हेमन्त सरकार मुश्किल में, बड़ी संख्या में अपनी ही पार्टी व सरकार से JMM विधायक नाराज, एक ने खुलकर कहा जब नाराजगी से घर में बंटवारा हो जाता है तो ये तो पार्टी ही है…
किसी भी पार्टी में कोई विधायक अगर नाराज होगा, तो इधर से उधर हो सकता है, अरे जब अपने घर में बंटवारा हो जाता हैं तो यह तो पार्टी ही हैं। जैसे अपने परिवार को टूटने से बचाने के लिए घर के मुखिया का कर्तव्य बन जाता है, परिवार के सभी सदस्यों को खुश रखे, उसी प्रकार पार्टी के मुखिया अथवा सरकार के मुखिया को चाहिए कि वो अपने लोगों को खुश रखे।
नहीं खुश रखियेगा, नाराजगी बढ़ेगी और इस नाराजगी का क्या फलाफल निकलेगा, ये आप समझिये। ये वक्तव्य है, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता लोबिन हेम्ब्रम के, जिन्होंने एक चैनल को दिये है, जो समय-समय पर अपनी नाराजगी बड़ी ही कठोरता से व्यक्त करते हैं। हालांकि वे बताते है कि वे अपनी पार्टी के प्रति बहुत ही विनम्र है।
वे कहते है कि हम अगर नाराज होंगे, तो अपने पार्टी या सरकार के मुखिया से बात करेंगे, अपनी नाराजगी दिखायेंगे, जैसे उनके क्षेत्र ललमटिया में अस्पताल को लेकर, जो बनने में रुकावट आ रही हैं, उसको लेकर उनकी सरकार से नाराजगी है और रहेगी। उसी प्रकार अन्य विधायकों को भी नाराजगी होगी, इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
सरकार और पार्टी के मुखिया को चाहिए कि वो उस नाराजगी को दूर करें, न कि दुसरा उपाय निकालना शुरु कर दें। वे जोर देकर कहते है कि जिस सरकार को बनाने में कांग्रेस, राजद और वामपंथी पार्टियां एकीकृत हुई, और अब इनके विधायक नाराज हो जाये, तो गलती किसकी है? उन्होंने बड़ी ही तार्किक पूर्ण बातों से कहा कि कोई ये तो बताएं कि विधायक खरीदने की बात जिन पर आ रही हैं।
वे क्या खरीदने जा रहे थे, सोना खरीदने जा रहे थे, गांजा या भांग खरीदने जा रहे थे या विधायक खरीदने जा रहे थे। विधायक अपनी पार्टी या सरकार से नाराज होगा तो वो अलग हो सकता हैं, बिक थोड़े ही जायेगा। कुल मिलाकर लोबिन हेम्ब्रम ने साफ कह दिया ही नहीं, बल्कि स्वीकार किया कि सरकार और पार्टी से झामुमो के कई विधायको की नाराजगी है, ये अलग बात है कि कोई बिकने को तैयार नहीं।
पर इतना भी तय है कि पार्टी में अब सब-कुछ ठीक-ठाक नहीं हैं, भले ही विधायक बिकने को तैयार नहीं, लेकिन इतना भी तय है कि पार्टी सुप्रीमों और सरकार के मुखिया से भी उनकी अनबन चल रही है। इधर विद्रोही24 से झामुमो के एक विधायक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पार्टी में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा।
सारे के सारे विधायक नाराज है, नाराजगी भी ऐसी नहीं कि ये जल्द सुलझा लें और सुलझ जायेगा, नाराजगी इस कदर पहुंच गई है कि स्थितियां विस्फोटक हो गई है। अब झामुमो में विधायकों की सुनी ही नहीं जा रही है, सीएमओ में कुछ लोगों ने सीएम हेमन्त को घेर लिया है, वे डिसाइड करते है किं कौन मिलेगा और कौन नहीं मिलेगा?
इधर जब से सरकार बनी है, तब से एक बार भी झामुमो विधायक दल की बैठक नहीं हुई, ताकि कोई विधायक अपनी बात, जनता की बात, डायरेक्ट मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से कह सकें। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अब हेमन्त सरकार कुछ भी कर लें, जिस प्रकार से कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों को खरीद फरोख्त मामले में झारखण्ड पुलिस उर्फ राजदुलारी को आगे कर उन्हें फंसाने की कोशिश की गई हैं, उसमें कांग्रेस के अंदर भी घमासान हैं।
ऐसा नहीं कि आरपीएन सिंह इसे संभाल लेंगे। अंदर ही अंदर खटपट चल रही है, अगर इस मामले को नही सुलझाया गया तो पार्टी में टूट का खतरा बना हुआ है, हालांकि टूट झामुमो में भी पड़ रही हैं, पर इसकी जानकारी सत्ता मद में डूबे मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को नहीं हैं, उन्हें लगता है कि झारखण्ड पुलिस उर्फ राजदुलारी और परिक्रमाधारी उनके साथ हैं ही, सारी समस्या खत्म कर देंगे, पर जो स्थितियां हैं, वो बता रही है, बस कुछ ही महीने इंतजार करिये, विधायकों की नाराजगी पार्टी और सरकार दोनों को जमीन पर ले आयेगी, भाजपा को तो कुछ करने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी।