अपनी बात

दर्ज़नो IAS अफ़सरो के खिलाफ चोरी चकारी के आरोप pending हैं और ऐसे ही रहेंगे, जो IAS बन जाते हैं, वे अंग्रेज के वारिस प्रिन्स की तरह जीवन जी सकते हैं। लेकिन आम जन? ऐसे में UPSC के परिणाम पर इतराने का मतलब…

वरिष्ठ पत्रकार गुंजन सिन्हा लिखते हैं – हर साल कोई न कोई top करता है और बिहार मे भी कई भूत topper हैं। हर topper के साथ बिहार भाव विह्वल होता रहा है। लेकिन इन toppers ने बिहार को क्या प्रशासन, क्या विकास, क्या प्रशासनिक रीढ़ के प्रतिमान दिये हैं, वह एक काली गाथा है।

दर्ज़नो IAS अफ़सरो के खिलाफ चोरी चकारी के आरोप pending हैं और ऐसे ही रहेंगे। सही है कि जो IAS बन जाते हैं, वे अंग्रेज के वारिस प्रिन्स की तरह जीवन जी सकते हैं। लेकिन आम जन? बेगानी शादी में अब्दुल्ला दिवाना…गुंजन सिन्हा के ये दो टूक शब्द काफी कुछ कह देते हैं।

आज खुब बाजार में शोर है कि बिहार के युवकों ने ये कर दिया, वो कर दिया, झारखण्ड के लड़कों-लड़कियों ने भी गजब कर डाला है। संघ लोक सेवा आयोग में इतने स्थानों पर विजय हासिल की है, पर भाई साहेब ये विजय हो या कुछ भी हो, इससे आम जनता को क्या मतलब, अंत में जब ये प्रशिक्षण प्राप्त करके आयेंगे तो जनता के सीनें पर मूंग ही दलेंगे न।

मैं तो झारखण्ड में रह रहा हूं और अनेक भारतीय प्रशासनिक सेवाओं से जुड़े अधिकारियों को देख रहा हूं, उनके रहन-सहन को देख रहा हूं, उनकी मस्ती देख रहा हूं, उनके कमीशन और लूट को देख रहा हूं, आखिर जिस विजय से जनता को अपमान और भ्रष्टाचार की ही खेती मिलनी है, उस पर इतना इतराना किसलिए भाई…

रांची में ही एक बड़े उच्चे ओहदे पर भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़े बड़े अधिकारी हैं, जिनका नाम बड़े ही आदर से लिया जाता है, अवकाश प्राप्त करने की ओर बढ़ रहे हैं, प्रशासन में आये इन गुड़-गोबरों पर मुझे एक बात कही थी कि “मिश्रा जी, आजकल के जो नये-नये आइएएस व वर्तमान में मैं अपने आस-पास के आइएएस अधिकारियों की मनमानी और लूट को देखता हूं, तो मुझे लगता है कि बेकार में मैं इस पेशे में आया, अच्छा होता कि मैं किसी हाई स्कूल का प्रिंसिपल होता।”

दरअसल ये जो आइएएस बनते हैं, वे देश-सेवा के लिए नहीं बनते, ये जनहित में बनी योजनाओं को मूर्त्तरुप देने के लिए नहीं बनते, ये तो विशुद्ध व्यापार करने के लिए इस सेवा में आते हैं, कड़ी मेहनत करते हैं ताकि लूट का कमीशन बिना किसी मेहनत के उनके घर तक उनके मातहत काम करनेवाले कर्मचारी, ठेकेदार, कमीशनखोर पहुंचा दें।

आखिर, बड़े-बड़े महानगरों में देखते ही देखते कई आलीशान कोठिया, अरबों-खरबों की जमीन, विदेशों में निवेश, कई बैंकों में करोड़ों के खजाने कहां से इनके पास आ जाते हैं। भाई संघ लोक सेवा आयोग, इन्हें नौकरी का प्रमाण पत्र देने के साथ-साथ अलादीन का चिराग भी दे देती हैं क्या?

सच्चाई यह है कि ये आइएएस बने नमूने, देश को खोखला ज्यादा कर रहे हैं, नेताओं से मिलकर वे लूट का धंधा को नया रुप दे रहे हैं। सही बात कह दूं कि अगर सीबीआई, ईडी या अन्य जांच एजेंसियां इन आइएएस बने वीर-बहादुरों के कुकर्मों की न्यायिक जांच सही ढंग से कर दें तो देश व राज्य के 90-95 प्रतिशत आइएएस जेल की शोभा बढ़ाते नजर आयेंगे।

मैंने तो एक-दो आइएएस को छोड़, ज्यादातर आइएएस को झूठ बोलते-अनाचार करते देखा है, इसलिए संघ लोक सेवा आयोग जितना भी परिणाम निकाल दें, अगर इनके पास चरित्र ही नहीं, तो फिर इनका आइएएस बनना और न बनना दोनों बराबर और संघ लोक सेवा आयोग कम से कम चरित्रवान बनाने की ठेका तो नहीं ही लेता, वो तो सरकारी प्रावधानों के तहत नौकरी के लिए फिट बंदा है या नहीं, सिर्फ यही देखता है। ऐसे में इस साल भी बने नये आइएएस से आम जनता को क्या मतलब?