अपनी बात

वरिष्ठ पत्रकार उमाकांत का दावा करोड़ों के घोटाले को लीड खबर बनाकर आम लोगों मे परोसने वाली मीडिया के लोग कर रहे अरबों का घोटाला

वरिष्ठ पत्रकार उमाकांत महतो का कहना है कि करोड़ों के घोटाले को लीड खबर बनाकर आम लोगों मे परोसने वाली मीडिया के लोग अरबों का घोटाला कर रहे हैं। इस अरबों के घोटाले मे PIB, RNI, ABC व लगभग देश के सभी राज्यों का सूचना विभाग शामिल है। इस घोटाले मे CA भी शामिल हैं, पर इनकी संलिप्तता सीमित है। केंद्र सरकार के द्वारा CA को मात्र 25 हजार की संख्या में प्रसारित होने वाले अखबारों को ही प्रमाणित करने की शक्ति है।

पहले अधिक थी, पर केंद्र सरकार ने गलत प्रसार संख्या को प्रमाणित होते देख इनकी संख्या सीमित कर दी। वहीं अखबारों की प्रसार संख्या को सही प्रमाणित करने की जिम्मेवारी केंद्रीय एजेंसियों यथा PIB, RNI ABC को दे रखी है। इस एजेंसी के अधिकारी अखबारों की प्रसार संख्या कई तरीकों से प्रमाणित कर DAVP को भेज देते हैं। प्रसार संख्या के आधार पर सरकारी विज्ञापनों का दर या कीमत राज्यों व केंद्र की सरकार निर्धारित करती है।

सरकार की तीनों एजेंसियां या यूं समझें, इनके अधिकारी जमकर रिश्वत लेकर मीडिया घर चलानेवालों को फर्जी कागजात के आधार पर मुंहमागा प्रसार संख्या की बात DAVP को भेज देते और उसी हिसाब से विज्ञापन का दर तय करवा देते है। कुछ अखबार मालिक ऐसे भी हैं, जो एजेंसियों के अधिकारियों को उनकी कीमत नहीं दे पाते, इस कारण वे अपना प्रसार संख्या CA से ही अनुमोदित कराते आ रहे है।

झारखंड सरकार जिन अखबारों को विज्ञापन देती है उनकी संख्या कुल 190 है। इनमे हिंदी, अंग्रेजी, ऊर्दू, बंगला, मराठी, उड़िया, कन्नड़, संथाली ,गुजराती और तेलुगु शामिल है। सबसे अधिक हिंदी के 98, अंग्रेजी के 57, ऊर्दू के 16 ,मराठी के 5, बंगला 3, उड़िया, कन्नड़, तेलुगू और संथाली के एक-एक अखबार शामिल हैं। इन अखबारों मे सब मिलाकर कुल 107 अखबार राज्य से बाहर छपते हैं, बाकी के 83 अखबार राज्य में छपते हैं।

सबसे अधिक चार जगह प्रभात खबर छपता है, वहीं भास्कर, हिंदुस्तान और दैनिक जागरण तीन- तीन जगहों पर छपने वाले चार प्रमुख अखबार हैं। चारों अखबारों की प्रसार संख्या को ABC अनुमोदित करती है। चारों अखबार कमोबेश राज्य के हर हिस्से मे दीख व मिल जाते है, पर बाकी अखबार हर जगह न तो दिखता है और न मिलता है। इनकी प्रसार संख्या सिर्फ विज्ञापन का कीमत वसूलने के लिए है।

राज्य मे छप रहे कुल बारह ऊर्दू अखबार जिनकी प्रसार संख्या सात लाख से अधिक बताई जा रही है, हर जगह न तो दीखता है और न मिलता है। इनमे से कुछ अखबारों की प्रसार संख्या एक लाख से अधिक बताई जा रही है, पर छपते हैं हजार से नीचे। वो भी एक को छोड़कर। ऊर्दू के कई अखबार ऐसे भी हैं, जो महीने के आखिरी दिन एक ही प्रिंटिंग मशीन से छपते है और बिल बनाकर सरकार से लाखों नहीं करोड़ों की राशि उगाही कर लेते है।

जिस प्रेस से यह काम संपन्न होता है वह जॉब का काम करता है। उसे समय नहीं मिलता कि प्रतिदिन लाखों मे अखबार छाप सके। रांची मे कुल 13 वेभ प्रिटिंग मशीन है, जहां से अखबार छपते हैं। तेरह मे प्रभात खबर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, हिंदुस्तान, फारूकी तंजीम, रांची एक्सप्रेस, सन्मार्ग, खबर मंत्र आदि मुख्य हैं। सभी का एक से अ्धिक एडिशन है।

जिस प्रसार संख्या के अनुसार ये राज्य सरकार व केंद्रीय सरकार से रुपयों की वसूली करते हैं, सब प्रिटिंग मशीन मिलकर रात-दिन एक कर भी दे, फिर भी दो दिनों मे भी उतने अखबार नहीं छाप सकते, जितने की वे दावा करते हैं। सब मिलाकर लगभग 26 लाख अखबार प्रतिदिन रांची से छपने का आंकड़ा राज्य सरकार के पास है और हिसाब से इन्हें सरकार प्रतिमाह करोड़ों मे भुगतान करती है। कई अखबार पीडीएफ से ही सरकार से वसूली कर रही है।

इतने बड़े घोटाले को सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के लोग नहीं जानते, यह हो ही नहीं सकता।  हिंदी के बीस अखबार ऐसे हैं, जिन्हें 80 हजार से ऊपर प्रसार संख्या बताकर भुगतान किया जाता है, जबकि वह छपते हैं मात्र पांच सौ से सात सौ, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो मात्र दो से तीन सौ छपते हैं। कुछ अखबार, जिनकी प्रसार संख्या एक लाख से अधिक बताई जाती है, वह तीन हजार से पांच हजार तक ही छाप कर इतिश्री कर लेते हैं।

झारखण्ड जब बना था राज्य मे अधिसूचित अखबारों की संख्या काफी कम थी जो बढ़कर आज 190 हो गयी है। ये अखबार भी दोनों हाथ से झारखंड को लूट रहे हैं। एक दो अखबारों को छोड़कर सारे लोग राज्य के बाहर के हैं। इस मीडिया की लूट की सीबीआई जांच करायी जाय तो राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश मे इससे अधिक लूट शायद किसी ने नहीं की होगी और इस लूट मे झारखंड का स्थान पहला होगा।