ब्लैकमेलिंग-रंगदारी व काम कराकर पैसे नहीं देने के लिए कुख्यात न्यूज 11 भारत का मालिक अरुप चटर्जी गिरफ्तार, पूरे झारखण्ड में हर्ष की लहर
आज अहले सुबह जैसे ही झारखण्ड के लोगों को पता चला कि न्यूज 11 भारत का मालिक अरुप चटर्जी गिरफ्तार हो गया। उसे धनबाद पुलिस ने रांची पुलिस की मदद से उसके घर से गिरफ्तार किया। उसके बाद से ही झारखण्ड के सभ्य समाज में हर्ष की लहर दौड़ गई। लोग झारखण्ड की हेमन्त सरकार और झारखण्ड पुलिस को बधाई देने लगे। कही मिठाइयां बंटी तो कही लोगों ने मोबाइल से एक-दूसरे को बधाई दी।
दरअसल अरुप चटर्जी का मूल काम अपने चैनल के माध्यम से राज्य के पुलिस अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों व सम्मानित व्यवसायियों तथा राजनीतिक दलों के नेताओं को ब्लैकमेलिंग करना था। यह अपने रिपोर्टरों के माध्यम से इस धंधे में वर्षों से लगा था, पर स्थानीय पुलिस की हिम्मत नहीं होती थी, इसके गिरेबां पर हाथ रख सकें, क्योंकि जैसे ही राज्य में सत्ता पलटती थी, ये गुलाटी मार दिया करता था और सीधे मुख्यमंत्री से इंटरव्यू के नाम पर मधुर संबंध बनाकर, लोगों से अनैतिक रुप से पैसे वसूलता था, जिसमें उसके रिपोर्टर उसे दिलोजां से मदद करते थे/हैं।
ऐसे कई सबूत राज्य के पुलिस अधिकारियों के पास हैं, पर वे पता नहीं किस भय से अरुप के खिलाफ मुख नहीं खोलते थे, कार्रवाई नहीं करते थे। पर जैसे ही अरुप चटर्जी की गिरफ्तारी हुई, लोग आश्चर्यचकित है कि जो सरकार अरुप चटर्जी को तीन-तीन बॉडीगार्ड वो भी आर्म्स के साथ दी थी, वही आज इतना निष्ठुर कैसे बन गई, वो अरुप को गिरफ्तार कैसे कर ली?
खैर अरुप चटर्जी कितना बड़ा बदमाश था और उसके गुर्गे (रिपोर्टर) कितने खतरनाक थे, उसका पता इसी से लग जाता है कि अरुप चटर्जी को जिससे भी भय होता था, उसे वो झूठी केस में भी फंसा देता था, और इस काम मे उसके यहां काम करनेवाले लोग भी खुलकर सहयोग करते थे। शायद इन्हें लगता था कि जिस अरुप चटर्जी के आगे मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन सर नवाते हैं, उस अरुप चटर्जी के साथ चलने में ही ज्यादा भलाई हैं, क्योंकि इसमें पैसे और इज्जत दोनों हैं। जो लोग इसका सबूत चाहते हैं, वे विद्रोही24 से संपर्क कर सकते हैं। आश्चर्य इस बात की भी है कि अरुप चटर्जी के इस झूठी केस करवाने की आदत और अरुप की मदद करने में पुलिस की भूमिका भी प्रमुख हुआ करती थी।
खैर, खुशी इस बात की है कि पहली बार ऊंट पहाड़ के नीचे आया है। झारखण्ड पुलिस ने उसे शिकंजे में लिया है। जिस मामले में अरुप गिरफ्तार हुआ है। वो भी मामला रंगबाजी-रंगदारी और ब्लैकमेलिंग का ही है। विद्रोही24 के पास प्राथमिकी की कॉपी भी हैं, जो इस पोर्टल पर ही मौजूद है। जिसे आप पढ़ कर समझ सकते हैं कि ये अरुप कितना खतरनाक है।
बताया जाता है कि इसे शनिवार को देर रात गिरफ्तार किया गया है। रांची के गोंदा थाना के कांके रोड में चांदनी चौक स्थित अपार्टमेंट से उसे गिरफ्तार किया गया है। धनबाद के एक व्यवसायी को ब्लैकमेलिंग कर रहा था, जिसका साक्ष्य उक्त व्यवसायी के पास है, जिसे उसने पुलिस को भी उपलब्ध कराया है। जैसे ही न्यायालय से वारंट निर्गत हुआ। धनबाद पुलिस, रांची के गोंदा पुलिस के साथ मिलकर अरुप को उसके आवास पर से धर दबोची, उसे भागने का मौका ही नहीं मिला।
अभियुक्त अरुप चटर्जी के खिलाफ धनबाद के गोविंदपुर में 27 जून को प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। बताया जाता है कि व्यवसायी से अरुप चटर्जी ने अपने रिपोर्टर की मदद से 11 लाख रुपये की रंगदारी मांगी थी, जिसमें व्यवसायी ने भय से करीब छह लाख रुपये का भुगतान भी कर दिया था, पर छह लाख रुपये लेने के बाद भी अरुप चटर्जी ने अपने चैनल पर झूठी खबर चला दी। प्राथमिकी में जो बात व्यवसायी ने लिखी है, उसे पढ़कर किसी भी पत्रकार का सर शर्म से झूक सकता है, पर न्यूज 11 के अरुप चटर्जी और इस कारोबार में मदद करनेवाले उसके यहां कुछ काम करनेवाले रिपोर्टरों को शर्म आयेगी, इसकी संभावना कम दीख रही है।
इधर कई पत्रकार संगठनों ने अरुप चटर्जी की गिरफ्तारी पर हर्ष व्यक्त किया है और राज्य की पुलिस को इसके लिए बधाई दी। एआइएसएमजेडब्ल्यूए के बिहार-झारखण्ड, बंगाल प्रभारी प्रीतम सिंह भाटिया ने कहा है कि अरुप चटर्जी जैसे लोग पत्रकारिता के नाम पर कलंक है, ऐसे भ्रष्ट इन्सान को गिरफ्तार करने के लिए राज्य पुलिस को बधाई, विशेष तौर पर धनबाद के एसएसपी संजीव कुमार को बधाई कि उन्होंने इतना कड़ा स्टेप लिया। प्रीतम सिंह भाटिया ने हेमन्त सरकार से मांग की कि अरुप चटर्जी के खिलाफ जितने भी मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं, उसकी सख्ती से जांच कराई जाये, तथा अरुप चटर्जी द्वारा विभिन्न जिलों में बनाई गई संपत्तियों का भी संज्ञान लें।