पूरे झारखण्ड में विज्ञापनोत्सव हर्ष व उल्लास के बीच सम्पन्न, दिन भर विभिन्न अखबारों में छपे विज्ञापनों के बीच स्वयं को ढूंढते रहे ग्राहक व सरकार के लोग
जी हां, इस साल का पहला विज्ञापनोत्सव आज हर्ष व उल्लास के बीच संपन्न हो गया। हम आपको बता दें कि वर्ष में दो बार यानी एक 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस और दूसरे 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस को पूरे राज्य में विज्ञापनोत्सव मनाया जाता है। इस दिन अखबार, चैनल व पोर्टल से जुड़े सारे लोग चाहे वो संपादक हो या विज्ञापन प्रबंधक, चाहे वो रिपोर्टर्स हो या संवाददाता, चाहे वो न्यूज सप्लायर्स हो या न्यूज कंटीब्यूटर्स अथवा न्यूज ट्रेडर्स ही क्यों न हो, सभी इस त्योहार में विशेष रुप से दिलचस्पी लेते हैं, क्योंकि इस विज्ञापनोत्सव में सभी का हित किसी न किसी रुप से जुड़ा होता है।
इस दिन जिलाधिकारी हो या राज्य के मुख्यालय में बैठा विभिन्न विभागों का अधिकारी अथवा सीएमओ में बैठा व्यक्ति-विशेष, सभी अपने-अपने अधिकारों का विशेष रुप से उपयोग करते हुए विभिन्न पत्रकारों अथवा संस्थानों को विज्ञापन के द्वारा संतुष्ट करने की कोशिश करता है। जो अधिकारी इस प्रकार के कृत्यों से अपने चाहनेवाले पत्रकारों को संतुष्ट कर देते हैं, वैसे अधिकारियों को ये पत्रकार मौका आने पर काफी मदद करते हैं।
जैसे किसी पत्रकार के संपर्क में आया खास अधिकारी के घर में उसके बेटे-बेटियों की शादी हो तो वह उस समाचार को, जो कि समाचार नहीं होता हैं, उसका विशेष रिपोर्टिंग करते हुए, उक्त समाचार को छापने के लिए विज्ञापन प्रबंधक या संपादक तक दबाव बना देता हैं, और सफल भी होता हैं। यही नहीं, ऐसे पत्रकार, वैसे अधिकारी को, जब उनका कैरियर भ्रष्टाचार में लिप्त होने पर बर्बाद हो रहा होता हैं, तो वह उन्हें बचाने के लिए हर प्रकार का जोर लगा देता है, जो इस विज्ञापनोत्सव के कारण ही संभव हो पाता है।
आज के विज्ञापनोत्सव का प्रभाव यह दिखा कि जो अखबार कल तक 14-18 पृष्ठों का ही छपते थे, आज रांची में 30-40 पृष्ठों तक छपे। अपार विज्ञापन मिलने के कारण आज प्रभात खबर 40, हिन्दुस्तान 34, दैनिक भास्कर व दैनिक जागरण 30-30 पृष्ठों का छपा। विज्ञापनों के इस उत्सव या चक्कर में या आप घमंड भी कह सकते हैं, एक अखबार ने राज्य सरकार के विज्ञापन को भीतर के पृष्ठों पर ऐसे जगह डाल दिया कि राज्य सरकार के अधिकारियों को अपने ही विज्ञापन को ढूंढने में नौ दिये तेल जल गये।
दूसरी ओर कई ऐसे लोग भी दिखे, जिन्होंने गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओं का विज्ञापन दे रखा था, और उस विज्ञापन को देखने के लिए अखबारों का पृष्ठ दिन भर उलटते रह गये, पर उन्हें अपना ही विज्ञापन देखने को नहीं मिला। उक्त सज्जन से जब हमने इस संबंध में बातचीत की तो उनका कहना था कि हो सकता है कि जगह नहीं रहने के कारण आज नहीं छपा, अगले दिन आयेगा।
जब हमने कहा कि आपने तो गणतंत्र दिवस की बधाई दी थी, जब अखबार छपकर आयेगा तो वो दिन 28 जनवरी होगा, उस दिन तो गणतंत्र दिवस होगा नहीं तो फिर आपके विज्ञापन का क्या मतलब, उक्त सज्जन व्यक्ति का कहना था कि तो क्या करें, अखबार और पत्रकार से लड़ेंगे तो हमारा काम नहीं न चलेगा, क्योंकि हमें राजनीति और दुकानदारी दोनों करनी हैं।
सचमुच आज का अखबार देखने से साफ पता लगा कि अखबारों से जुड़ें सभी पत्रकारों, न्यूज सप्लायर्सों, न्यूज कंटीब्यूटर्सों, न्यूज ट्रेडर्सों ने अच्छी मेहनत की हैं, इन विज्ञापनों से जो भी उन्हें दस से पन्द्रह प्रतिशत कमीशन मिलेंगे, उनसे उनके चेहरे अवश्य खिलेंगे, कुछ के खिल भी गये होंगे। करीब-करीब यही हाल चैनलों व पोर्टल चलानेवालों का भी हैं।
अब इस साल की दूसरी विज्ञापनोत्सव 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस को मनेगी, जिसके लिए अभी से ही इन लोगों ने कमर कस ली हैं, सभी न्यूज ट्रेडर्सों को पहले ही बता दिया गया है कि 26 जनवरी को जो कसर बच गई हैं, उसे 15 अगस्त में निकाल लेना हैं, फिलहाल सभी को पहले विज्ञापनोत्सव की बधाई संपादकों/प्रबंधकों/विज्ञापन प्रबंधकों ने दे दी हैं।