झामुमो ने कहा न्यूज 11 के मालिक अरुप का जेल जाना लोकतंत्र पर हमला नहीं, वरिष्ठ पत्रकार गुंजन सिन्हा ने ब्लैकमेलर अरुप को समर्थन दे रहे पत्रकारों के जमीर पर उठाए सवाल
कमाल हो गया। जिस न्यूज 11 भारत के मालिक अरुप चटर्जी को झामुमो पर सर्वाधिक विश्वास था, कि यह पार्टी उसके कुकर्मों में उसका साथ देगी, उसी पार्टी के नेताओं ने एक तरह से अरुप चटर्जी से अपना पल्ला झाड़ लिया। एक समय था कि झामुमो नेताओं के साथ इसकी खुब गलबहियां थी, पर जैसी अरुप की करतूत रही हैं, झामुमो नेताओं को इस व्यक्ति से दूरियां बनना एक तरह से पहले से तय था।
इधर वरिष्ठ पत्रकार गुंजन सिन्हा ने उन पत्रकारों की कड़ी आलोचना की है, जो ब्लैकमेलर के रुप में कुख्यात न्यूज 11 भारत के मालिक अरुप चटर्जी के पक्ष में अभी भी झंडा बुलंद किये हुए हैं, हालांकि इनकी संख्या अंगूलियों पर गिनने लायक है या न के बराबर है। जो अच्छे व चरित्रवान पत्रकार या पत्रकार संगठन हैं, उन्होंने अभी तक इसके समर्थन में कोई बात नहीं की हैं और न प्रशासनिक अधिकारियों से मिले हैं, न ही वे अरुप चटर्जी के पक्ष में आंदोलन करने को उत्सुक हैं।
झामुमो नेता, स्टीफन मरांडी का मानना है कि अरुप चटर्जी के साथ जो कुछ हो रहा है, वो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला नहीं है। वे न्यूज 11 के संवाददाता से ही सवालिया निशान में पूछते है कि अरुप चटर्जी किस घराना के हैं, ये तो मालूम ही होगा आपको, ऐसे आदमी के लिए लोकतंत्र पर हमला बोलियेगा या वाजिब केस कहियेगा, उनके अनुसार अरुप चटर्जी के साथ जो कुछ हो रहा हैं, वो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला नहीं हैं।
झामुमो नेतृ महुआ माजी ने तो इस मैटर पर कुछ कहने से ही इनकार कर दिया और संवाददाताओं को झामुमो प्रवक्ता से मिलने की सलाह दे डाली। मंत्री चम्पई सोरेन ने कहा कि अरुप चटर्जी के जेल जानेवाली प्रकरण के बारे में उनको कोई जानकारी ही नहीं हैं, ऐसे कैसे बोल दें कि क्या सही हैं और क्या सही नहीं हैं? झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य के शब्दों में “हमें सुबह-सुबह बात पता चला है, सारी चीजों की विवेचना किया जा रहा है, हमलोग चिन्तन-मनन कर रहे हैं, परिस्थितियां क्या है? सारी विवेचना के बाद ही हम कुछ बोलेंगे।”
वरिष्ठ पत्रकार गुंजन सिन्हा ने अपने फेसबुक पर लिखा “सुना हैं कुछ पत्रकार ब्लैकमेल के आरोप में अरुप चटर्जी की गिरफ्तारी के विरोध में सड़क पर उतरेंगे। मैं भी उनके साथ नारा लगाने आ जाऊँगा बशर्ते वे बताएं कि वह कौन सा जादू था जिसमे एक मामूली स्ट्रिंगर दो तीन साल मे चैनल मालिक बन गया। बताएं कि जब मैं कैंसर से जूझ रहा था और जब अरुप के दिए दस फर्जी चेक बाउंस होते रहे, जब मेरे केस में दो दो बार उस पर वारंट और दो बार कुर्की जब्ती के अदालत के आदेश पुलिस साल दर साल तामील नहीं कर रहीं थी, जब दर्जनों पत्रकारों के पैसे हड़प कर वह निकाल दे रहा था तब ये पत्रकार किस बिल में घुसे हुए थे?
कब किसके लिए आंदोलन करने उतरे थे। जब हरमू रोड पर गरीब आदिवासी औरत की गैंग रेप के बाद हत्या की खबर दबाने की उसकी कोशिश का विरोध करने पर उसने चार महीने मेरा वेतन नहीं दिया और मुझे नौकरी छोड़ने को विवश किया तब यह यूनियन कहाँ मर गई थी? कृपया ये भी बताएं कि उस के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी के कितने केस हैं?
कितने मामलों मे वारंट है और हाई कोर्ट ने उसके खिलाफ रांची पुलिस से क्या जानकारी माँगी है? उसके चैनल के लाइसेंस के बारे मे दीपक प्रकाश के सिफारिश पर सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने क्या लिखा है ये भी उसके दलाल बताते चलें। अरुप के पक्ष में वही होंगे जिनका अपना जमीर भी स्वर्गवासी हो गया है।”
ब्लैकमेलर को जेल भेजा गया है। किसी पत्रकार को नहीं। पत्रकारिता की आड़ में गलत धंधा करने वालों को पत्रकार मानना ही गलत है। उसे संगठन से बाहर किया जाना चाहिए। और उसे उसकी हालत पर छोड़ देना चाहिए। साथ ही न्यायालय से आग्रह किया जाना चाहिए कि उसके खिलाफ जितने भी मामले दर्ज हैं उनपर यथाशीघ्र सुनवाई कर आरोपकर्ताओं को न्याय दिलाया जाना चाहिए।