अपराध

झारखण्ड में भीड़ का कानून, भीड़ का शासन

झारखण्ड में भीड़ का कानून, भीड़ का शासन चल रहा है। इस भीड़ तंत्र ने अब तक 12 लोगों की जान ले ली है, कौन कब कहां, भीड़ का शिकार हो जायेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। ये भीड़तंत्र अपराधियों की जमात है, जो राजनीतिक संरक्षण में फल-फूल रही है। इस भीड़तंत्र के शिकार हर समुदाय के लोग हो रहे है, इसमें कई जगहों पर हिंदू तो कई जगहों पर मुस्लिम और कई जगहों पर आदिवासियों ने भी जान गंवाई है, इसलिए इसे सांप्रदायिकता की नजरों से देखना बहुत बड़ी भूल होगी।

झारखण्ड को अशांत करने की कोशिश

राज्य सरकार को इस बात की अच्छी तरह से जानकारी है कि इस पूरे प्रकरण को कौन लोग हवा दे रहे है, पर शायद उनकी भी कुछ राजनीतिक मजबूरियां है, जो एक्शन लेने में उन्हें मजबूर कर रही है, पर ये मजबूरियां कितने लोगों की जान लेगी, कुछ कहां नही जा सकता। हम आपको बता दें कि जब से सीएनटी-एसपीटी एक्ट का मामला उठा है, तब कुछ इलाकों में एक खास वर्ग, इस मामले को ज्यादा तूल दे रहा है, ताकि राज्य में ऐसी स्थिति ला दी जाय कि बाहर से कोई व्यक्ति झारखण्ड में आने से पहले दस बार सोचे, यानी जो स्थिति नार्थ-ईस्ट की है, वह स्थिति यहां बनाने का काम हो रहा है, अगर समय रहते इस पर शिकंजा नहीं कसा गया, तो वह दिन दूर नहीं कि झारखण्ड सदा के लिए अशांत हो जायेगा

और जो अभी इसे लेकर राजनीति कर रहे है, भस्मासुर को पैदा कर रहे है, उन्हें भी भारी दिक्कत हो जायेगी, ये बातें उन्हें भी समझ लेनी चाहिए, क्योंकि राज्य को आग में झोकने का काम बड़ी तेजी से किया जा रहा है, ये सक्रियता इधर कुछ ज्यादा ही दीख रही है।

कानून-व्यवस्था पूरी तरह चौपट

हमें यह कहने में कोई दिक्कत नहीं हो रहा कि झारखण्ड में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चौपट है, भीड़तंत्र किसी को भी अपना निशाना बना रहा है और पुलिस मूकदर्शक बन रही है, स्थिति ऐसी है कि इस प्रकार की घटना से कई लोग अपना जान गंवा चुके है, वहीं कई घायल भी हुए है। ताजातरीन घटना रामगढ़ की है, जहां प्रतिबंधित मांस से लदी वैन को कल भीड़ ने फूंक डाला तथा उसके चालक की ऐसी पिटाई कर दी कि वह अपनी जान से ही हाथ धो बैठा।

भीड़ द्वारा कानून हाथ में लेने का सिलसिला जारी

यहीं नहीं गिरिडीह का वाकया भी कुछ ऐसा ही है, मवेशी के क्षत-विक्षत शव मिलने से वहां भी तनाव व्याप्त है। हाल ही में 18 मई को जमशेदपुर में भी कुछ ऐसी ही घटना घटी। जमशेदपुर के बागबेड़ा थाना क्षेत्र के नागाडीह गांव में भीड़ ने तीन युवकों की पीट-पीट कर हत्या कर दी, यहीं नहीं भीड़ ने एक वृद्धा को भी निशाना बनाया, और उसकी ऐसी हालत कर दी कि एक महीने बाद वह भी अस्पताल में दम तोड़ दी। 18 मई को ही सरायकेला के राजनगर थाना के शोभापुर गांव में भीड़ ने चार लोगों की हत्या कर दी। उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा और मार डाला। मकसद इलाके में भय व्याप्त कराना था, ताकि लोग उस इलाके में उन लोगों से डरे, जो राजनीतिक आकाओं के संरक्षण में गुंडागर्दी कर रहे है। इसके पहले भी जादूगोड़ा में अलग-अलग स्थानों पर भीड़ ने दो लोगों को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया था। हाल ही में हजारीबाग से लौट रहे बसयात्रियों को भीड़ ने हजारीबाग – धनबाद मार्ग पर निशाना बनाया था। रांची के बड़गाई में रमजान के महीने के दौरान एक बाराती पर एक भीड़ ने हमला कर दिया जिससे इस इलाके में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था।

चश्मा ठीक करने की जरुरत

आम तौर पर लोग इस प्रकार की घटना को सांप्रदायिकता की चश्मे से देखते है, जबकि सच्चाई ये है कि इस प्रकार की घटना को सांप्रदायिकता के चश्मे से देखना एक बहुत बड़ी भूल है। ऐसा कहना, उन लोगों को एक प्रकार का संरक्षण देना होगा, जो इस प्रकार की घटना को अंजाम दे रहे है।

विश्वास बहाल करें मुख्यमंत्री

इधर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रामगढ़ और गिरिडीह की घटनाओं पर क्षोभ प्रकट किया है, पर क्षोभ प्रकट करने से क्या होगा? जिम्मेदारी तो लेनी ही होगी। विश्वास बहाल करना होगा, कि राज्य में कानून का शासन है, भीड़ का शासन नहीं। आज उन्होंने देवघर में कानून-व्यवस्था की समीक्षा भी की, राज्य के सारे वरीय पुलिस पदाधिकारी मौजूद थे, पर सच्चाई यह है कि राज्य में कानून-व्यवस्था है ही नहीं, पूरी तरह से ये राज्य भीड़तंत्र के चंगूल में है और इसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, इसकी आड़ में वह सब हो रहा है, जो नहीं होना चाहिए और इसके चक्कर में आम आदमी को भीड़ पीट-पीटकर हत्या कर दे रही है, पुलिस मूकदर्शक बन रही है, आम जनता सोच रही है कि भाई उसने क्या गलती की, कि भीड़ उसकी जान की दुश्मन बन रही है। मुख्यमंत्री रघुवर दास को चाहिए कि रामगढ़, गिरिडीह ही नहीं बल्कि हजारीबाग, जमशेदपुर, सरायकेला, रांची आदि जगहों पर जहां भी भीड़ ने कानून अपने हाथ में लिये है, सभी को कानून के तहत सजा दिलवायें, ताकि कोई भी अपराधी भीड़ का हिस्सा बनकर किसी सामान्य इन्सान की जान न ले सकें।