इस दृश्य को जनता के सामने रखने में अमूल्य योगदान देनेवाले पुलिस व प्रशासन के उच्चाधिकारियों को राष्ट्रपति पदक से सम्मानित करा देना चाहिए
दिन शनिवार, दिनांक 19 फरवरी, प्रभात खबर का धनबाद संस्करण, इस अखबार के प्रथम पृष्ठ पर छपे एक तस्वीर ने राज्य की हेमन्त सरकार, पुलिस प्रशासन व प्रशासनिक अधिकारियों के चाल-चरित्र के पोल खोलकर रख दिये हैं। तस्वीर के उपर शानदार तरीके से “यह मेट्रो शहर नहीं, चापापुर में अवैध खनन का नजारा है” यह हेडिंग देकर व्यंग्य किया गया है।
दुसरी ओर कैप्शन में बताया गया है कि “इसीएल की चापापुर आउटसोर्सिंग में एक बार फिर अवैध खनन शुरु हो गया है। यहां विस्थापन समस्या को लेकर उत्पादन एवं ट्रांसपोर्टिंग बाधित थी। पिछले दिनों उत्पादन प्रारम्भ हुआ है। नियम के तहत सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही उत्पादन किया जाना है। लेकिन रात होते ही भारी संख्या में लोग टॉर्च एवं मोबाइल की रोशनी में खनन करने लगते हैं। यह कोयला साइकिल और स्कूटर के जरिये चिह्नित उद्योगों के अलावा नदी पार जामताड़ा और बंगाल भेज दिया जाता है।”
अब सवाल उठता है कि एक अखबार में काम करनेवाले छायाकार को वहां की वस्तुस्थिति का पता चल जाता है, वो वहां से रात्रि में फोटो लेकर अपने अखबार में स्थान दे देता है और धनबाद के एसएसपी और उपायुक्त को इस कुकर्म की जानकारी तक नहीं, ये आश्चर्य नहीं तो और क्या है? राजनीतिक पंडितों की मानें तो वे तो साफ कहते है कि जब राजधानी रांची में बैठी सरकार, पुलिस विभाग के उच्चाधिकारी और प्रशासन में बैठे उच्चाधिकारी द्वारा ही उन्हें अगर हरी सिग्नल मिली हुई हो तो धनबाद में बैठा एक पुलिस अधिकारी या उपायुक्त कर ही क्या सकता है?
इसमें कोई दो मत नहीं कि जब से हेमन्त सरकार ने कार्यभार संभाला है, उनके कार्य संभालने के बाद विवादों ने हर क्षेत्र में अपना कार्यभार संभाल लिया है, हाल ही में हेमन्त सरकार में शामिल एक मंत्री के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें अवैध खनन का मामला ही प्रमुख है, तो क्या यह मान लिया जाय कि राज्य में जनता की सेवा को गौण कर, वर्तमान की सरकार अपने प्रियपात्र पुलिस व प्रशासन के उच्चाधिकारियों के साथ गलबहियां कर राज्य के खनिज संपदाओं का स्वहित में बंटाधार करने में लगी है।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो वे तो यह भी कहने लगे है कि जिस प्रकार से अवैध खनन में शामिल लोगों के मनोबल बढ़े हैं या उनके मनोबल बढ़ाये गये हैं, ऐसे पुलिस अधिकारियों/ प्रशासनिक अधिकारियों को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित करा देना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोगों से ही झारखण्ड चमत्कृत हो रहा है, विस्थापन व पलायन का नया रिकार्ड बनेगा और झारखण्ड रसातल का रसास्वादन कर स्वयं को धन्य कर लेगा।