अभिनन्दन “दैनिक जागरण” आपने गढ़वा के खुराफ़ातियों और उसके समर्थकों का बैंड बजा दिया
कल यानी पांच जून को जैसे ही रांची से प्रकाशित दैनिक जागरण में प्रमाण के साथ “मुस्लिम बोले -हमारी आबादी 75% इसलिए नियम भी हमारे अनुसार बनें” नामक हेंडिंग व “उत्क्रमित मवि कोरवाडीह में वर्षों से चली आ रही प्रार्थना बदलने को विवश” नामक सब-हेडिंग से खबर छपी, पूरे झारखण्ड ही नहीं, बल्कि पूरे देश में बवाल हो गया। सोशल साइट में तो इसको लेकर खूब लोगों ने शोर मचाया।
आनन-फानन में राज्य के शिक्षा विभाग ने भी इस पर माथा-पच्ची की और इस मामले का हल निकालने में वो लग गया, खुशी इस बात की है कि शिक्षा विभाग ने वर्षों से चली आ रही इस गलती पर पर्दा डालने में सफल भी हो गया। आज ही के दैनिक जागरण में फोटो के साथ इस बात की भी खबर छपी है कि उक्त स्कूल में फिर से पुरानी परम्परा के अनुसार प्रार्थना गाये जाने लगे।
सर्वप्रथम दैनिक जागरण को इस बात के लिए बधाई, कि उसने इस खबर को प्रमुखता दी, जिस खबर को गढ़वा के ही कई पत्रकार और रांची से प्रकाशित होनेवाली प्रमुख राष्ट्रीय अखबारों ने अपने यहां ईमानदारी से स्थान देने की कोशिश नहीं की, इस समाचार को अपने स्तर से दबाये रखा। बधाई गढ़वा के दैनिक जागरण के उस संवाददाता दीपक को, जिसने बिना किंतु-परन्तु को इस समाचार को अपने डेस्क पर भेजने की जहमत उठाई और फिर ये खबर पूरे देश की खबर बन गई, साथ ही वहां के मुस्लिम समुदाय की दिलों में चल रही इस गंदगी को सभी के सामने रखा। दरअसल पत्रकारिता भी इसी को कहते हैं।
कल विद्रोही24 ने देखा कि जैसे ही यह खबर कटिंग के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हुई। भाजपा के बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं ने इस दैनिक जागरण के कटिंग के साथ सोशल मीडिया पर इसे वायरल करना शुरु किया, कुछ लोग इस समाचार के समर्थन और विरोध में सोशल साइट पर एक दूसरे से भिड़ने लगे, पर जैसे ही आज इसका फौलो अप दैनिक जागरण ने प्रकाशित किया।
अन्य अखबारों को भी इसका फौलो अप मजबूरन प्रकाशित करना पड़ा, सारे आलोचक अपने-अपने घरों के बिलों में घूस गये। पता नहीं, लोगों को दैनिक जागरण से इतनी नफरत क्यों हैं? विद्रोही24 का तो मानना है कि अखबार कोई हो, वो अगर गलत करता है तो खुलकर उसकी आलोचना करिये, और जब सच लिखता हो, तो उसकी प्रशंसा करने में भी दिलेरी दिखाइये।
दैनिक जागरण में प्रकाशित ये खबरें, दरअसल गढ़वा के मुस्लिम समुदाय की मनोदशा को प्रतिबिंबिंत करता है, अगर आप नहीं संभलें तो समझ लीजिये, ये आनेवाले समय में अपनी जनसंख्या बढ़ाकर, उन हर सच्ची और अच्छी बातों की आलोचना करेंगे और उसे रोकने का प्रयास करेंगे, जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। गढ़वा की खबर यह बताने के लिए भी काफी है कि धर्मनिरपेक्षता कब तक सुरक्षित है, चाहे आप इस बात को माने या न माने।
आश्चर्य इस बात की है कि शिक्षा विभाग ने इस मामले पर पर्दा तो डाल दिया, पर वो कौन लोग है, जिसने इतने सालों तक हाथ बांधकर प्रार्थना करवाते रहे, इसके नामों तक की घोषणा नहीं की, ये उसे सजा क्या दिलवायेंगे? हालांकि इस मामले को लेकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने संज्ञान लिया है, देखिये वो क्या करता है? राज्य सरकार और उनके मातहत काम करनेवाले किसी अधिकारी से आप बेहतरी की आशा नहीं कर सकते।