धर्म

अभिनन्दन, भगवान भास्कर एवं छठि मइया का…

अभिनन्दन, भगवान भास्कर का…

अभिनन्दन छठि मइया का…

अभिनन्दन छठव्रतियों का…

अभिनन्दन छठव्रतियों के परिवारों का…

अभिनन्दन उन जलाशयों और पवित्र नदियों का जहां अर्घ्य दिये जा रहे है…

अभिनन्दन उस क्षितिज का जहां से भगवान भास्कर अस्त व उदय हो रहे हैं…

वे हमारा प्रणाम स्वीकार करें। हमारे भाव को अपने अपने हृदय में स्थान दें। ये छठ ही हैं, जो हमें बिहारी होने का गर्व प्रदान करता है। स्वच्छता देखनी हो, स्वर्ग का आनन्द लेना हो, अभी भी प्रकृति का स्वागत प्राकृतिक नियमों व उपनियमों के आधार पर देखना हो तो बस कार्तिक शुक्ल रविषष्ठी व्रत के  दिन बिहार के किसी भी गली-मुहल्ले या शहरों से होकर गुजर जाइये।

माथे पर पीले कपड़ों से बांधे दौरा-सुप ले जाते विभिन्न जलाशयों की ओर बढ़ते लोगों, पियरी पहने और हाथ में लोटा लिए छठव्रतियों का समूह और ठीक उसके पीछे बड़ी संख्या में छठ की पारंपरिक गीतों को गाती महिलाओं का समूह बरबस आपको अपनी ओर खींच लेती है। आज सूर्य सप्तमी है, आज उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य समर्पित कर, छठव्रतियों ने व्रत तोड़ दिया है और सभी अपने- अपने घरों में जाकर भगवान भास्कर और छठि मइया को धन्यवाद ज्ञापित कर रहे हैं कि उनकी कृपा से यह छठव्रत आसानी से पार-घाट लग गया।

मैं भी अपने परिवार के साथ चुटिया के पावर हाउस स्थित छठ तालाब पहुंचा। बड़ी संख्या में चुटिया के आस-पास के लोग इस जलाशय पर पहुंचे थे। सभी का ध्यान भगवान भास्कर की ओर था। अचानक भगवान भास्कर पर लोगों की नजर पड़ी और लोगों ने बड़ी भाव-विह्वल होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देना प्रारंभ किया। जितने लोग, उतने भाव, सभी के भाव निर्मल, छोटे-छोटे बच्चों द्वारा, छठव्रतियों का साष्टांग प्रणाम करता देख, स्वतः भूमि पर लोटकर छठव्रतियों का भावपूर्ण नकल करना, हृदय को आह्लादित कर गया।

इस बार स्थानीय प्रशासन ने भी बहुत अच्छी व्यवस्था की थी। चुटिया तालाब जो ज्यादा खतरनाक था, जहां डीजल रिसाव होता था, वहां इतनी सफाई व स्वच्छता देखकर मन प्रसन्न हो गया। वहीं पावर हाउस छठ व्रत पूजा समिति द्वारा छठव्रती महिलाओं के लिए वस्त्र बदलने के लिए बनाये गये कपड़े बदलने के लिए शामियाने ने छठव्रतियों को बहुत बड़ी राहत पहुंचाई। कुल मिलाकर देखा जाय, तो छठव्रत पूरे भावपूर्ण ढंग से इस बार संपन्न हुए, कहीं से कोई अप्रिय घटना की समाचार नहीं, एक बहुत बड़ी राहत दी है। एक बार उन सभी को बधाई व शुभकामनाएं, जिन्होंने निष्काम भाव से छठव्रतियों को अपनी सेवा दी, क्योंकि उनकी सेवा के बिना, इतना बड़ा यज्ञ, महाव्रत कैसे सफल होता।