अरुप की गिरफ्तारी से झारखण्डवासियों का हेमन्त सरकार और झारखण्ड पुलिस पर जगा विश्वास, ब्लैकमेलिंग करनेवाले पत्रकारों के उड़े होश
अब अरुप सदैव जेल में ही रहेंगे या जेल से तुरन्त निकल जायेंगे, मसला ये नहीं हैं, मसला ये है कि जिस प्रकार से धनबाद के कारोबारी राकेश ओझा से संबंधित केस मामले में धनबाद पुलिस रांची से अरुप को पकड़कर धनबाद ले गई, उसे धनबाद के अदालत में पेश किया और जेल के अंदर प्रविष्ट करा दिया, इसकी कल्पना कम से कम उनके घुर विरोधियों और अरुप के अत्याचार से प्रभावित या उसके खिलाफ देश के विभिन्न नगरों व महानगरों में केस दर्ज करने/करानेवालों ने भी नहीं सोची थी।
यह सब कुछ अचानक हुआ, और जो अरुप के अत्याचार से पीड़ित लोग थे, उनके चेहरे पर हर्ष की लहर दौड़ गई, सभी हेमन्त सरकार और धनबाद पुलिस के इस कृत्य की सराहना करने लगे, लेकिन जो पत्रकारिता की आड़ में गुंडई व ब्लैकमेलिंग करते हैं, उनके चेहरे मुरझा गये, पर जैसे ही झारखण्ड हाई कोर्ट से अरुप को सशर्त जमानत मिली, परिणाम उलट गये। लोग तरह-तरह की बातें करने लगे।
लोग हैं, तरह-तरह की बात करेंगे ही, पर जैसे ही लोगों को आज सुबह की अखबारों से पता चला कि अरुप को किसी अन्य मामले में फिर रिमांड लिया जा रहा हैं, और जेल से छूटने की उम्मीद कम हैं, तो फिर पत्रकारिता की आड़ में गुंडई व ब्लैकमेलिंग करनेवालों के चेहरे मुरझा गये और आम जनता तथा ईमानदारी से पत्रकारिता करनेवालों के चेहरे प्रसन्नता से भर उठे।
आखिर ऐसा क्यों हो रहा था? हम आपको बताते हैं क्योंकि अरुप ने अपना फेस ही इस प्रकार से लोगों के समक्ष बना लिया था कि यहां सत्ता किसी की भी रही, सिक्का उसका ही चलता रहा। तीन-तीन बॉडीगार्ड वो भी आर्म्स के साथ सरकारी पुलिस, जब उसके साथ चल रही हो, तो भला किस की हिम्मत की उसे कोई छू सके या बोल सके। वो जो कहता था पुलिस हां में हां मिलाती थी, उसके कहने पर मुख्यमंत्री आवास तक हिलता था, जैसे उसने कह दिया कि फंलाने के खिलाफ केस कर दो, तो तुरन्त केस दर्ज कर लिया जाता था, ये भी नहीं देखा जाता था कि केस सही भी हैं या नहीं, चूंकि अरुप चटर्जी का आदेश हैं तो केस होगा, क्योंकि अरुप किसी मुख्यमंत्री से कम नहीं।
एक बात और, ये न भूलें कि झारखण्ड में भाजपा की भी शासन रही हैं और भाजपा के अंदर रहनेवाले कुछ शीर्षस्थ नेताओं की उस पर कृपा सदैव बरसती रही हैं, ये अरुप चटर्जी की समय-समय पर मदद करते रहे हैं, जिसके कारण पुलिस अरुप चटर्जी पर हाथ धरने से भय खाती थी, पर भाजपा में ही एक नेता बाबू लाल मरांडी है, जो विधायक दल के नेता भी है, सर्वप्रथम इसी नेता ने अरुप चटर्जी के खिलाफ तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय संभाल रहे प्रकाश जावडेकर को पत्र लिखा और इसके खिलाफ मोर्चा खोला, जब झारखण्ड विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था तो अरुप अपने पूरे परिवार के साथ बाबू लाल मरांडी के आवास पर जाकर मदद की गुहार लगाई थी, पर बाबू लाल मरांडी ने गलत कार्यों को प्रश्रय देने से इन्कार कर दिया था।
अब वर्तमान की स्थिति पर भी नजर डालिये। वो भी तब जब केन्द्रीय मंत्री भाजपा के बड़े नेता जो गृह मंत्रालय संभाल रहे हैं, नाम है – अमित शाह, जिनका विभाग सुरक्षा कारणों से न्यूज 11 भारत चैनल को नवीनीकरण की अनुमति देने से ही इन्कार कर दिया है। जिसकी जानकारी वर्तमान केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्य सभा सांसद व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश को दी, जब दीपक प्रकाश ने न्यूज 11 भारत की अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के अनुमति के नवीनीकरण के संबंध में जानकारी चाही थी। आप स्वयं उस पत्र को देखें और विचार करें कि कौन क्या कर रहा हैं?
