चलनी दूसे सूप के जिन्हें बहत्तर छेद, अपने कुकृत्यों से खुद और भाजपा का बेड़ा गर्क करनेवाले पूर्व सीएम रघुवर, हेमन्त को आंखें दिखा रहे हैं
राज्य के पूर्व सर्वाधिक होनहार मुख्यमंत्री कहलाये जानेवाले रघुवर दास, जिन्होंने अपने कुकृत्यों से खुद और पार्टी दोनों का राज्य में बेड़ा गर्क कर दिया, जिन्होंने खुद मोमेंटम झारखण्ड के माध्यम से करोड़ों का वारा न्यारा कर दिया, यहां तक की भारी-भरकम हाथी उड़ा दिया, वो हाथी जिसके बारे में विश्व के किसी भी देश के बच्चे से पूछिये तो कहेगा कि हाथी उड़ता ही नहीं हैं।
उस पूर्व मुख्यमंत्री ने पूरे राज्य के विभागों में जैसे राज्य का लोगो लगता हैं, हर विभाग में उड़ता हाथी का रंगीन फोटो लगवा दिया, वे पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर अंगूली उठा रहे थे, उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं। यानी वे व्यक्ति आरोप लगा रहे थे, जिस व्यक्ति पर भाजपा में रहते हुए, भाजपा के थिंक टैंक मानेजानेवाले सरयू राय ने कई गंभीर आरोप लगाये, पर न तो राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने और न ही केन्द्र के वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने सरयू की बात सुनी और लीजिये भाजपा का राज्य में बंटाधार हो गया।
ये वही रघुवर दास हैं, जिन पर मैनहर्ट घोटाले का आरोप हैं, जनाब जब नगर विकास मंत्री थे, तब इन्होंने बिना प्रकिया पालन किये सिवरेज-ड्रेनेज सिस्टम के लिए मैनहर्ट संस्था को 21 करोड़ का भुगतान किया था। जिन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में टॉफी-टी शर्ट, गीत-संगीत व साज सज्जा में घोटाला किया, जिसका उद्भेदन खुद रघुवर दास को जमशेदपुर पूर्व से धूल चटानेवाले निर्दलीय विधायक सरयू राय ने किया था।
जब ये रघुवर दास मुख्यमंत्री रहे खूब स्वजाति सम्मेलनों में भाग लेते रहे। इसके लिए झारखण्ड के विभिन्न जिलों ही नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़, बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली आदि राज्यों का खुलकर दौरा किया जबकि भाजपा जातीय राजनीति पर विश्वास नहीं करती। जब तक सत्ता में रहे स्वजातीय आइएएस/आइपीएस अधिकारियों को मनोबल बढ़ाया, जिसका खामियाजा सत्ता जाने के बाद इन अधिकारियों को खूब उठाना पड़ा।
यही नहीं जिसने भी इनके कुकर्मों पर अंगूलियां उठाई, इन्होंने अपने विरोधियों के खिलाफ विभिन्न थानों में आइएएस/आइपीएस के बदौलत झूठी मुकदमें दर्ज करा दी, जबकि ढुलू महतो जैसे भाजपा विधायकों जिसकी दबंगई से सारा धनबाद थर्रा रहा हैं, उसकी जी-जान से सुरक्षा की, यहां तक की उस पर से सारे केस उठवा लेने के लिए एक व्यूह तक की रचना कर दी।
सत्ता में रहने पर गढ़वा में ही ब्राह्मण समुदाय पर तीखी टिप्पणी कर दी, जिसको लेकर झारखण्ड का पूरा ब्राह्मण समाज उद्वेलित हो गया, भाजपा कार्यकर्ताओं को तो ये समझते ही नहीं थे। जब तक मुख्यमंत्री रहे खूब विदेश दौरे किये, जैसे ये झारखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री नही, बल्कि झारखण्ड देश के प्रधानमंत्री हो।जरा इनकी सोच देखिये, इन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में घोषणा कर दी कि वे रांची में शंघाई टावर बनायेंगे, इसके लिए ये अपने उच्चाधिकारियों के साथ चीन भी पहुंच गये। जरा पूछिये उनसे कि रांची में शंघाई टावर कहां हैं?
सच्चाई यह है कि राज्य में मुख्यमंत्री रघुवर दास रहे हो या वर्तमान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन या इन दोंनों के कनफूंकवे सभी का चरित्र एक ही हैं। सभी अपने पत्नी, बेटे-बेटियों, बहूंए-दामाद, भाई-भाभी से उपर उठे ही नहीं। सच्चाई है कि ये ईमानदारों की इज्जत नहीं करते, ये बेईमानों को पसंद करते हैं, क्योंकि मैं दोनों को नजदीक से जानता हूं। जब भी ये दोनों सत्ता में रहे इन्होंने बेईमान संपादकों/पत्रकारों से प्रेमालाप बढ़ाया और खुद को पैसे के बल पर राज्य के बाहर यहां तक की देश-विदेशों में भी अपने चेहरे चमकाने की कोशिश की, जिससे न तो इनदोनों को फायदा होनेवाला था और न ही राज्य का पर इन्हें कौन समझायेगा?
