“मोमेंटम झारखण्ड” के बाद “माइनिंग शो” के नाम पर जनता की आंखों में धूल झोंक रही सरकार
पहले “मोमेंटम झारखण्ड” तो अब “झारखण्ड माइनिंग शो” के नाम पर जनता की आंख में धूल झोकने की तैयारी। एक लोकोक्ति है – “खाया पिया कुछ नहीं, गिलास तोड़ा आठ आना” ठीक इसी लोकोक्ति को चरितार्थ कर रही हैं, झारखण्ड की “रघुवर सरकार”। इसी साल 16-17 फरवरी को इन्होंने ताल ठोक कर कहा था कि “मोमेंटम झारखण्ड” के दौरान 3.10 लाख करोड़ के निवेश के लिए 210 कंपनियों ने एमओयू किये, जिससे राज्य में 6 लाख लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। जरा पूछिये मुख्यमंत्री रघुवर दास से कि आठ महीने बीत गये, आपके वे 210 कंपनियां जिनसे आपने एमओयू किया था “मोमेंटम झारखण्ड” के दौरान, वो कहां और झारखण्ड के किस जगह पर पूंजी निवेश कर रही हैं?
पूछिये सीएम रघुवर दास से कि, जो उन्होंने ताल ठोक कर कहा था कि 13 कंपनियों को 136.23 एकड़ की जमीन का पट्टा भी दे दिया गया। उनके द्वारा बताया गया था कि चीन ने झारखण्ड में निवेश करने की इच्छा जतायी है, चीन करीब 1200 करोड़ रुपये से देश में पहला प्वाइंट ऑफ सेल मशीन का कारखाना झारखण्ड में लगायेगा। अरबन इंफ्रास्ट्रक्चर में सबसे बड़ा स्वीडेन की कंपनियां निवेश करने जा रही है। अडानी ग्रुप पचास हजार करोड़, टाटा हाउसिंग 750 करोड़, कोआलो ग्बोबल एबी 17300 करोड़, एस्सेफ इंफ्रा 5700 करोड़, जेएसडब्ल्यू 35000 करोड़, टाटा ब्लू स्कोप स्टील 350 करोड़ का निवेश करने जा रहा है। अब चूंकि आठ महीने पूरी तरह से बीत गये। ये चीन, स्वीडेन और भारत की अन्य महत्वपूर्ण कंपनियां झारखण्ड में कब दीखेंगी?
उस वक्त सीएम रघुवर दास के बोल थे – 210 में 172 एमओयू पर एक वर्ष में काम शुरु हो जायेगा, दो वर्ष में कंपनियां उत्पादन शुरु कर देगी। 170 एमओयू से एक वर्ष में 89 हजार 496 करोड़ का निवेश होगा। 170 एमओयू से एक लाख 56 हजार प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे। 38 एमओयू दीर्घकालीन है, दो साल में इन पर काम शुरु हो जायेगा। तीन साल में उत्पादन शुरु हो जायेगा। इनसे दो लाख 20 हजार 792 करोड़ का निवेश होगा, 54 हजार से ज्यादा प्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होंगी। आखिर ये सब जमीन पर कब दिखाई पड़ेंगी।
सीएम रघुवर दास ने कहा था, निवेशकों के लिए सरकार के दरवाजे 24 घंटे खुले रहेंगे। निवेशकों की समस्या का समाधान ऑन द स्पॉट होगा। कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप ने कहा था कि खूंटी में नॉलेज सिटी बनेगा, गोड्डा में ड्राइविंग स्कूल खोले जायेंगे, झारखण्ड आइटी हब बनेगा। पलामू, हजारीबाग, गिरिडीह में हवाई सेवा जल्द शुरु कर दी जायेगी। आखिर ये सब जमीन पर कब उतरेंगे? क्या ये सारी घोषणाएं हवा-हवाई हो जायेंगी?
