जो CM अपना चेहरा चमकाने में मात्र दो वर्ष में पौने दो अरब रुपये फूंक दें, उसे बोलने का कोई हक नहीं कि वो झारखण्ड की जड़ों को मजबूत करने में लगा है
आज झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन साहेबंगज गये हुए थे। वहां अनेक कार्यक्रमों में वे शामिल हुए, तथा अपनी सरकार की खुद पीठ थपथपाई, स्वयं को महान घोषित किया और राज्य की जनता की दुहाई दी। सबसे पहले मुख्यमंत्री ने वहां क्या कहा, उस पर नजर डालिये। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि “यह आपकी सरकार है, झारखण्डियों की सरकार है। पूर्व की अव्यवस्था को सुधारते हुए यह सरकार गरीब, वंचित, शोषित, युवा, महिला, किसान, बच्चे, बुजुर्ग – हर किसी वर्ग के लोगों के लिए दिन-रात काम कर रही है। झारखण्ड की जड़ों को मजबूत बना रही है।”
अब हमारे जैसा पत्रकार ये कैसे मान लें कि राज्य में जो सरकार चल रही है, वह गरीबों, वंचितों, शोषितों, युवाओं, महिलाओं, किसानों, बच्चे, बुजुर्गों तथा हर किसी वर्ग के लिए दिन-रात काम करनेवाली सरकार है, झारखण्ड की जड़ों को मजबूत बना रही हैं, क्योंकि विद्रोही24 के पास जो समाचार हैं, उस समाचार को देखें, तो इस सरकार ने केवल दो वर्षों में वह भी शुरुआत के दो वर्षों में, जब राज्य की जनता कोरोना से लड़ रही थी, इस सरकार ने केवल अपना चेहरा चमकाने में पौने दो अरब रुपये फूंक दिये, जिसमें अभी बीता 2021-22 का वित्तीय वर्ष शामिल नहीं हैं।
सवाल उठता है कि क्या उस मुख्यमंत्री को ये कहने का हक है कि वो जनता को कहे कि उसकी सरकार जनता की सरकार है, झारखण्डियों की सरकार हैं, और अगर कहने का हक हैं तो सरकार बताये कि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा सूचना के अधिकार के तहत उपलब्ध कराये गये सूचना में मात्र दो वर्षों के अंदर पौने दो अरब रुपये केवल सरकारी विज्ञापन पर कैसे खर्च कर दिये गये।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अनुरंजन अशोक तो साफ कहते है कि एक लोकोक्ति हैं, हाथी के दांत दिखाने को कुछ और, और खाने को कुछ और। हेमन्त सरकार के क्रियाकलापों पर अगर कोई विश्वास करता है, तो वह निरा मूर्ख है, क्योंकि इनकी सरकार में तो वही लोग फल-फूल रहे हैं, जो इनके आगे-पीछे पूर्व में चला करते थे, जिसे इन्होंने बोर्ड-निगमों में स्थान दिलवा दिया।
अगर नहीं दिलवाया, तो जो उनके साथ हैं, दिल खोलकर लूट रहे और लूटवा रहे हैं, नहीं तो मात्र शुरुआत के दो वर्षों में सरकारी विज्ञापन के नाम पर पौन दो अरब रुपये कैसे फूंक दिये गये, ये खुद राज्य के मुख्यमंत्री और विभागीय प्रधान सचिव को बताना चाहिए। आखिर इस विज्ञापन के लेन-देने के चक्कर में कौन-कौन लोग मालामाल हुए, राज्य को क्या फायदा हुआ, सरकार को तो बताना ही चाहिए, और सरकार बतायेगी, उसके अंदर इतनी ईमानदारी भी बची हैं क्या?