चाहे शासन किसी का भी हो, आज भी और कल की भी यही स्थिति थी। जो ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ आइएस/आइपीएस अधिकारी राज्य में हैं – वे असहाय है, उन्हें कुछ भी करने नहीं दिया जा रहा हैं, जो बेईमान हैं, जो अवकाश प्राप्त कर चुके हैं, फिर भी उन्हें एक्सटेंशन दिया जा रहा है, कल भी दिया जाता था- क्योंकि उनकी महत्वाकांक्षा को ये ही भ्रष्ट सिद्ध करेंगे, बाकी आयेगा तो वही करेगा जो झारखण्ड हित में होगा, और इन राजनीतिज्ञों को झारखण्ड हित से क्या मतलब?
मैं आज भी डंके की चोट पर कहता हूं कि राज्य बनने के बाद एक भी मुख्यमंत्री ये कहे कि उसने ईमानदारी से झारखण्ड की सेवा की हैं, तो वो सबसे बड़ा झूठ बोल रहा है, हां कुछ मायनों में बाबू लाल मरांडी इन मुख्यमंत्रियों में से बीस जरुर रहे हैं, जिनके शासनकाल को कुछ मायनों में बेहतर कहा जा सकता है। अब इन सारी बातों को पढ़ने के बाद आगे देखिये, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास कल यानी सोमवार को भाजपा प्रदेश मुख्यालय में संवाददाताओं को अपने दिव्य ज्ञान की अनुभित करा रहे थे।
वे कह रहे थे – मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के नाम से बिजुबाड़ा, चान्हो ब्लॉक स्थित बरहे औद्योगिक क्षेत्र में 11 एकड़ औद्योगिक भूमि आवंटित की गई है। यह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सोहराय लाइफ प्राइवेट लिमिटेड को यह औद्योगिक भूमि आवंटित कराई है। यह कंपनी उनकी पत्नी के नाम पर है। मुख्यमंत्री स्वयं उद्योग विभाग के मंत्री हैं इसीलिए उन्हें इस विषय पर सफाई देनी चाहिए।
श्री दास ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री का यह आचरण भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं के अंतर्गत दंडनीय है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को औद्योगिक क्षेत्र में रियायती दर पर भूखंड मिलेंगे। इस घोषणा का लाभ उन्होंने अपने परिवार के लिए उठाया। उन्हें राज्य के गरीब और बेरोजगार आदिवासियों की चिंता नहीं है। चिंता है तो केवल अपने परिवार की।
रघुवर ने कहा कि मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद (पिंटू) के लिए भी मुख्यमंत्री ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर खदान की लीज ली है। अभिषेक प्रसाद को शिव शक्ति इंटरप्राइजेज के नाम पर साहिबगंज के पाकरिया ग्राम में 11.70 एकड़ भूमि पर 08.04.2021 को खदान की लीज 10 वर्ष के लिए दी गयी है।
सरकारी कागजातों के अनुसार उस पर 90 लाख रुपये का निवेश भी दिखाया गया है। इसी तरह मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को महाकाल स्टोन के नाम से साहेबगंज जिले के गिला मारी मौजा में खदान आवंटित की गई है। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों ने आनन-फानन में सारी स्वीकृति भी प्रदान की है।
रघुवर दास ने कहा कि मुख्यमंत्री अभिषेक प्रसाद और पंकज मिश्रा को तत्काल अपने पद से हटाएं। भाजपा इस मामले को लेकर माननीय राज्यपाल के पास जायेगी। श्री दास ने कहा कि कानून के प्रावधान के तहत मुख्यमंत्री स्वयं या उनके परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी ठेका पट्टा, लीज नहीं ले सकता। यह भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है।
उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड में अबुआ राज के नाम पर एक परिवार का, परिवार द्वारा और परिवार के लिये शासन चल रहा है। राज्य की भलाई का इस सरकार को कोई चिंता नही है। इसका बड़ा नुकसान राज्य की जनता को उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा नुकसान आदिवासी भाई बहनों को हो रहा है। सरना भाई-बहनों का हक छीना जा रहा है।
पूर्व की उनकी सरकार ने अनुसूचित जाति व जनजातियों के प्रमाण पत्र में धर्म का कॉलम जोड़ा था, ताकि सरना आदिवासियों को लाभ मिले। मिशनरी के दबाव में इस वर्ष 24 फरवरी को कैबिनेट में हेमंत सरकार ने गुपचुप तरीके से इससे धर्म का कॉलम समाप्त कर दिया। इसका सीधा नुकसान सरना भाई-बहनों को होगा। नौकरी में उनके स्थान पर धर्मांतरित आदिवासियों को इसका लाभ होगा। सरना भाई-बहनों के साथ साजिश के तहत उनका हक मारा जा रहा है। सरना मुख्यमंत्री के रहते ऐसा होना बहुत दुखद है। सत्ता के लालच में हेमंत सोरेन ने सरना भाई-बहनों के पेट पर लात मारने का काम किया है।
राज्य में लव जिहाद और धर्मांतरण के द्वारा सरना समाज को टारगेट किया जा रहा है। यही स्थिति रही तो, झारखंड का सरना समाज अल्पसंख्यक हो जायेगा। धर्मांतरित आदिवासी सरना आदिवासियों का हक मारकर दोहरा लाभ ले रहे हैं। वे अल्पसंख्यक के साथ साथ आदिवासी का लाभ भी ले रहे हैं। नौकरियों में सरना आदिवासियों के स्थान पर धर्मांतरित आदिवासी ज्यादा लाभ ले रहे हैं।