सच्चाई यह है कि 16-17 फरवरी को जो रांची में “मोमेंटम झारखण्ड” आयोजित हुआ था, उसमें जिन-जिन विदेशी कंपनियों के नाम लिये गये थे कि ये झारखण्ड में रुचि ले रहे हैं, उन्होंने झारखण्ड से किनारा कर लिया है। “मोमेंटम झारखण्ड” आयोजित करने के पूर्व इसकी सफलता के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास जिन-जिन देशों का दौरा किया था तथा देश के अंदर जिन-जिन महानगरों का दौरा किया था, उनमें से किसी ने भी झारखण्ड में निवेश करने पर रुचि नहीं दिखाई, जबकि आठ महीने बीत चुके हैं।
सूत्र बताते है कि जिस प्रकार की टीम मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ आगे-पीछे चलती है, उनके रहते इस राज्य में पूंजी निवेश की संभावना बहुत ही कम हैं, ऐसे किसी देश में जाकर वहां के निवेशकर्ताओं के साथ सेल्फी लेना, फोटो खींचाना और उसे सोसल साइट पर डालकर वाहवाही लूटना अलग बात है, और निवेश करना-कराना दूसरी बात। सच्चाई यह है कि झारखण्ड में आधारभूत संरचनाओं की भारी कमी है, साथ ही यहां के अधिकारियों में समय पर काम करने की रुचि नहीं होना भी निवेश नहीं होने के कारण में सबसे बड़ी बाधा है। यहीं कारण है कि सीएम कितना भी बड़ी-बड़ी बात कर लें, यहां कुछ भी नहीं होने को हैं।
सूत्र यह भी बताते हैं कि एक ओर “मोमेंटम झारखण्ड” की असफलता के बीच अब “झारखण्ड माइनिंग शो 2017” का आयोजन भी जनता की आंखों में धूल झोकने के लिए तैयार किया गया आयोजन है। चूंकि आज के दौर में जहां संपन्न देश अपनी खनिज संपदा को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं अपने देश में प्रचुर मात्रा में पायी जा रही खनिज संपदा को लूटवाने का प्रबंध किया जा रहा है। आश्चर्य इस बात की है कि इसकी नीलामी के लिए “झारखण्ड माइनिंग शो 2017” जैसे आयोजन किये जा रहे हैं।
अब सवाल उठता है कि यहीं खनिज संपदा जब धीरे-धीरे समाप्त हो जायेगी तो इसे ही पाने के लिए इस राज्य व देश के नेता, इस देश के लोग अन्य देशों के पास जाकर हाथ फैलायेंगे या नहीं। हमारे देश में पायी जानेवाली इस प्रकार की महत्वपूर्ण संपदा को जनहित में खनन करने की जरुरत हैं, न कि बड़ी-बड़ी विदेशी कंपनियों को उनके हाथों में सौंप देने के लिए इस प्रकार की आयोजन की जरुरत है।
अगर इस प्रकार का आयोजन इसी प्रकार यहां चलता रहा, तो आनेवाले समय में झारखण्ड को दुर्दिन देखने पड़ेंगे, इसलिए यहां की जनता को, यहां की मिट्टी से जुड़े नेताओं को इसका विरोध करना चाहिए तथा यहां पाये जानेवाले प्रचुर संपदाओं की हिफाजत करने का बीड़ा भी उठाना चाहिए, नहीं तो इस प्रकार के आयोजन से झारखण्ड का बुरा हाल हो जायेगा। ठीक उसी प्रकार, जैसे झारखण्ड में वन तो हैं, पर वन्य प्राणी नहीं, जैसे वन तो हैं, पर वनों में पाई जानेवाली बहुमूल्य वृक्ष अंधाधुंध कटाई के कारण अब दिखाई नहीं पड़ते, सिमटते जा रहे हैं। अतः झारखण्ड आपका है, इसे बचाने के लिए झारखण्डियों को ही प्रयास करना होगा, न कि बाहर के लोग आकर झारखण्ड की हिफाजत करेंगे।