तीर्थनाथ जैसे नवोदित पत्रकारों पर सीएम प्रतिनिधि द्वारा किया गया केस शर्मनाक व अन्यायपूर्ण है, सभी पत्रकारों को इसके खिलाफ एकजुट होकर इसका प्रतिवाद करना चाहिए
मुख्यमंत्री या मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि या सलाहकार हो जाने से क्या हो जाता हैं, जब आप के अंदर अच्छाई ही न हो, सच सुनने का जज्बा ही न हो, हर दम आपके दिल में ये कीड़ा काटता हो कि हम तो सीएम हो गये, हम तो सीएम के प्रतिनिधि हो गये, हम तो सीएम के सलाहकार हो गये। अब तो हम पानी में आग लगा देंगे, कोई मेरे खिलाफ नहीं बोलेगा और अगर बोलेगा तो फिर वो समझ लें, उससे जीने का अधिकार तक छीन लुंगा।
उसे ऐसे-ऐसे केस में फंसाउंगा कि उसकी जिंदगी ही तबाह हो जायेगी। भाई ऐसी-ऐसी बुद्धि आपलोगों के जेहन में कहां से आ जाती हैं, आप क्यों नहीं समझते, इतिहास की पन्नों पर नजर क्यों नहीं दौड़ाते, कि मुगल चले गये, अंग्रेज चले गये, कांग्रेस की हालत पतली हो गई, कुछ दिन पहले रघुवर का भी आपही के जैसा हाल था, रघुवर कहां चले गये तो फिर आप कहां हैं?
भाई मेरी छोटी सी सलाह है। मानना, नहीं मानना आपके उपर है, मानियेगा तो आपकी छवि सुधरेगी, नहीं मानियेगा तो आपके शासन की भी वहीं हाल होगी, जो अन्य की हुई। जाना तो सब को हैं, कैसे जाना हैं, खुद को डिसाइड करना है कि लोग याद करें या जब तक जिंदगी रहे, आपको कोसते रहे। डेढ़ साल तो बीत गया, लक्षण तो साफ दिख रहे है कि जल्दी ही सरकार का अवसान का समय आ चुका। हमने ऐसा तो सोचा ही नहीं था कि इतनी जल्दी अवसान होने का समय आयेगा, पर स्थितियां सही नहीं दिख रही।
आप सभी का हाय क्यों ले रहे हैं? जब रघुवर का शासन था तब आपने ही हेमन्त जी विद्रोही24 से कहा था कि हम ऐसा शासन लायेंगे, जिसमें पत्रकारों का कम से कम शोषण तो नहीं होगा, पर सच्चाई तो कुछ और ही बता रहा है। पहले आप/आप के लोगों ने मुझे रांची कोतवाली थाना कांड संख्या 49/2021 में फंसवा दिया और अब सुनने में आ रहा है कि एक तीर्थ नाथ आकाश जो उभरता हुआ पत्रकार है, उससे भय खाकर आपके ही प्रतिनिधि ने इतनी धारा लगवाकर उसके खिलाफ केस करवा दिया कि यह देखकर हम खुद ही हतप्रभ है।
शायद आपको नहीं मालूम, हेमन्त जी ये वही लड़का है, जिसके खिलाफ रघुवर दास के शासनकाल में केस हुआ और लगता है कि वो केस अभी भी चल रहा है, क्योंकि अपने देश में तो एक बार केस दर्ज हो गया तो पुलिस और अदालत के चक्कर में ही कई वर्ष निकल जाते हैं। जिसमें साधारण व्यक्ति तबाह हो जाता है, अच्छा है आपने भी वहीं काम करना शुरु किया है। कितनी सफलता मिलेगी, ये तो वक्त बतायेगा।
