जल्द ही दिखेगा “झारखण्ड भूखा-नंगा पत्रकार संघ”, लम्पटई में लगे शोषक अखबार/चैनल/पोर्टलों के मालिकों/संपादकों/प्रबंधकों का करेगा हौसले बुलंद
सोचता हूं क्यों नहीं, झारखण्ड में कुकुरमुत्तों की तरह उगे पत्रकार यूनियनों/संघों के इस बाढ़ में, मैं भी एक “झारखण्ड भूखा-नंगा पत्रकार संघ” नाम का एक संगठन बना ही डालूं। इसके संरक्षक, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव, उप-सचिव, कोषाध्यक्ष, कार्यकारिणी सदस्य कौन-कौन होंगे, इस पर आज से ही विचार करना प्रारम्भ कर दूं, क्योंकि जिस प्रकार से इस राज्य में कुकुरमुत्ते की तरह हर गली-मुहल्लों में पत्रकार उग आये हैं, उनके कल्याण के लिए तो सोचना ही होगा, क्योंकि मैं देख रहा हूं कि बड़े पैमाने पर बने इन पत्रकारों के यूनियनों/संघों ने गजब कर डाला है।
इन यूनियनों/संघों के एक बुलावे पर तो अखबार-चैनल-पोर्टल, क्लबों के मालिक, प्रबंधक/संपादक व अध्यक्ष ही नहीं, बल्कि राज्यसभा के वर्तमान सांसद तक पलक झपकते पहुंच जाते हैं, भाषण देते हैं, जिसका किसी के जीवन पर कोई प्रभाव ही नहीं पड़ता, क्योंकि प्रभाव तो उसी का पड़ता हैं, जिसके जीवन में चरित्र कूट-कूट कर भरा होता हैं। जिसने अपने चरित्र को दो कौड़ी के व्यक्ति के लिए या एक पद पाने के लिए अपने पूरे जीवन को धूल में मिला दें, उसके भाषण का क्या प्रभाव किसी पर पड़ेगा।
फिर भी वो भाषण देता हैं, लोग उसके साथ सेल्फी लेते हैं, उसे सोशल साइट पर डालते हैं, ऐसा कर वे अपने मूंछ पर ताव देते है कि देखो मैंने फलां व्यक्ति के साथ फोटो खिंचाई हैं, जिसके पास कोई भटक भी नहीं सकता। अतः जितना जल्दी हो सकें, “झारखण्ड भूखा-नंगा पत्रकार संघ” बनाकर, ऐसी सोचवाले मूर्धन्य “ष” पत्रकारों को क्यों नहीं, उनका खोया सम्मान दिलाया जाये।
“झारखण्ड भूखा-नंगा पत्रकार संघ” के उद्देश्य व संकल्प…
- “झारखण्ड भूखा-नंगा पत्रकार संघ” प्रत्येक अखबारों/चैनलों/पोर्टलों में बैठे धूर्त संपादकों/प्रबंधकों/मालिकों के सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा, अगर उनकी चाहत राज्यसभा में जाने की होगी या कोई राज्यसभा में पद संभालना होगा, तो उसके लिए “झारखण्ड भूखा-नंगा पत्रकार संघ” एड़ी चोटी लगा देगा।
- “झारखण्ड भूखा-नंगा पत्रकार संघ” प्रत्येक अखबारों/चैनलों/पोर्टलों में बैठे धूर्त संपादकों/प्रबंधकों/मालिकों, जो अपने यहां छोटे-छोटे पत्रकारों का शोषण करते हैं, उनके मनोबल को बढ़ाया जायेगा तथा विशुद्ध भारतीय साहित्यकार “हरिशंकर परसाई” की लोकप्रिय कहानी “भेड़ और भेड़िये” के तर्ज पर उनकी एक कार्यशाला आयोजित की जायेगी ताकि वे छोटे-छोटे पत्रकारों के बॉडी से सूक्ष्म तरीके से रक्त निकालकर पी जाये और उन बेवकूफ पत्रकारों को पता भी न लगे।
