सीएम रघुवर दास के सोशल साइट पर ही ‘झारखण्ड माइनिंग शो’ का उड़ रहा मजाक
‘मोमेंटम झारखण्ड’ के बाद अब ‘झारखण्ड माइनिंग शो’ का मजा लीजिये। मजा लीजिये, उन सारी बातों का, जो कभी सीएम रघुवर दास ने ‘मोमेंटम झारखण्ड’ के दौरान कहे थे। जैसे इसी साल 16-17 फरवरी को मोराबादी मैदान में आयोजित ‘मोमेंटम झारखण्ड’ के दौरान उन्होंने कहा था कि 3.10 लाख करोड़ निवेश के लिए 210 कंपनियों से एमओयू हुए हैं, जिससे 6 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा, कितना एमओयू जमीन पर उतरा और कितने लोगों को रोजगार मिला? वो तो झारखण्ड की जनता जान ही रही है।
दूसरी बात, उसी दौरान उन्होंने ये भी कहा था कि जिन निवेशकों को कुछ भी दिक्कत हो, वे हमसे संपर्क करें, कितने लोगों ने संपर्क किया और उसका क्या नतीजा निकला? वो भी सबके सामने हैं और अब वहीं सारा तमाशा इस ‘झारखण्ड माइनिंग शो’ में भी देखने को मिल रहा है। फिर उसी प्रकार के डॉयलॉगबाजी शुरु हो गई है, फिर सीएम ने कहा किसी को दिक्कत हो, उनसे सम्पर्क करें, हमें भी क्या है? हम भी सुन रहे है, और इस डॉयलॉगबाजी का मजा ले रहे हैं।
बताया जा रहा है कि इस ‘झारखण्ड माइनिंग शो’ से दस हजार करोड़ का निवेश होगा और इससे 50 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। हां भाई जैसे आठ महीने पहले 3.10 लाख करोड़ का निवेश के लिए एमओयू सुने थे और छः लाख लोगों को रोजगार, तो एक बार फिर सुन रहे और अंत में जैसे ‘मोमेंटम झारखण्ड’ वाली मेला देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ जुटी थी, इस ‘झारखण्ड माइनिंग शो’ के मेले में भी लोग जुटे, इसके लिए अच्छी व्यवस्था हो गई है।
केन्द्रीय खनन मंत्री पीयुष गोयल आये है, उन्होंने भाषणबाजी की है। वे भाषणबाजी में राज्य सरकार की आलोचना थोड़े ही करेंगे, वे तो उसकी पीठ ही थपथपायेंगे, चाहे काम हो या न हो, जो राज्य की जनता है, या जो राजनीतिक समझ रखते है, या जो असल में पत्रकार है, जो किसी नेता का जूता-चप्पल नहीं उठाते या चिरौरी नहीं करते, वे जानते है कि राज्य की क्या स्थिति है? इसलिये ऐसे लोग, हतप्रभ है कि राज्य को किस प्रकार लूटने का षडयंत्र चल रहा है।
आर पी शाही ठीक ही कहते है कि झारखण्ड सरकार के मंत्री और सचिव 1000 दिनों से देश-विदेश में सैर कर इन्वेस्टर्स को आमंत्रित कर रहे है। मुंबई, बेंगलोर, कलकत्ता, अमेरिका, चेक रिपब्लिक, जापान सब जगह कितने मेहनत से सैर कर रहे है, लेकिन पता नहीं क्यों? कोई आने को तैयार ही नहीं हैं। मोमेंटम वाली नौटंकी भी हुई, एक बार नहीं, दो-दो बार, कितनों को जहाज से लाया, यहां तक कि हाथी तक को उड़ा दिया, लेकिन या तो कोई आया नहीं, या आया तो केवल बोल कर चला गया और जो भ्रष्ट इन्वेस्टर्स आया भी तो इसका वे फायदा लेकर लूटकर चलते बने, और अब कई राज्यों की पुलिस उनको खोजते-खोजते यहां तक पहुंच गई।
अखबारवाले-चैनलवाले मस्त हैं, क्योंकि राज्य सरकार उन्हें अपने द्वारा दिये जा रहे मुंहमांगी विज्ञापनों से उनका मुंह बंद कर रखे हैं। अखबारवाले-चैनलवाले विज्ञापनों के मिलने से राज्य सरकार और ‘झारखण्ड माइनिंग शो’ के साथ-साथ यहां के भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों की जय-जय कह रहे हैं, और जनता को उनके हाल पर रोने को छोड़ दिये हैं। स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। इस बार जो सरकार ने विज्ञापन दिये हैं, उसमें कही भी उड़ता हाथी दिखाई नहीं पड़ रहा, शायद हो सकता है कि इस बार सरकार और उनके अधिकारियों को ये दिव्य ज्ञान हो गया हो, कि हाथी उड़ता नही हैं।
इसी बीच खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास के सोशल साइट पर जहां ‘झारखण्ड माइनिंग शो’ से संबंधित समाचार पोस्ट किये जा रहे हैं, वहां भी इस ‘झारखण्ड माइनिंग शो’ का मजाक उड़ाया जा रहा है। अमृतेष सिंह चौहान कहते है कि भैया मेरी गाय उड़वा दीजिये। एम वजाहत हुसैन कहते है कि फेंकने में भाजपा की राष्ट्रीय आदत बन गई है। मोहम्मद अलाउद्दीन कहते है कि एक और नया फंडा मोमेंटम माइनिंग का झूठ। विकास कुमार कहते है कि धरातल पर काम दिखना चाहिए। मंटू अग्रवाल कहते है कि झारखण्ड को विनाश कर दिया गया, विकास सिर्फ कागज पर हुआ। दीपक भगत कहते है कि अब बहुत हो गया, झारखण्ड में इलेक्शन हो जाय। नवीन सिंह चौहान कहते है कि जिसका जमीन जाये, वो नौकरी करे, बाकी विस्थापित लोग क्या करेगा? गोविंद कुमार चौबे कहते है कि अपनी डफली, अपनी राग, जोक ऑफ द डे।
कुल मिलाकर देखा जाये, तो इस ‘झारखण्ड माइनिंग शो’ से जनता का विश्वास उठ गया है, पर रांची के अखबारों व चैनलों को देखिये तो इस ‘झारखण्ड माइनिंग शो’ में उनका भविष्य दीखता हैं, क्योंकि ऐसे ही कार्यक्रमों से तो विज्ञापनोत्सव का पर्व गुलजार होता है, जिससे उनकी आर्थिक शक्ति और मजबूत होती है, और राज्य की जनता के करों के पैसे धूल में मिल रहे होते हैं।