न पोथी-पतरा, मिल गया दो ठो नेता, बेटी की करा दी शादी, हो गई क्रांतिकारी शादी, गोलू याद रखना
कन्हैया भेलारी बहुत भारी भरकम पत्रकार है, उन्होंने कल फेसबुक पर एक पोस्ट डाला, जिसमें दो राजनीतिज्ञ जो बिहार के नमूने भर हैं, का फोटो हैं, और उसमें कुछ पन्द्रह बीस पंक्तियों लिखी है, जिसमें क्रांतिकारी शादी की चर्चा है, क्या लिखा है उन्होंने, जरा उस पर ध्यान दें…
“जनतंत्र की खुबसुरती और क्रांतिकारी शादी – वाह मजा आ गइल। जनतंत्र की खुबसुरती आज कई वर्षों के बाद देखने को मिला, अच्छा लगा, यहीं होनो भी चाहिए। राजनीतिक फैटा-फैटी में व्यक्तिगत रिश्तों का खून करना किसी कोण में भी अच्छी बात नहीं है, डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी और राजद नेता और एक्स एमपी शिवानन्द तिवारी की यह तस्वीर देखकर आपको भी प्रसन्न होना चाहिए। ये मिलन एक संदेश है। राजनीतिक मंच पर हम दुश्मन अवश्य है, पर बाकी दुनियां में परम मित्र बने ही रहेंगे। महाभारत के जंग में भी ऐसे ही होता था। मैदान के बाहर एक दूसरे के साथ मित्रवत् बर्ताव। पत्रकार श्रीकांत को पुत्री की क्रांतिकारी विधि से शादी संपन्न कराने के लिए बधाई। इंटरकास्ट, नो तामझाम नो पोथी-पतरा, कागज लेकर रजिस्ट्रार आये, वर-वधु को देखा, खानापूर्ति की और मामला फिनीस। वाह मजा आ गया। आपन लास्ट बेटा गोलू से आग्रह करुंगा कि मैरिज करते समय अंकल, श्रीकांत के बेटी की सोच को फालो करना, खुश रहोगे, तुम्हारी खुशी मेरे खुशी की यकीनन विस्तार होगी”
और अब अपनी बात…
शायद कन्हैया भेलारी को पता नहीं कि जिसे वे क्रांतिकारी विवाह कहते है, उसे अपने यहां गंधर्व विवाह कहा जाता हैं, यानी लड़के ने लड़की को देखा, लड़की ने लड़के को देखा, एक दूसरे के दिल मिले, एक दूसरे को यह नहीं जानते हुए कि दोनों किस जाति या किस समुदाय के हैं, परिवार की रजामंदी है या नहीं इस पर भी विचार नहीं, एक दूसरे को स्वीकार किया और फिर समाज ने भी उसे स्वीकारा। इस विवाह को गंधर्व विवाह कहते है। ऐसा ही विवाह दुष्यंत और शकुंतला ने किया था। शायद कन्हैंया भेलारी को पता नहीं कि जिसे आप क्रांतिकारी कह रहे हैं, हमारे देश में ऐसे कई क्रांतिकारी विवाह उनके जन्म लेने के बहुत पहले से होते आ रहे है, और उसकी मान्यता भी है। अगर उन्हें नहीं पता तो वे जान लें। हमारे यहां विवाह के आठ प्रकार है, और वे जो भी विवाह करेंगे, चाहे वे उसका नाम क्रांतिकारी दे दे, रिवोल्यूशनरी दे दें, आयेगा इन्हीं आठ विवाहों में। ये विवाह है – 1. ब्रह्म विवाह, 2. दैव विवाह, 3. आर्ष विवाह, 4. प्रजापत्य विवाह, 5. गंधर्व विवाह, 6. असुर विवाह, 7. राक्षस विवाह, 8. पैशाच विवाह।
इसलिए आप जिसे क्रांतिकारी विवाह कहकर परम सुख लेने की कोशिश कर रहे हैं, जरुर लीजिये, पर हमारे जैसे लोग जानते है कि क्रांति और क्रांतिकारी क्या हैं? आपको लगता है कि अपनी परंपरा और संस्कृति को ठोकर मारकर चलना, और नई पद्धति (आपके अनुसार नई पद्धति, जबकि ये भी पुरातन है) अपनाना क्रांति है, पर भारतीय मूल्यों और भारतीय संस्कृति को अंगूठा दिखाना या नीचा दिखाना किसी भी हालत में क्रांतिकारी कदम नहीं ठहराया जा सकता। ये पूर्णतः अनैतिक है, जिसे आजकल के लोग परंपरा और संस्कृति को अपनाने वाले लोगों को चिढ़ाते हैं, जबकि हमारे जैसे लोग सिर्फ और सिर्फ ऐसे लोगों की मूर्खता पर हसंते हैं।
आपने नो पोथी-पतरा की बात कहीं। अरे जनाब, पोथी-पतरा की बात वो कहें, जो पोथी-पतरा की बात जाने। आप जिस पोथी-पतरे की बात कर रहे है, उसकी प्रशंसा अब गिनीज बुक आफ द् वर्ल्ड रिकार्ड कर रहा है, यह कहकर कि विश्व की प्राचीन पुस्तक ऋग्वेद है। जिसे आप जैसे लोग न तो पढ़ सकते हैं और न ही उसके सही अर्थ जान सकते है, ऐसे में पोथी-पतरा पर अंगूली उठाने की इजाजत किसने दे दी? अगर आप विज्ञान के छात्र है तो इसका मतलब ये थोड़े ही हो गया कि आर्स पढ़नेवाले छात्रों की आप धज्जियां उड़ा दें, और अगर आप आर्स के छात्र हैं तो आप विज्ञान के छात्र की धज्जियां उड़ा दें। रही बात पंडितों की, तो ये जान लें कि आपके यहां वहीं पंडित पूजा-पाठ कराने जाता है, जिसे न तो नौकरी है, न किसानी करने के लिए खेती है, और न ही कोई ऐसा व्यवसाय जिससे वह जीविकोपार्जन कर सकें, आपके यहां वहीं जाते है, जिनके पास कोई विकल्प नहीं है, और जो बीपीएल परिवारों से आते हैं, नहीं तो आप जैसे लोग नाक रगड़ते रह जाये, जो जाति और कर्म से सहीं में ब्राह्मण है, आपके दरवाजे पर चढ़ेगा नहीं और न ही पानी पीयेगा। अभी आपने ब्राह्मण देखा ही कहा हैं?
