कर्ज के दलदल में फंसे पंजाब के CM भगवंत मान ने मात्र 30 दिनों में सिर्फ विज्ञापन पर करोड़ों फूंक दिये, अपना चेहरा चमकाने के लिए दूसरे राज्यों के अखबारों पर भी जमकर राशि लूटाई
गत् 17 अप्रैल 2022 को आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता व पंजाब के अब तक के सर्वाधिक होनहार मुख्यमंत्री भगवंत मान ने देश के कई राज्यों से प्रकाशित समाचार पत्रों पर कृपा बरसाई हैं। करोड़ों रुपये अपने चेहरे चमकाने के लिए विज्ञापनों पर खर्च किये हैं। वह भी मात्र 30 दिनों की उपलब्धि बताने के लिए, जबकि आम तौर पर यही देखा गया है कि जब कोई सरकार जब अपना कार्यकाल सौ दिन या एक वर्ष पूरे कर लेती हैं।
तभी अपनी जनता को यह बताने के लिए कि उसने एक वर्ष में कौन-कौन से महत्वपूर्ण कार्य किये, यह बताने के लिए अपने राज्य से प्रकाशित समाचार पत्रों का सहारा लेती हैं, विज्ञापन देती हैं, पर जब से अपने देश में अपना चेहरा चमकाने वाले नेताओं का जन्म हुआ है, तब से एक नया पैटर्न अपने देश में जन्म लिया हैं, अब राज्यों के मुख्यमंत्री भी पूरे देश के अखबारों में ऐसा-ऐसा विज्ञापन या इस प्रकार का विज्ञापन छपवाते हैं, जैसे वे किसी राज्य के मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि देश के प्रधानमंत्री हो।
यह बीमारी उन सभी नेताओं की हैं, जिन्हें जनता “काम का न काज का ढाई सेर अनाज का” मानती है। जरा सोचिये, ये भगवंत मान उस पंजाब के मुख्यमंत्री है, जिस पंजाब पर तीन लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। जो खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने गये तो पंजाब की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज की मांग कर डाली, ताकि राज्य का विकास हो सके, अर्थव्यवस्था पटरी पर आये और वहां का मुख्यमंत्री अर्थव्यवस्था की इस दयनीय अवस्था के बावजूद करोड़ों रुपये अपने चेहरे चमकाने में लूटा दें, तो ऐसे मुख्यमंत्री को आप क्या कहेंगे?
आप स्वयं इस पर विचार करिये, शब्दकोष उलटिये और जो मन करें, वो नाम दे दीजिये।जरा होनहार मुख्यमंत्री भगवंत मान के विज्ञापन पर नजर डालिये, पंजाब की आर्थिक स्थिति दयनीय है और अपने तीस दिन के रिपोर्ट कार्ड में पहली सफलता लोगों को एक जुलाई से 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जायेगी, इसकी सिर्फ घोषणा को उन्होंने प्रमुखता दी हैं, मतलब पंजाब की अर्थव्यवस्था गर्त में क्यों न चला जाय, हमने कहा है कि मुफ्त बिजली देंगे, लीजिये एक जुलाई से सरकार देने को तैयार हैं।
शायद हो सकता है कि पंजाब में अलादीन के चिराग से बिजली मिलती होगी और अलादीन के चिराग को पैसे देने की जरुरत तो पड़ती ही नहीं। दूसरी देखिये, अभी नौकरी मिली नहीं हैं, सिर्फ घोषणा हुई हैं 25 हजार लोगों को नौकरी मिलेगी, लीजिये ये भी सफलता है। इसी प्रकार 35000 ठेका आधारितकर्मी रेगुलर होंगे और लोगों को घर बैठे राशन मिलेगी, इसकी मात्र घोषणा हुई, ये भी इनके सफलता में टंग गई।
मतलब, एक प्रकार से देश के अन्य राज्यों के वैसे मुख्यमंत्री जो भगवंत मान की तरह हैं, ऐसे ढपोरशंखी घोषणाएं कर दें, काम हो या न हो, इसकी कोई परवाह नहीं, विज्ञापन प्रकाशित करवा दें, सरकारी खजाना लूटवा दें तथा अपनी पीठ पूरे देश में थपथपवा लें, ताकि लोग जान लें कि कितना अच्छा होनहार मुख्यमंत्री हैं, राज्य कंगाली की ओर क्यों न बढ़ रहा हो, फिर भी जनता को मुफ्तखोर बनाने से पीछे नहीं हट रहा।
रही बात अखबारों को इससे क्या मतलब, ये माखनलाल चतुर्वेदी, पराड़कर या गणेश शंकर विद्यार्थी थोड़े ही न हैं, कोई राज्य बर्बाद हो जाये, वहां का मुख्यमंत्री अपने राज्य की जनता को लूटवा ही क्यों न दें, हम अपना सुरसा रुपी विज्ञापनवाला मुंह बाये रहेंगे और जनता कही की भी हो, हम भी लूट मचाते रहेंगे, चाहे कोई भी दल क्यों न हो।