अपनी बात

तब तो आप ही के पार्टी के लोबिन हेम्ब्रम, भाकपा माले सदस्य विनोद सिंह, तथा कांग्रेस के कुछ विधायक भी मनुवादी हो गये

कल यानी सोमवार को झारखण्ड विधानसभा में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने झारखण्ड लोक सेवा आयोग को लेकर जो बयान दिया है, वो आज रांची से प्रकाशित सभी अखबारों की सुर्खियां हैं। मुख्यमंत्री का बयान है – दलित-पिछड़ों के पास होने से मनुवादियों के पेट में दर्द हो रहा है, विश्व हिन्दू परिषद् के नौजवानों को जेपीएससी के खिलाफ धरने पर बैठाया जा रहा है।

अब सवाल उठता है कि जब मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को जेपीएससी को लेकर इतनी अच्छी जानकारी है, तो वे खुद बताएं कि उन्हीं के पार्टी के नेता लोबिन हेम्ब्रम ने जेपीएससी को लेकर अंगूलियां क्यों उठाई, विधानसभा में भाकपा माले सदस्य विनोद कुमार सिंह, निर्दलीय सदस्य सरयू राय तथा कांग्रेस के भी एक-दो सदस्यों ने जो अंगूलियां उठाई हैं, क्या वे सारे के सारे मनुवादी है? विश्व हिन्दू परिषद् से जुड़े लोग है?

और अगर ये सारे के सारे मनुवादी और विहिप के लोग हैं तो फिर भाकपा माले सदस्य विनोद कुमार सिंह, झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी विहिप कार्यकर्ता और मनुवादी हो गये? क्या अब सरकार को सही दिशा दिखानेवाले लोगों को भी राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का कोपभाजन होना पड़ेगा? सदन में बोलना और सदन के बाहर बोलना दोनों अलग-अलग चीजें हैं?

आप भाजपा के विरोध में हैं, भाजपा की हर अच्छी-बुरी चीजों पर टिप्पणी कर देते हैं, चलेगा। लेकिन जिस मुद्दे को लेकर झारखण्ड का हर युवा प्रभावित है, उन युवाओं के भविष्य को दरकिनार कर सदन में ऐसी टिप्पणी करने से, युवाओं के जख्म नहीं भरेंगे, बल्कि ये जख्म और गहरे होंगे, इसका असर आनेवाले चुनावों पर भी पड़ेगा, ये समझने की आवश्यकता है।

पहले कंघी पकड़नेवाले, फिर कमल पकड़कर चलनेवाले और फिर झारखण्ड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष बनने के लिए तीर-धनुष को धारण करनेवाले महामना आपको नहीं बचा पायेंगे? झारखण्ड के प्रथम मुख्यमंत्री और जिन्हें आप नेता विरोधी दल बनने में अड़ंगा लगा चुके हैं, यानी बाबू लाल मरांडी ने ठीक ही टिप्पणी की है। बाबू लाल मरांडी का यह बयान जो उन्होंने सोशल साइट पर दी है, वो अक्षरशः सही है।

बाबू लाल मरांडी के शब्दों में – “जेपीएससी के मामले पर अपनी नाकामी और भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए सीएम हेमन्त सोरेन जी अब अनर्गल और बेतुका बयान दे रहे हैं। जब इनके नियुक्ति वर्ष और नौकरियों के वादे फुस्स हो गये हैं, भ्रष्टाचार उजागर हो गया तो विरोध करनेवालों को मनुवादी और विहिप के लोग बता रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि सरकार छात्रों के आंदोलन को दबाने के लिए तरह-तरह के षडयंत्र करने में जुटी है। अपनी विफलताओं पर पर्दा डालने और जेपीएससी के भ्रष्ट अध्यक्ष को बचाने में जुटी है, जब सब कुछ साफ और पारदर्शी है तो सीबीआई जांच से डर कैसा? मतलब साफ भ्रष्टाचार और साजिशों की जड़े काफी गहरी है।”

आपके यह कहने से कि रघुवर दास या अन्य भाजपाई मुख्यमंत्रियों के शासनकाल में क्या हुआ? आप जेपीएससी के वर्तमान अध्यक्ष के नेतृत्व में हो रहे पापों से नहीं बच सकते और न कोई बचा पायेगा, कबीर की पंक्ति याद रखिये – निर्बल को न सताइये, जाकी मोटी हाय। मरे मृग के छाल से लौह भस्म हो जाये।। जनता सब देख रही है, दो साल बीत चुके, तीन साल बीतने में कितने देर लगेंगे?