झारखण्ड में शुरु हुई गंदी व घटियास्तर की राजनीति, झामुमो ने इशारों ही इशारों में राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी पर जमकर कीचड़ उछालें
लीजिये, आम-तौर पर लोग गंदी व घटियास्तर की राजनीति से बचना चाहते हैं। लेकिन झारखण्ड में लगता है कि अब गंदी व घटियास्तर की राजनीति ही देखने को मिलेंगी। इसकी शुरुआत झामुमो ने बड़े ही नाटकीय ढंग से कर दी, जिसे कोई भी सुनेगा, पढ़ेगा तो शर्म से डूब मरेगा। बाबू लाल मरांडी के मीडिया सलाहकार सुनील तिवारी पर जो गंदे आरोप पुलिसिया दबाव में लगाये गये, अब उसकी छीटें आज बाबू लाल मरांडी पर भी पड़ गये।
झामुमो के केन्द्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने बाबू लाल मरांडी पर खुलकर आरोप मढ़ा। परिसदनों, होटलों, विदेश यात्रा तक के नाम बोलें और बाबू लाल मरांडी से पूछ डाला कि आपके इन यात्राओं में को-पैसेंजर कौन हुआ करता था, उन सबका नाम बताइये।दरअसल ये सब हो रहा है, राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर लगे गंदे आरोपों के बाद, जिस केस में इंटरवेनर बाबू लाल मरांडी के मीडिया सलाहकार सुनील तिवारी हैं, जिसका मामला सुप्रीम कोर्ट में हैं, जिसकी सुनवाई इसी हफ्ते होनी है।
झामुमो के नेता अपने नेता को बचाने के लिए वो हर दांव खेलना चाहते हैं, जिससे वे बच जाये, वे इस पॉलिसी पर भी काम कर रहे हैं कि युद्ध व प्रेम में सब कुछ जायज हैं, इसलिए वे गंदी से गंदी बातें करने से भी नहीं चूक रहे। आज संवाददाता सम्मेलन कर झामुमो के केन्द्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने बाबू लाल मरांडी का नाम बोलते हुए, उनकी विदेश यात्रा का मुद्दा उठाया।
सुप्रियो ने पूछा कि बाबू लाल मरांडी को लेकर उन्हें बहुत सारी चीजें याद आती है। जैसे थाईलैंड, बैंकाक, पटाया, कोलकाता का इम्पीरियल होटल, दुमका, देवघर, जमशेदपुर का परिसदन ऐसे कई भवन व इमारतें उनकी आंखों के सामने से गुजर जाती है। सुप्रियो ने कहा कि इन यात्राओं में बाबू लाल मरांडी के साथ फ्लाइट में को-पैसेंजर कौन हुआ करता था, उसकी सूची बाबू लाल मरांडी को शेयर करना चाहिए, दूध का दूध, पानी का पानी हो जायेगा।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बाबू लाल मरांडी की तो सुनील तिवारी के किचेन तक पहुंच थी, बाबू लाल मरांडी की ड्यूटी थी कि उस घर में क्या हो रहा हैं, उसकी बात जनता तक लानी चाहिए थी, पर उन्होंने लाया नहीं। कुल मिलाकर, सुप्रियो भट्टाचार्य की आज का संवाददाता सम्मेलन में नैतिकता-सदाचार गायब थी, केवल एक ही चीज मौजूद था कि कैसे सामने वाले अपने विरोधियों की इज्जत पर प्रहार किया जाये, उसके कमर के नीचे प्रहार किया जाये।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस प्रकार की राजनीति की शुरुआत बहुत ही खतरनाक है, जिसकी शुरुआत झामुमो ने कर दी, अब इसका परिणाम व अंत किस प्रकार से होगा, न तो झामुमो को पता है और न ही यहां की जनता को, लेकिन जब आप किसी भी चीज की शुरुआत करते हैं तो उसका परिणाम तो सभी को झेलना है।
आनेवाले समय में अगर झामुमो को झारखण्ड आंदोलन के लिए जाना जायेगा, तो राज्य में गंदी राजनीति की शुरुआत के लिए भी इसे ही जाना जायेगा। अब भाजपा इस पर आक्रामक रुख अपनाती है या बैक-फूट पर जाती है या इस लड़ाई को जनता के बीच रखकर सम्मान के साथ राज्य सरकार को बैकफूट पर लाती है, फिलहाल जनता का ध्यान उसी ओर हैं।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि वर्तमान समय झारखण्ड की राजनीति के लिए खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है, किसकी इज्जत जायेगी और किसकी इज्जत रहेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता। इधर राज्य की पुलिस पूर्णतः सरकार की टूल्स के रुप में काम कर रही हैं, उससे भारतीय संविधान की रक्षा पर बात करना मूर्खता को सिद्ध करने के बराबर है।
पत्रकारों की तो बात क्या करना, पैसों और विज्ञापन के आगे नतमस्तक है, इसलिए इनसे ईमानदारी की बात करना भी बेमानी है। ऐसे में झारखण्ड का भगवान ही मालिक है। विद्रोही24 ऐसे किसी भी राजनीतिक द्वेष की कड़ी आलोचना करता है, जिसमें एक दूसरे का सम्मान निहित न हो।