मुख्यमंत्री, धन्य विधायक, धन्य पुलिस।”
सोशल साइट पर कई लोग पुलिस और सरकार की मजाक भी उड़ा रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार सुशील कुमार सिंह मंटू कहते है – “सरकार @ दो लाख एंड एक एयर टिकट। एतना में तो बढ़िया जगराता तक नहीं होता।” वे आगे लिखते है – “चोर, छिनाल, लुटेरे, उग्रवादी आदि की गिरफ्तारी पर प्रेस कांफ्रेस कर सीना ठोकनेवाली पुलिस ने आज बगैर प्रेस कांफ्रेस के ही तीन राजद्रोहियों को जेल भेज दिया, बात कुछ हजम नहीं हो रही है।”