राजनीति

रोजगार के लिए बनी नई नियमावली को लेकर पलामू के छात्रों में फैला आक्रोश, विधानसभा समिति को सौंपी ज्ञापन

झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की नई नियमावली से राजभाषा और पलामू प्रमंडल में सर्वाधिक बोली जाने वाली हिंदी, मगही को हटा दिये जाने को लेकर पलामू के युवाओं में रोष व्याप्त है, उक्त मामले को लेकर पलामू के युवाओ ने एक ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम, पलामू में दो दिवसीय दौरे पर आई झारखंड विधानसभा समिति को सौंपा है।

युवाओं का कहना था कि नई नियमावली से स्पष्ट है कि पलामू के लाखों युवाओ के भविष्य के साथ सरकार खिलवाड़ कर रही है। ज्ञापन सौंपने गए राहुल कुमार दूबे ने कहा की रोजगार के लिए बनी नई नियमावली पलामू के छात्रों के लिए अभिशाप है। झारखंड मे पलामू को हमेशा से छला जाता रहा है, यहां के लोगों को तो अब विश्वास हो गया है की पलामू झारखंड का हिस्सा ही नहीं है, कोई भी नई सरकार बनती है।

पलामू के युवाओं को रोजगार के नाम पर नई नियमावली बनाकर ठग देती है। समाजसेवी सन्नी शुक्ला ने कहा कि नियमावली में जिन 12 क्षेत्रीय भाषाओं को स्थान दिया गया है। क्या पलामू के स्थानीय सांसद, विधायक भी उस भाषा को जानते हैं? ऐसे में यहां के युवाओं का क्या दोष है कि वह हिंदी को अपनी मातृभाषा मानते हैं।

युवा तुर्क नेता अभिषेक मिश्रा ने कहा कि यहां के जनप्रतिनिधि हमेशा मूकदर्शक बने रहते है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने दोहरी नियोजन नीति थोप कर पलामू के युवाओं का भविष्य बर्बाद करने का काम किए था और उसका परिणाम पूरे झारखंड को भुगतना पड़ा, अब यही गलती वर्तमान मुख्यमंत्री कर रहे जिसे पलामू का युवा बर्दाश्त नहीं करेगा । ज्ञापन सौंपने वालों में राहुल कुमार दुबे, सन्नी शुक्ला, अभिषेक मिश्रा, राहुल देव दुबे, रणधीर तिवारी, सहित अन्य युवा नेता और छात्र शामिल थे।