- रांची के उदारवादी वैसे दलों के नेता, जिनकी महत्वाकांक्षा हिलोड़े ले रही हैं, उनसे जमकर पैसे वसूले जायेंगे और किसी खास दिन पर, विभिन्न अखबारों/चैनलों/पोर्टलों में कार्यरत संपादकों/मालिकों के द्वारा उन्ही के यहां कार्यरत इन भूखे-नंगे पत्रकारों को, झोले में भरकर पांच किलो चावल, एक पाव दाल, एक किलो आलू, आधा किलो सरसो तेल और दस रुपये अलग से दिलवाने की कोशिश की जायेगी, ताकि दलों के नेता एवं विभिन्न अखबारों/चैनलों/पोर्टलों में कार्यरत संपादकों/मालिकों की ये भूक्खड़ बार-बार जय-जय करते रहें और ये कभी अपनी मूल समस्याओं पर ध्यान ही न दें।
- “झारखण्ड भूखा-नंगा पत्रकार संघ” यह भी कार्य करेगा कि जो लोग शनि मंदिर के आस-पास भूखे नंगों को खिचड़ी खिलाया करते हैं, उन्हें कहा जायेगा कि विभिन्न अखबारों/चैनलों/पोर्टलों के कार्यालयों के समक्ष भी इस प्रकार के कार्यक्रम करें ताकि ये भूखे-नंगे पत्रकार लोग आराम से अपना पेट भर सकें।
- “झारखण्ड भूखा-नंगा पत्रकार संघ” केवल चाय-बिस्कुट पर प्रेस कांफ्रेस करनेवालों का बहिष्कार करेगा, प्रेस कांफ्रेस उसी की अटेंड कराई जायेगी, जो पत्रकारों के लिए सुस्वादू भोजन और उसके बाद कम से कम सुंदर गिफ्ट या एक लिफाफे में कम से कम पांच सौ रुपये के नोट मौजूद हो, का प्रबंध करें।
- साल में एक बार मजदूर दिवस के दिन किसी संस्थान को हायर कर अखबारों/चैनलों/पोर्टलों में कार्यरत संपादकों/मालिकों और उनके यहां कार्यरत पत्रकारों को बेगैरत-घोटालेबाज नेताओं के द्वारा सफेद गमछा सभी के बदन पर डलवाया जायेगा, ताकि ये सभी समझे कि उन्हें सम्मानित किया गया हैं।
- राज्य के मुख्यमंत्री या केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री या सूचना एवं जनसम्पर्क मंत्री या सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के प्रधान सचिव या निदेशक पर दबाव डाला जायेगा, कि उन्हीं अखबारों/चैनलों/पोर्टलों को विज्ञापन या माल दिये जायें, जो अपने यहां कार्यरत पत्रकारों का जमकर शोषण करते हैं, जो मात्र एक पेजीनेटर रखकर सिर्फ दो सौ से पांच सौ अखबार भी नहीं निकाला करते हैं, जो अखबार भी नहीं निकाला करते हैं, पर अखबार का डायग्राम अपने मोबाइल पर रखते हैं, उनकी गोद भराई कार्यक्रम आयोजित कर, उनकी गोद विज्ञापन से भरने का हर महीने कार्यक्रम चलाने, साथ ही उन्हें हिदायत देने की कोशिश की जायेगी कि ये राज्य की जनता के पैसे को बड़े पैमाने पर लूटकर झारखण्ड को खोखला बनाने के कार्य को गति दें।
- “झारखण्ड भूखा-नंगा पत्रकार संघ” यह भी देखेगा कि जो अखबार/चैनल/पोर्टल के मालिक या प्रबंधक या संपादक गुंडागर्दी करने, चेक बाउंस कराने, गाड़ी लूटने या गाड़ी चुराने या कुछ भी लम्पटई करने में रिकार्ड बना रहे हैं, उसकी सुरक्षा राज्य स्तर पर हो, इसकी व्यवस्था करने/कराने के लिए आंदोलन छेड़ा जायेगा और ऐसे महान छवि के पत्रकारों को बड़े पैमाने पर बॉडीगार्ड दिलवाने के लिए कार्यक्रम भी सुनिश्चित किया जायेगा।