आज भी भाजपा के कुछ नेता अरुप के समर्थन में बयान देने से चूक नहीं रहे, उसे महान बता रहे हैं, उसकी गिरफ्तारी को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला बता रहे हैं, जिसे न्यूज 11 भारत वाले भी खूब चला रहे हैं, अब आप ही बताइये कि अरुप की गिरफ्तारी से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला हो जाता हैं तो किसी दिन ईमानदार पत्रकार को जेल में भेज दिया जायेगा तो ये जरुर कहेंगे कि वो पत्रकार बेईमान था, हालांकि इन्हीं नेताओं ने रघुवर शासन काल में एक ईमानदार-कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार को जेल भिजवाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी, झूठे केस करनेवाले का मनोबल बढ़ाया था, आज भी वहीं कर रहे हैं।
जबकि झामुमो नेताओं का दल तो खुलकर कह रहा है कि जो हो रहा है, वो लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला नहीं, झामुमो नेता स्टीफन मरांडी के बयान को आप देखें, तो पता लग जायेगा। भाजपा शासनकाल का एक वाकया सुनाता हूं? वरिष्ठ पत्रकार गुंजन सिन्हा ने अपने सोशल साइट पर इस बात को एक नहीं कई बार लिखा है, वे साफ कहते है कि वे जब कैंसर से जूझ रहे थे और जब अरुप के दिये दस फर्जी चेक बाउंस होते रहे, जब उनके केस में दो-दो बार उस पर वारंट और दो-दो बार कुर्की जब्ती के अदालत के आदेश पुलिस साल दर साल तामील नहीं कर रही थी, आखिर उस वक्त भी तो सरकार थी, क्यों नहीं गुंजन सिन्हा को उस वक्त की सरकार और पुलिस न्याय दिला पाई?
और अब राज्य में झामुमो गठबंधन की सरकार है। आप माने या न माने, इस सरकार ने वो काम किया है कि जिसे आज तक किसी ने नहीं करने की सोची थी। राज्य सरकार ने अरुप चटर्जी को जेल में पहुंचाने का काम किया है और जो अरुप के अत्याचार से त्रस्त हैं, अब उन्हें भी लग रहा हैं, कि उन्हें न्याय मिलेगा। तभी तो धनबाद से ही मामले खुलने शुरु हुए हैं। राकेश ओझा प्रकरण के बाद, पुटकी थाना कांड संख्या 91/18 में जेल जाना, सुनने में आ रहा है कि बंगाल पुलिस भी अरुप चटर्जी को खोजने में जुटी हैं।
अगर ये ही हाल रहा तो दिल्ली और महाराष्ट्र पुलिस थोड़े ही बैठी रहेगी। उधर चिटफंड मामले में सीबीआई पहले से ही पूछताछ के लिए बुला रही है, कुल मिलाकर देखा जाय, तो अरुप चटर्जी के ग्रह-गोचर कुछ ठीक नहीं लग रहे। इधर रांची में जहां उनका चैनल चल रहा हैं, उसे भी वहां से हटाने को लेकर रांची के एसडीएम ने कुछ महीने पहले फैसले सुनाये हैं, पर अभी तक अरुप ने अपनी वो ऑफिस नहीं हटाई हैं, इस मामले में भी लगता है कि रांची जिला प्रशासन जल्द ही कुछ फैसला लेगा। अगर ये सब कुछ इसी तरह चलता रहा।
तो कम से कम एक संदेश तो सर्वत्र जायेगा कि जो ब्लैकमेलिंग करेगा या जो अपराध करेगा, वो पत्रकार हो या न्यूज चैनल का मालिक या कोई बड़ा आदमी बच नहीं पायेगा। अरुप मामले को लेकर हालांकि मुट्ठी भर पत्रकार काफी उछल रहे थे, लेकिन सच्चाई यह है कि इस मामले में हर अखबार, हर चैनल, हर पोर्टल, पत्रकारों से जुड़े क्लब, ज्यादातर पत्रकार संगठनों से जुड़े पत्रकारों में हर्ष की लहर हैं। अब उन्हें लग रहा है कि उन जैसे लोगों को अब पूछ होगी। अरुप की खबरें विभिन्न प्रतिष्ठित अखबारों-चैनलों में सुर्खियां बन रही हैं और सरकार व धनबाद पुलिस के इस निर्णय से सर्वत्र खुशी व्याप्त है।
इधर आज जेल जाने के क्रम में अरुप चटर्जी ने राज्य सरकार के खिलाफ हमला बोला और कहा कि क्या कर लेगा सरकार, कहो उसे और खोज-खोज करके केस ले आये, मतलब रस्सी जल गई ऐंठन नहीं छूटा है, धनबाद से लेकर रांची से प्रकाशित अखबारों में अरुप चटर्जी छाया हुआ है, लोग चटखारे लेकर पढ़ रहे हैं और उसे कोसने से चूक नहीं रहे, साथ ही हेमन्त सरकार की प्रशंसा कर रहे हैं, सो अलग।