अपनी बात

रांची के ज्यादातर पत्रकारों को न तो हाथों पर रक्षासूत्र बंधवाना अच्छा लगता है और न ही आभार/आशीर्वाद स्वीकार करना

आज ठीक सबेरे 9.35 बजे भाजपा झारखण्ड के व्हाट्सएप्प ग्रुप पर एक मैसेज वायरल हुआ। मैसेज आमंत्रण से संबंधित था। मैसेज में स्पष्ट लिखा था – “सभी प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के बंधुओं को सादर नमस्कार। आप सभी को सादर सूचित करते हुए कहना है कि कोरोनाकाल में आप सभी मीडिया बंधुओं के द्वारा विषम परिस्थितियों के बावजूद सभी को हर छोटी बड़ी खबर पहुंचाने का काम किया है।

आपके इस सराहनीय कार्य के लिए भाजपा महिला मोर्चा की बहनें रक्षा सूत्र बांधकर आपका आभार करना चाहती हैं। इसलिए दिनांक 28 अगस्त 2021 को अपराह्ण 02 बजे भाजपा प्रदेश कार्यालय में रक्षा सूत्र बंधन कार्यक्रम में आप सभी सादर आमंत्रित है। स्थान – भाजपा प्रदेश कार्यालय” और भवदीय में नाम था – आरती कुजूर का, जो भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष है।

ऐसा बहुत कम ही मौका आता है कि जिसमें किसी राजनीतिक दल की महिला इकाई पत्रकारों को केन्द्रित कर कुछ कार्यक्रम आयोजित करती है, हमें लगा कि इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पत्रकार जुटेंगे, पर निराशा हाथ लगी, क्योंकि यहां राखी बांधनेवाली भाजपाई बहनों की संख्या ज्यादा थी, पर पत्रकारों के हाथ कम पड़ गये थे।

जबकि आम तौर पर इसी भाजपा प्रदेश कार्यालय में देखा गया है कि किसी भी नेता का प्रेस कांफ्रेस आयोजित होता है या कार्यसमिति की बैठकें होती हैं तो पत्रकारों की इतनी भीड़ इक्टठी हो जाती है, कि कुर्सियां तक कम पड़ जाती है, अगर भाजपा की व्हाटसएप्प ग्रुप खंगाला जाय, तो पता लग जायेगा कि भाजपा के प्रति संवेदनशील पत्रकारों की संख्या कितनी है।

मैं तो दावे के साथ कह सकता हूं कि जितनी भीड़ भाजपा के नेताओं के कार्यक्रम में होती हैं, उतनी भीड़ तो अन्य दलों के प्रेस कांफ्रेसों में नहीं होती, पर ये क्या? रक्षा सूत्र बंधवानेवाले कार्यक्रम से पत्रकारों की इतनी दूरियां? क्या पत्रकारों के लिए आभार स्वीकार करना जरुरी नहीं।

भाई, यहां तो गजब हो गया, रांची के पत्रकार आभार भी नहीं स्वीकार करना चाहते, आशीर्वाद भी लेना नहीं चाहते, शुभकामनाएं भी स्वीकार करना नहीं चाहते, अगर ये सब नहीं चाहते, तब तो गलत ही हैं, क्योंकि आभार स्वीकारना, आशीर्वाद प्राप्त करना, शुभकामनाएं स्वीकार करना कोई सामान्य बात नहीं।

हालांकि ये पूरी तरह राजनीतिक कार्यक्रम था, जैसा कि आरती कुजूर ने अपने बयान में कहा, फिर भी रक्षासूत्र की पवित्रता और उसके मूल्य की तुलना किसी भी अन्य वस्तुओं या समय से नहीं की जा सकती। खुशी इस बात की है कि एक दो लोगों ने इस कार्यक्रम की सार्थकता व भव्यता को समझा और बड़ी ही पवित्र मन से अपने हाथों में रक्षासूत्र बंधवाएं, जिसमें पहले स्थान पर रहे न्यूज 11 भारत में कार्यरत संवाददाता राजेश सिन्हा।

भाजपा प्रदेश कार्यालय से प्राप्त एक व्यक्ति द्वारा भेजा गया विडियो स्पष्ट कर रहा है कि उन्होंने इसकी भव्यता व पवित्रता को समझा, और यही भाव आज सभी के मन में रहना चाहिए था, खासकर उनलोगों को जो भाजपा बीट देखते हैं, क्योंकि हर समय समाचार का तौल-मौल ही जरुरी नहीं, कभी-कभी सम्मान व मूल्य भी पत्रकार और पत्रकारिता के लिए जरुरी है, अगर हम इस मूल्य को नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा?

एक गलतियां भाजपा महिला मोर्चा से हो गई, उन्होंने प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया को तो आमंत्रित किया, पर वेब पोर्टल को बुलाना भूल गई, अगर वो वेब-पोर्टल को भी आमंत्रित करती तो मैं भले ही किसी कार्यक्रम में नही जाता या दूरियां बना चुका हूं, इस कार्यक्रम में जरुर जाता।

हमें लगता है कि भाजपा महिला मोर्चा को लगा होगा कि वेब पोर्टल को बुलाने पर भीड़ अनियंत्रित हो जायेगी, पर यहां तो भीड़ अनियंत्रित क्या? यहां तो पत्रकार ही नहीं के बराबर आये, भाजपा प्रदेश कार्यालय द्वारा संप्रेषित रक्षासूत्र कार्यक्रम संपन्न होने के बाद ये हुआ फोटो सेशन सब कुछ बयां कर दे रहा है।

खुद देखिये, आशीर्वाद और शुभकामनाएं देनेवाली बहनों की संख्या अधिक, पर पत्रकार भाइयों की संख्या अंगूलियों पर गिनने लायक, ये दृश्य बताता है कि हम अपनी संस्कृति से कितने कटते चले जा रहे हैं और हमारे लिए भारतीय संस्कृति क्या मायने रखती है। जरा सोचियेगा, पत्रकार भी सोचे और भाजपाई भी सोचे।