खुशी तो मुझे हैं कि रघुवर शासनकाल में रघुवर जी का प्रसाद केस के रुप में प्राप्त हुआ और आपके शासनकाल में भी हमें एक केस प्रसाद के रुप में मिल चुका हैं और पता नहीं ये पुलिस कब तक इसकी जांच करेगी, लगता है कि ये तब तक जांच करेगी, जब तक सारे सबूत नष्ट न हो जाये, क्योंकि पुलिसिया (राजदुलारियों के बारे में) जांच के बारे में हमें पता हो गया है कि जांच कैसे होती है? उपर से एक आदेश आया, सही जांच भी गलत ठहराकर दबाव में सही व्यक्ति को गलत ठहरा दिया जाता है।
अरे चलिए आपने हमारे साथ गलत किया तो किया, तीर्थ नाथ आकाश से क्यों भिड़ गये आपलोग। वो तो उभरता हुआ पत्रकार हैं। आप उससे बात कर सकते थे। वो रुपा तिर्की कांड को लेकर ज्यादा मुखर था, आप उससे बात कर उसका क्रोध शांत कर सकते थे, अपना पक्ष रख सकते थे, लोकतंत्र और पत्रकारिता में यही होता है न। लेकिन आपने उसका मुंहबंद करने के लिए नाना प्रकार की धारा लगाकर उसके पत्रकारिता रुपी जीवन पर ही ताला लगा दिया। ये तो शर्मनाक है मुख्यमंत्री जी। मैं इस कांड की कड़ी भर्त्सना करता हूं।
भले ही राज्य की कोई पत्रकार संगठन अथवा प्रेस क्लब तीर्थ नाथ आकाश के लिए उसके पक्ष में एक शब्द नहीं बोले, पर मैं अगर चुप रहुंगा तो ये पत्रकारिता रुपी गंगा में मेरे लिए डूब मरने की बात होगी, मैं खुद की नजरों में गिरना नहीं चाहता। मैं झारखण्ड के सभी पत्रकारों को आह्वान करता हूं कि वे आगे आये, ये मत समझे कि ये तीर्थ नाथ आकाश के खिलाफ हुआ हैं, इससे हमें क्या मतलब?
आपको नहीं पता कि इस सरकार और इस सरकार में शामिल लोगों ने कितने पत्रकारों को अपने भय के आगोश में लिया है। आपको पता नहीं। सुनने में आया है कि द फौलोअप के एक पत्रकार के खिलाफ भी झारखण्ड के किसी थाने में केस दर्ज किया गया है। मैं तो इन सभी मामलों में एक तरह से बदनाम ही हूं, और इधर तीर्थ नाथ आकाश के खिलाफ केस हो गया।
मैं आपसभी से पूछना चाहता हूं कि आप कितने लोगों के उपर केस होने का इंतजार कर रहे हैं। आप रिपब्लिक भारत के संपादक पर केस होता हैं तो फिरायालाल चौक पहुंच जाते हैं, आपके भाई-बंधुओं पर जब गाज गिरती हैं तो आप फिरायालाल चौक क्या, आप तो आवाज भी नहीं उठाते, ऐसे में मुख्यमंत्री से क्या मिलियेगा।
वक्त तेजी से बदल रहा हैं, वक्त को समझिये, नही तो वक्त आप सभी को मिटा देगा, उठिये ईमानदार पत्रकारों और अपने भाइयों पर हो रहे जुल्म का एक-एक बदला लिजिये। अपने घर की लड़ाई का फायदा दूसरे को उठाने मत दीजियें, हम अपनी लड़ाई घर की लड़ाई, घर में सुलझा लेंगे, लेकिन बाहरी राजनीतिज्ञों/पुलिस प्रशासकों (राजदुलारियों) के साथ अब संघर्ष करने के लिए सड़कों पर उतरना ही पड़ेगा।
मैं तो जनसंगठनों और अन्य सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों को भी कहुंगा कि हेमन्त सरकार के इन कुकृत्यों के खिलाफ तीर्थ नाथ आकाश का साथ दें। जय हिन्द, जय पत्रकारिता, जय झारखण्ड।