हेमन्त सरकार को बड़ा झटका, HC ने कहा रुपा तिर्की मामले की CBI करेगी जांच, झारखण्ड के महाधिवक्ता व अपर महाधिवक्ता पर चलेगा अवमानना का केस, नोटिस जारी
आखिर हेमन्त सरकार की झारखण्ड हाई कोर्ट में किरकिरी हो ही गई। सरकार दोनों मामले में मुकी खाई, रुपा तिर्की मामला सीबीआई के पास चला गया और महाधिवक्ता व अपर महाधिवक्ता पर अवमानना का केस चलेगा, वो सो अलग। कानून के जानकार बताते है कि जो स्थितियां थी, उसके अनुसार यही होना था।
झारखण्ड होई कोर्ट के इस फैसले से जनता को विश्वास जगा है कि सरकार कुछ भी कर लें, न्यायालय जनहित व सत्य के पक्ष में ही फैसला सुनायेगी। आज सभी की नजर झारखण्ड हाई कोर्ट पर थी। रुपा तिर्की मामले में झारखण्ड हाई कोर्ट ने साफ कहा कि यह रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस है और सीबीआई के लिए यह केस फिट है।
न्यायालय ने केस को सीबीआई को सौंपने का तुरन्त आदेश दिया। ज्ञातव्य है कि रुपा तिर्की के पिता देवानन्द उरांव ने झारखण्ड उच्च न्यायालय में इस आशय की याचिका दायर की थी कि इस मामले की सीबीआई जांच कराई जाय। कई संगठनों ने भी इस मामले की जांच सार्वजनिक स्तर पर सीबीआई से कराने की मांग की थी, पर सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही थी।
दरअसल पुलिस इस पूरे प्रकरण को प्रेम प्रसंग का मामला बताकर आत्महत्या का मामला बता रही थी, लेकिन रुपा तिर्की के पिता देवानन्द उरांव इस बात को मानने को तैयार नहीं थे कि ये मामला प्रेम प्रसंग का है, उनका कहना था कि जिस परिस्थिति में उनकी बेटी का शव प्राप्त हुआ हैं, वो दूसरी षडयंत्र को बता रहा है।
दूसरी ओर झारखण्ड के महाधिवक्ता राजीव रंजन और अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार पर अवमानना केस चलाने की हरी झंडी हाई कोर्ट ने दे दी। दोनों के खिलाफ नोटिस भी जारी कर दी गई है। ज्ञातव्य है कि झारखण्ड हाई कोर्ट में महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता के खिलाफ अवमानना चलाने के लिए आइएल दाखिल किया गया था, जिस पर कल बहस भी हुई थी।
जिसमें महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल ने बहस की थी और इस संबंध में याचिका को निरस्त करने की अपील की थी। कपिल सिब्बल का कहना था कि महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता पर अवमानना का दरअसल कोई केस ही नहीं बनता। महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता पर आरोप था कि इन दोनों का व्यवहार अदालत की मर्यादा के प्रतिकूल था, इसलिए इनके खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाना चाहिए।