आप जैसे लोगों के लिए ब्राह्मण का मतलब शिवानन्द तिवारी है, जो कभी लालू को चारा घोटाला का दोषी मानता था, और रोज लालू के बारे में अनाप-शनाप बकता था, फिर जब लालू का हाथ थामा तो अब नीतीश को कटघरे में रख रहा है, भला ऐसे लोग आपकी नजरों में ब्राह्मण हो सकते है, या संस्कारी, चरित्रवान हो सकते है, हमारी नजरों में नहीं। आपने जो फोटो दिये हैं और महाभारत का प्रसंग दिया है, भाई एक तरफ क्रांतिकारी और दूसरी तरफ महाभारत का प्रसंग, ये तो ठीक नहीं, जरा ले आइये विलियम वर्रडवर्थ, शेक्सपीयर और अगर नहीं ला सकते तो हमारे भिखारी ठाकुर का ही कोई प्रसंग लाकर सुना देते, तो समझते कि आप महान क्रांतिकारी है, यानी उदाहरण भी लाइयेगा तो महाभारत से और महाभारत में जिस प्रकार की शादी है, उसका उपहास भी उडाइयेगा?
आपके अनुसार शादी क्रांतिकारी और वर-वधू को आशीर्वाद देने के लिए दलबदलू में कीर्तिमान स्थापित कर चुके लोग। वाह रे क्रांति। अरे भाई आपके वर-वधू को आशीर्वाद देने के लिए ऐसा कोई चरित्रवान व्यक्ति बिहार में नहीं मिला, जो गर्व से यह कह सके कि मैंने अपने जीवन में कोई अनैतिक कार्य नहीं किया, इसलिए मैं इस क्रांतिकारी शादी का अभिनन्दन करते हुए, वर-वधू को आशीर्वाद देता हूं.
आप जिसे क्रांतिकारी शादी कहते है, कन्हैया भेलारी जी। झारखण्ड में ऐसी कई शादियां रोज होती है, जिसका मैं कई का गवाह भी बन चुका हूं, यहां इस प्रकार की नौटंकी नहीं होती, किसी जाति या समुदाय का अपमान नहीं किया जाता, सभी मिलकर इस शादी में शरीक होते हैं, और कोई क्रांति या क्रांतिकारी शब्द का व्याख्यान नहीं देते, चुपचाप शादी किया और चल दिये, क्योंकि शादी करनेवाला और उस शादी में शामिल होनेवाला भी जानता है कि जिसने शादी की है, वो देश या समाज के निर्माण के लिए नहीं, बल्कि पूर्णतः शारीरिक सुख के लिए शादी की हैं, जिससे न तो समाज का भला होगा और न ही राष्ट्र का भला होगा।
अंत में, किसी को नीचा दिखाने के पूर्व, आप वैवाहिक संस्कार की किताब, जिसका हिन्दी अनुवाद आजकल सभी किताब की दुकानों में मिलती हैं, खरीद लें, आपका ज्ञानचक्षु नहीं खुल गया तो मेरा नाम बदल दीजियेगा, फिर आप क्रांति और क्रांतिकारी दोनों शब्द ही भूल जायेंगे। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति में एक आध्यात्मिक क्रांति की भी बात कहीं गयी है, जिसे आप नहीं समझ सकते। शादी में जाइये और जहां मुर्गा का स्टाल हो, मुर्गा खाइये और इन्जवाय कीजिये, आप क्या जाने विवाह का मतलब। मैं तो जानता हूं, इसलिए आप जैसे लोगों पर हसंता हूं, जैसा कि कल आपके पोस्ट पर हंसा था, देख लीजियेगा, ध्यान से।