साढ़े तीन पेज की विज्ञापन की लालच में रांची के अखबारों ने CM हेमन्त के आगे सर झूकाया, हिन्दुस्तान ने झूठी खबरें छापी, महिला पत्रकार के विजयूल को लेकर राजनीति चमकानेवाले भाजपाइयों ने भी उक्त महिला के प्रति संवेदना नहीं जताई
साढ़े तीन पेज के विज्ञापन का कमाल देखिये, राज्य के सभी प्रमुख अखबारों ने आज हेमन्त स्तुति गाई हैं, सभी ने उस न्यूज को प्रधानता दी है, जो ऊंट के मुंह में जीरा वाली लोकोक्ति को चरितार्थ कर रही है, यानी गरीबों को राशनकार्ड पर एक महीने में मात्र दस लीटर पेट्रोल/डीजल खरीदने पर 25 रुपये प्रति लीटर की दर से सब्सिडी दी जायेगी, वह भी तब जब पेट्रोल की रसीद वेबसाइट पर डाली जायेगी तब जाकर वह सब्सिडी मिलेगी।
अब क्या कोई व्यक्ति राशनकार्ड लेकर, उसकी रसीद प्राप्त कर, फिर उसे वेबसाइट पर डालने का इतना लंबा प्रोसेस, वो भी मात्र 250 रुपये एक महीने में बचाने के लिए दिमाग लगायेगा, उत्तर होगा – कभी नहीं, क्योंकि इतना पैसा तो उसका इंटरनेट में ही चला जायेगा, क्या हेमन्त सोरेन को मालूम नहीं कि आजकल एक महीने के इंटरनेट का क्या दाम बाजार में चल रहा हैं? तो ये सिगुफा किसके लिए हेमन्त बाबू ने छोड़ा? वो कौन ऐसा अधिकारी है, जो इस प्रकार का दिमाग राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को देता है, और मुख्यमंत्री उसके इस दिमाग पर चल देते हैं।
एक अखबार दैनिक भास्कर ने तो इस पर ऐनालिस कर डाली कि मुख्यमंत्री की इस घोषणा से भाजपा को झटका, कांग्रेस को अपना वोट बैंक बचाने की चुनौती हो जायेगी, जबकि विद्रोही 24 का मानना है कि झारखण्ड की जनता इतनी मूर्ख नहीं कि इतने कठोर प्रोसेस को अपनाकर मात्र 250 रुपये महीने बचाने के लिए, अन्य मुद्दों को ताक पर रखकर जैसे अखबार वाले हेमन्त कीर्तन गा रहे हैं, वैसे वो भी गाने लगेगी। सच्चाई तो यह है कि हेमन्त सरकार का अब जाना तय है, अब जब भी चुनाव होंगे, झारखण्ड से कांग्रेस और झामुमो सदा के लिए समाप्त हो जायेगी और भाजपा फिर से सत्ता में आ जायेगी।
हिन्दुस्तान अखबार का सफेद झूठ
सबसे बे-गैरत अखबार कोई अगर हैं तो वो हैं – रांची का हिन्दुस्तान, जिसने हेमन्त स्तुति गाने के के चक्कर में, सफेद झूठ जनता के बीच परोस दिया। उसने पृष्ठ संख्या दो के नीचे बॉटम में एक खबर छापी, जिसका शीर्षक है – “पूरे कार्यक्रम के दौरान सीएम हेमन्त सोरेन को सुनने तक लोग जमे रहे, लोगों ने कोरोना टीका भी लगवाया” “समारोह में पूस की ठंड पर भारी दिखा जनता का उत्साह” “महिलाओं की संख्या थी अधिक”।
जबकि सच्चाई यह है जब मुख्यमंत्री भाषण दे रहे थे, उस वक्त सभागार की नब्बे प्रतिशत कुर्सियां खाली थी, जो लोग आगे बैठे थे, वे भी जा रहे थे, जिसका सीधा लाइभ एक तेजतर्रार महिला पत्रकार गौरी रानी, अपने चैनल पर कर रही थी, जिसको लेकर एक कांग्रेसी नेता उससे उलझ भी गया था, बदतमीजी भी की थी, जिसको लेकर पूरे रांची में पत्रकारों के बीच गुस्सा भी है।
आश्चर्य है कि हिन्दुस्तान और रांची के अन्य अखबारों ने साढ़े तीन पेज के विज्ञापन की लालच में इस खबर को स्पर्श भी नहीं किया, न खबर छापी, जबकि इसी हिन्दुस्तान के मुख्य क्राइम रिपोर्टर अखिलेश कुमार सिंह, अपने फेसबुक पर गौरी को अपनी बहन बताते हुए, आक्रोश भी व्यक्त किया है, लेकिन उन्होंने भी अपना धर्म नहीं निभाया, अखबार में खबर ही नहीं छपी।
भाजपाई भी बेशर्म निकले
कमाल देखिये, गौरी रानी का विजूयल ले, भाजपा के बडे-बड़े नेता राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर उनकी सभा में आई भीड़ को लेकर अंगूलियां उठाते रहे, पर किसी ने भी उक्त महिला पत्रकार के प्रति संवेदना नहीं दिखाई और न ही एक शब्द बोलना उचित समझा, जब इस बात को लेकर आज विद्रोही24 ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश से बातचीत की तो उनका कहना था कि वे तुरन्त इस पर एक्शन लेते हैं।
इसी मुद्दे पर विद्रोही24 ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर से बातचीत करनी चाही तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया। लोग बता रहे है कि जिस कांग्रेसी नेता ने महिला पत्रकार गौरी रानी के साथ बदतमीजी की थी, उसकी पहचान हो गई है, वह चतरा का रहनेवाला हैं, जिसको बचाने के लिए कांग्रेसी अभी से ज्यादा दिमाग लगा रहे हैं।
अब रांची के अखबार अपने धर्म का निर्वहन नहीं कफ सरकार का गुणगान में लगे हैं यही सबसे अधिक चिंता का विषय है।धन्यवाद आपको इस मुद्दे को प्रकाश में लाने के लिए।