RPC के अधिकारियों ने प्रेस क्लब को अवैध रुप से मैरेज हॉल में कन्वर्ट कर दिया, पर न तो इस पर RMC का ध्यान है और न ही IPRD का, जबकि इस अपराध के लिए नगर निगम को 25 हजार रुपये का अर्थदंड वसूलने व क्लब को सील करने का भी अधिकार है
रांची प्रेस क्लब के अधिकारियों ने प्रेस क्लब को अवैध रुप से मैरेज हॉल में कन्वर्ट कर दिया हैं, जिस पर न तो रांची नगर निगम का ध्यान है और न ही सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग का, जबकि इस अपराध के लिए रांची नगर निगम को 25 हजार रुपये का अर्थदंड वसूलने व क्लब को सील करने का भी अधिकार है, पर पता नहीं भय या प्रेम के कारण रांची नगर निगम ने न तो रांची प्रेस क्लब से 25 हजार रुपये का अर्थदंड वसूलने का इरादा दिखलाया और न ही सील करने की ओर कदम ही बढ़ाया है।
इसी बीच रांची प्रेस क्लब में धूमधाम से वैवाहिक कार्यक्रम संपन्न हो रहे हैं, शादी कार्ड पर जमकर रांची प्रेस क्लब के नाम छापे जा रहे हैं, पर कोई इस पर अंगूली नहीं उठा रहा, न तो रांची प्रेस क्लब के अधिकारी और न ही इसके सदस्य ही अंगूली उठा रहे हैं। आश्चर्य इस बात की है कि इस प्रेस क्लब भवन के मात्र तीन किलोमीटर रेडियस में राजभवन, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग का कार्यालय, मुख्यमंत्री आवास, विधानसभाध्यक्ष आवास, एसएसपी आवास, आयुक्त आवास आदि कई प्रमुख भवन मौजूद हैं, पर किसे इसकी पड़ी हैं, शायद लोग सोचते हो कि शादी-विवाह तो बड़ी पवित्र चीज है, इसलिए इस पर विवाद क्यों करें?
यहां बात शादी-विवाह की नहीं, बात है कि जिस काम के लिए आपको ये क्लब मिला ही नहीं, आप वे काम कैसे कर रहे हैं, रही बात आप कहेंगे कि क्लब के मैन्टेनेंस व अन्य सुविधाओं की प्राप्ति के लिए धन इकट्ठे करने हेतु ऐसा किया जा रहा है, चलिए इसे मान भी लिया, परन्तु क्या आपने इस कार्य के लिए संबंधित विभाग रांची नगर निगम को आवेदन किया, मंजूरी ली, या मंजूरी आपको मिली, अगर नहीं तो फिर आपने पत्रकार होकर, बुद्धिजीवी होकर ऐसा अनुचित काम करना कैसे शुरु कर दिया? इसी रांची में रांची क्लब और जिमखाना क्लब में शादी होती हैं, उन क्लब के अधिकारियों ने इसकी अनुमति भी ली है, पर आप?
राजनीतिक पंडित तो साफ कहते है कि पत्रकार हो या सामान्य जनता, कोई कानून से उपर नहीं हैं। अगर कोई खुद को कानून से उपर समझता हैं, तो उसे दंड मिलना ही चाहिए। राजनीतिक पंडित कहते है कि रांची प्रेस क्लब तो वहीं काम कर रहा है कि कोई व्यक्ति अपना घर बनाये और उसे नगर निगम को बताये कि वो अपना घर अपने रहने के लिए बना रहा है और चुपके से अपने ही घर के अंदर एक कमरा को होटल के कमरे की तरह इस्तेमाल करने लगे, ये तो गलत ही है।
झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के पूर्व प्रधान सचिव संजय कुमार जिनके कार्यकाल में ये रांची प्रेस क्लब बनकर तैयार हुआ, उनका कहना था कि रांची प्रेस क्लब को चलाने के लिए एक पत्रकारों की कमेटी बनी थी, जिसे चलाने के लिए सौंपा गया था, आम तौर पर प्रेस क्लब एक गरिमामय संस्था होती हैं, जहां पत्रकार ही सब कुछ होते हैं, जहां विचार-विमर्श, संगोष्ठियां, वार्ताएं, चर्चाएं आयोजित होती हैं, पर उन्हें विद्रोही24 की बात सुनकर आश्चर्य हो रहा है कि वहां शादियां भी होने लगी। दिल्ली व जयपुर के पत्रकारों से जब विद्रोही24 ने बातचीत की, तो उनका कहना था कि उनके यहां भी प्रेस क्लब हैं, पर उनके क्लब में शादियां आयोजित नहीं होती। रांची के प्रेस क्लब में अगर हो रहा हैं तो उन्हें आश्चर्य हो रहा है।
इधर विद्रोही24 ने जब सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों से बातचीत की, तब उनका कहना था कि अभी प्रेस क्लब के अधिकारियों को तो वो भवन स्थानान्तरित ही नहीं हुआ है, ऐसे में वे किस अधिकार से निर्णय लेकर शादी-विवाह आयोजित करवा रहे हैं, ये तो वहीं जानें, ऐसे भी उस प्रेस क्लब में एक फ्लोर सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग का भी हैं, जहां विभागीय कार्यालय खुलने हैं, इस पर सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग का ध्यान हैं, उस ओर कार्य प्रगति पर भी है।
इधर बुद्धिजीवियों का कहना है कि रांची प्रेस क्लब के अधिकारियों को चाहिए कि कोई ऐसा काम न करें, जिससे प्रेस क्लब के उपर दाग लगें, हालांकि इस प्रेस क्लब पर कई दाग लग चुके हैं, ये तो रांची नगर निगम की उदारता है कि उसने अभी तक इस मुद्दे पर कोई एक्शन ही नहीं लिया, अगर एक्शन ले लें तो क्लब पर ताले भी लटक सकते हैं, उसके बाद रांची प्रेस क्लब की इज्जत क्या रह जायेगी? जरा चिन्तन करियेगा।