“हम तेरे बिन कही रह नहीं पाते, तुम नहीं आते तो हम मर जाते, हाय प्यार क्या चीज है, ये जान नहीं पाते…”
“हम तेरे बिन कही रह नहीं पाते, तुम नहीं आते तो हम मर जाते, हाय प्यार क्या चीज है, ये जान नहीं पाते…” इस दृश्य को देख, हमें फिल्म “सड़क” का ये गाना अनायास याद आ रहा है। कमाल है अर्जुन मुंडा की सरकार हो या रघुवर की सरकार, और अब हेमन्त की ही सरकार क्यों न हो, सभी सरकारों की इस अधिकारी में दिलचस्पी रही हैं, क्यों दिलचस्पी रही हैं भगवान जाने।
इस अधिकारी का नाम है – राजीव लोचन बख्शी। जनाब मृदुभाषी हैं, चेहरे पर जरुरत के अनुसार मुस्कान बिखरते रहते हैं, अपने चाहनेवालों पर हमेशा कृपा लूटाते रहे हैं, फिर भी पता नहीं क्यों, हेमन्त की ही सरकार ने इसी साल इन्हें सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग से क्यों विदा कर दिया और फिर इन्हें कल यानी 18 अक्टूबर को क्यों आनन-फानन में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के निदेशक पद पर आसीन कर दिया, जबकि नये निदेशक आईएएस शशि प्रकाश सिंह के आये तो कुछ महीने ही बीते थे।
सूत्र बताते है कि राजीव लोचन बख्शी को लाने में एक चैनल और एक ठेकेदार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिनका सीधा सम्पर्क मुख्यमंत्री आवास से हैं, चूंकि पूर्व में राजीव लोचन बख्शी का इन दोनों महाशयों पर कृपा रहा था, अपनी उस कृपा को पुनः प्राप्त करने के लिए इन दोनों ने एड़ी चोटी लगा दी, और लीजिये सफलता मिल गई। आनन-फानन में कार्मिक विभाग ने अधिसूचना निकाल दी और लीजिये फिर शुरु हो गया इन्हें बधाई देने का दौर।
ज्ञातव्य है कि जनाब राजीव लोचन बख्शी प्रदूषण विभाग, वन विभाग और सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में ही घूमते-फिरते रहे हैं और विभिन्न राज्य सरकारों ने अपनी सुविधानुसार तथा अन्य लोगों को प्राप्त होनेवाली सुविधा को देखते हुए इन पर दया दृष्टि बनाये रखी। पहली बार अर्जुन मुंडा की सरकार में राजीव लोचन बख्शी आइपीआरडी में एडीशनल सेक्रेट्री रहे, जबकि रघुवर और हेमन्त सरकार में निदेशक के पद पर विराजमान रहे। कई बार इन्हें निदेशक के पद से हटाया गया और फिर इन्हें कल एक बार उसी पद पर विभूषित कर दिया।
राजनीतिक पंडित ये जानकर आश्चर्य में हैं कि जब राजीव लोचन बख्शी को पुनः निदेशक पद पर ही सुशोभित करना था तो हेमन्त सरकार ने इन्हें इस पद से हटाया ही क्यों था, एक नये आईएएस शशि प्रकाश सिंह को निदेशक क्यों बनाया, और अब फिर आइएएस के बाद पुनः निदेशक के पद पर गैर आईएएस राजीव लोचन बख्शी को क्यों बिठा दिया गया? क्या राज्य में आईएएस अधिकारियों की कमी है या राजीव लोचन बख्शी से ज्यादा गुणवान कोई अधिकारी हेमन्त सरकार की नजरों में कोई है ही नहीं, या बात ही कुछ और है?
आईएएस शशि प्रकाश सिंह इसी साल जुलाई में आये अक्टूबर में चले गये, इसके पहले इस पद पर राजीव लोचन बख्शी ही विराजमान थे, जब राजीव लोचन बख्शी को इस पद से हटाया गया था तो नये निदेशक की बहाली के लिए सरकार में शामिल लोग माथापच्ची किये हुए थे, माथापच्ची करने के बाद उन्हें आईएएस अधिकारी शशि प्रकाश सिंह में वो खूबियां देखने को मिली थी, लेकिन आश्चर्य वो सारी खूबियां मात्र मात्र चार महीने में ही काफूर हो गई। अब चूंकि फिर से राजीव लोचन बख्शी पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने फिर से प्यार लूटाया हैं तो मान लिया जाये कि इस बार वे लंबी पारी आइपीआरडी में खेलेंगे तथा अपने लोगों पर कृपा लूटायेंगे।
मुद्रा में बहुत ताकत होती है।