अपराध

न्यूज 11 से जुड़े रिपोर्टरों/अधिकारियों पर गिर सकती हैं गाज, धनबाद पुलिस खंगाल रही दस्तावेज, धनबाद से रांची तक हड़कम्प

न्यूज 11 भारत के मालिक अरुप चटर्जी के साथ जो हो रहा है, वो तो जगजाहिर है। सूत्र बता रहे हैं कि अब न्यूज 11 भारत के रिपोर्टरों व अधिकारियों पर भी किसी भी समय गाज गिर सकती हैं, उन्हें थाने बुलाकर पूछताछ की जा सकती है। कुछ के खिलाफ केस भी दर्ज किये जा सकते हैं, क्योंकि जिस प्रकार के सबूत धनबाद पुलिस को हाथ लगे हैं। वो बताने के लिए काफी हैं कि मामला गंभीर है। इसमें कई रिपोर्टर व अधिकारी लपेटे में आ सकते हैं।

धनबाद में कार्यरत कई मीडियाकर्मियों ने बताया कि इनमें से रांची और धनबाद दोनों स्थानों के न्यूज 11 भारत के रिपोर्टर या कर्मचारी/अधिकारी शामिल है, जिस पर गाज गिरनी तय है, क्योंकि स्थानीय पुलिस को जो मोबाइल और अन्य सामग्रियां मिली हैं, उसमें वे सारे रिकार्ड उपलब्ध है, कि अरुप किससे, कब और किस संदर्भ में बातें करता था।

इधर खबर है कि जबसे अरुप चटर्जी के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई शुरु की हैं, उनलोगों को आशा बंधी हैं, जो अरुप चटर्जी के शोषण के शिकार हुए हैं, वे खुलकर थाने आ रहे है और अरुप चटर्जी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा रहे हैं। कल ही कालूबथान ओपी खोखरा पहाड़ी निवासी एवं पूर्व जिप अध्यक्ष रोबिन चंद्र गोराई ने न्यूज 11 भारत के मालिक अरुप चटर्जी के खिलाफ कालूबथान ओपी थाने में ठगी की शिकायत दर्ज कराई है।

रोबिन ने अपने शिकायत में कहा है कि अरुप ने 2012 में केयर विजन चिटफंड कंपनी के नाम पर उसे प्रलोभन दिया और उससे 5 मार्च 2012 को दस लाख रुपये ठग लिये, रिसीविंग भी नहीं दी। इसी तरह कई लोगों से उसने ऐसा किया।

इसी बीच धनबाद से प्रकाशित प्रभात खबर ने न्यूज 11 भारत द्वारा किये गये नये कांड को आज उजागर कर दिया। प्रभात खबर ने जो खबर छापी हैं, वो हैरान करनेवाली है। हेडिंग है – न किराया दिया, न ही ऑफिस खाली किया न्यूज 11 भारत ने। फॉलोअप – एसडीएम कोर्ट, रांची ने अप्रैल में ही खाली करने का दिया था आदेश। ऐसे भी एसडीएम के इस आदेश की कॉपी पूरे सोशल मीडिया में वायरल हैं, पर इस खबर को छापने की किसी अखबार ने हिम्मत नहीं दिखाई पर प्रभात खबर ने इस जोखिम को उठाया।

प्रभात खबर में छपे समाचार को ध्यान से देखिये – “इस मामले की सुनवाई के बाद एसडीएम कोर्ट ने आदेश जारी किया कि दूसरा पक्ष (अरुप चटर्जी) 69,25,000 रुपये का एकमुश्त भुगतान करें और एक पक्ष के अंदर कार्यालय को खाली करें, साथ ही बिजली बिल व रखरखाव खर्च के बकाये का भुगतान भी करें।” अब देखना है कि रांची एसडीएम कोर्ट अपने ही आदेश को कब तक पालन करवाता है तथा भवन के मालिक रामवतार राजगढ़िया को कब तक न्याय दिलवाता है।