CM हेमन्त जी, ये दुर्गा सप्तशती के 11 वें अध्याय की पहली दो पंक्तियां नहीं, बल्कि छठीं, सातवीं व आठवीं श्लोक हैं, कृपया सुधार कर लें
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जी कोई जरुरी नहीं, दुर्गा सप्तशती में उद्धृत श्लोकों को लेकर अपना विचार सब के समक्ष रखने की या ट्विट करने की, वह भी तब, जब आपको दुर्गा सप्तशती में उद्धृत श्लोकों की पंक्तियों अथवा उन श्लोकों के अर्थ की सही-सही जानकारी ही न हो।
मैं जानता हूं कि आप अपने ट्विटर को खुद हैंडल नहीं करते हैं, बल्कि कोई एक ऐसा व्यक्ति आपने इसके लिए रखा होगा, जो लिखता होगा वो, और नाम हो जाता होगा आपका। लेकिन इसी चतुराई में आज ये हो क्या गया? जिन श्लोकों के अर्थ को आपने जनता के समक्ष रखते हुए उसे दुर्गा सप्तशती पाठ के ग्यारहवें अध्याय की पहली दो पंक्तियां बताया हैं, दरअसल वो पहली दो पंक्तियां हैं ही नहीं।
जरा आप खुद अपना ट्विट देखिये, क्या लिखा है – “चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व में दुर्गा सप्तशती पाठ के ग्यारहवें अध्याय की ये पंक्तियां खासकर पहली दो पढ़ने और समझने की जरुरत है।” जबकि सच्चाई ये है कि ये पंक्तियां पहली दो पंक्तियां न होकर छठीं, सातवीं और आठवीं श्लोक हैं। अगर आपको विश्वास न हो, तो आप कहें, मैं खुद दुर्गा सप्तशती लेकर आपके आवास पर पहुंच सकता हूं और बता दूंगा कि ये पहली दो पंक्तियां न होकर, छठीं, सातवीं और आठवीं श्लोक है। मतलब ये दो पहली श्लोक भी नहीं, तो फिर पंक्तियां कैसे हो जायेगी महाशय?
इसलिए आपसे अनुरोध है कि आप जब भी दुर्गा सप्तशती अथवा वेद-उपनिषद या किसी भी धर्मग्रंथ से संबंधित श्लोकों या पंक्तियों का उद्धरण देने की कोशिश करें तो ध्यान रखें कि कही गलत न हो जाय तथा अर्थ का अनर्थ न हो जाये, बाकी तो आप समझदार हैं ही।